ब्रिटेन पर 70 वर्ष से अधिक शासन करने वाली विलक्षण शख्सियत थीं महारानी एलिज़ाबेथ 

ब्रिटेन पर सबसे लम्बी अवधि तक शासन करने वाली महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय 8 सितम्बर, 2022 दिन वीरवार को दुनिया को अलविदा कह गईं। 96 वर्षीय महारानी एलिज़ाबेथ ने अपना पूरा जीवन देश की सेवा भावना को समर्पित किया। महारानी एलिज़ाबेथ का जन्म 21 अप्रैल, 1926 को लंदन के बर्कले स्कवेयर मेयफेयर में हुआ। वह जार्ज 5वें के दूसरे बेटे ड्यूक ऑफ योर्क (जो बाद में 1936 में महाराजा बनने के बाद जार्ज 6वें  के नाम से जाने गये) तथा लेडी एलिज़ाबेथ बोविस लियोन की पहली सन्तान थीं। महारानी का पूरा नाम एलिज़ाबेथ अलैक्जैंड्रा मेरी विंडसर था।
महारानी की छोटी बहन मार्ग्रेट रोज़ थीं जिनका जन्म 1930 में हुआ। महारानी को बचपन से ही घोड़ों एवं पालतू कुत्तों का शौक था। इसी कारण महारानी एस्कोर्ट में होने वाली घोड़ों की दौड़ में खास रुचि रखती थीं।
शाही तख्त तक जाने के पीछे पारिवारिक प्रेम कहानी 
महारानी का राज सिंहासन तक जाना भी एक रोचक पहलू है, 1936 में जार्ज 5वें की मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे डेविड ने एडवर्ड 8वें के तौर पर सत्ता सम्भाली। परन्तु उनकी प्रेम कहानी के कारण एडवर्ड 8वें को कुछ महीने बाद ही सत्ता को छोड़ना पड़ा। डेविड ने अमरीका की दो बार तलाकशुदा वालिस सिंपसन के साथ शादी की थी, जिसे उस समय के संविधान के अनुसार तथा धार्मिक रीति-रिवाज़ के कारण स्वीकार नहीं किया गया, जिसके कारण ड्यूक ऑफ यार्क को सत्ता दी गई जो जार्ज 6वें के नाम से जाने जाते हैं, जिनकी महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम सन्तान थी। पिता के सत्ता सम्भालते ही एलिज़ाबेथ बचपन से ही अपने पिता के साथ शाही गतिविधियों का हिस्सा बनने लगीं। 
दूरदृष्टि वाली शख्सियत 
महारानी एलिज़ाबेथ ज्यादा शिक्षित नहीं थीं, परन्तु इसके बावजूद वह कई भाषाओं की जानकारी रखती थीं। उन्होंने संविधान के इतिहास का विस्तार से अध्ययन किया। विंस्टन चर्चिल ने भी एक बार महारानी की प्रशंसा करते हुये कहा था कि वह शासन करने में सक्षम हैं। विश्व युद्ध के दौरान राजकुमारी ने ड्राइवरी सीख ली तथा मोटर मैकेनिक के तौर पर सेवाएं दीं। चाहे विश्व युद्ध के दौरान जब लंदन बुरी तरह से तबाह हो गया था तो उस समय उनको विंडसन कासल में विशेष सुरक्षित स्थान पर रखा गया था। दूसरे विश्व युद्ध में महारानी एलिज़ाबेथ तथा उनकी छोटी बहन मार्ग्रेट ने रेडियो प्रसारण भी किया। 
20 नवम्बर, 1947 में महारानी एलिज़ाबेथ की शादी उस समय के सेना अधिकारी फिलिप माऊटबेटन के साथ हुई। वह दोनों 1944 में एक-दूसरे के करीब आये। उस समय महारानी की आयु महज 18 वर्ष थी। 1948 में उनके घर प्रिंस चार्ल्स तथा 1950 में बेटी एनी ने जन्म लिया। दो बेटे महारानी की ताजपोशी के बाद प्रिंस एंड्रयू एवं प्रिंस एडवर्ड ने जन्म लिया। महारानी जनवरी 1952 में अपने पति के साथ विदेश यात्रा पर थीं जब उनके पिता जार्ज 6वें की मृत्यु हो गई जिसके बाद वह ब्रिटेन की महारानी बनीं तथा उनकी ताजपोशी 1953 को लंदन की वैस्टमस्टर एबे में हुई, जिसमें 200 के लगभग अतिथि शामिल हुए थे। उस समय पहली बार ताजपोशी समारोह का टी.वी. पर सीधा प्रसारण किया गया था।
राजशाही के प्रति लोगों का रवैया 
महारानी ने अपने शासनकाल के दौरान कई तरह के राजनीतिक संकटों का सामना किया, ज्यादातर यह संकट कंज़र्वेटिव पार्टी की सरकार के दौरान ही आये। मिस्र द्वारा सुएज़ नदी के राष्ट्रीयकरण के विरोध में ब्रिटिश सेना भेजने तथा वापिस बुलाने के कारण जब प्रधानमंत्री एंथनी ईडन ने त्याग-पत्र दिया तो महारनी को राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा। उस समय टोरी पार्टी के पास नेता चुनने की कोई विधि नहीं थी तथा महारानी ने ऐसे में हैरल्ड मैकमिलन को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। लार्ड एलट्रिंचम के निजी हमलों के बाद महारानी पर कई तरह के प्रश्न चिन्ह लगने लगे।
जिसके बाद लोगों के राजशाही के प्रति बदलते रवैये के कारण कई बदलाव किये गये। 1963 में हैरल्ड के त्याग-पत्र के बाद महारानी ने अर्ल ऑफ होम को उनके स्थान पर नियुक्त किया। इस अवसर पर अपने पद को संवैधानिक मान्यता दिलाते हुये, राजशाही को सरकार से अलग रखा गया। खास तौर पर सूचित करने, सलाह देने तथा चेतावनी देने वाले अधिकारों को सख्ती से लागू करवाया। 
पारिवारिक संकट
महारानी एलिज़ाबेथ के जीवन में सबसे बड़ा संकट  1991-92 में उस समय आया जब उनका बेटा ड्यूक ऑफ यार्क  तथा उनकी पत्नी सारा अलग हुये, दूसरी तरफ बेटी राजकुमारी एनी का मार्कफिपिस के साथ तलाक हो गया। कुछ समय बाद प्रिंस ऑफ वेल्ज़ (मौजूदा महाराजा) चार्ल्स तथा राजकुमारी डायना का विवाद शुरू हो गया और उनकी नौबत तलाक तक पहुंच गई। महारानी के करीबी बताते हैं कि ऐसे में महारानी बुरी तरह से टूट गई थी। विंडसर कासल को लगी आग के कारण हुये नुकसान की पूर्ति करने के लिए बर्मिंघम पैलेस लोगों के लिए खोला गया। इससे हुई आय से विंडसर कासल की मुरम्मत हुई तथा महारानी एवं प्रिंस ऑफ वेल्ज़ द्वारा आयकर टैक्स देने की शुरुआत हुई। 
अगस्त, 1997 में राजकुमारी डायना की सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद महारानी को आलोचनाओं के सामना करना पड़ा। यहीं बस नहीं, महारानी के बेटे एंड्रयू का शारीरिक शोषण वाले विवाद ने भी महारानी को सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया परन्तु उन्होंने सख्ती का रुख अपनाते हुये प्रिंस एंड्र्यू को शाही गतिविधियों से दूर कर दिया। प्रिंस हैरी एवं मेगन की शादी के बाद उठे विवाद को खत्म करने के लिए महारानी अपने पौत्र की घर वापिसी के लिए मनाने के प्रयास करती रहीं, परन्तु ऐसा सम्भव नहीं हो सका।  महारानी की ताजपोशी की सिल्वर जुबली, गोल्डन जुबली एवं प्लैटीन जुबली देश भर में लोगों ने भारी उत्साह से मनाई। महारानी विक्टोरिया के कार्यकाल को पीछे छोड़ते 9 सितम्बर, 2015 को ब्रिटिश इतिहास में सबसे अधिक समय शासन करने वाली शासक बनीं। 
महारानी के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन को 15 प्रधानमंत्री मिले 
महारानी एलिज़ाबेथ ने अपने कार्यकाल दौरान ब्रिटेन के 15 प्रधानमंत्रियों में से 14 प्रधानमंत्रियों की नियुक्तियों की स्वीकृति स्वयं दी, जिस समय महारानी ने शासन प्रबन्ध सम्भाला उस समय विंसटन चर्चिल प्रधानमंत्री थे तथा निधन से कुछ पहले महारानी ने मौजूदा प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस की नियुक्ति को स्वीकृति दी है।
महारानी की सम्पत्ति तथा अन्य अधिकार 
महारानी एलिज़ाबेथ के अधिकारों की बात करें तो महारानी के पास कोई पासपोर्ट नहीं था परन्तु वह विश्व में अकेली महिला थीं जिसे विदेश जाने के लिए वीज़े की ज़रूरत नहीं थी। महारानी को वाहन चलाने का भी शौक था परन्तु उनके पास ड्राइविंग लाइसैंस नहीं था। महारानी की कुल आय 365 मिलियन पाऊंड यानी 33.36 अरब रुपये से अधिक बताई जाती है। शाही परिवार का अलग-अलग खर्चा सरकार द्वारा टैक्स भुगतान में से भी किया जाता है। शाही परिवार के पास देश के अलग-अलग हिस्सों में सम्पत्ति के अलावा शाही संग्रह का बड़ा खज़ाना है जिसमें 10 लाख से अधिक वस्तुएं शामिल हैं। जिनकी अनुमानित कीमत 10 खरब रुपये से भी अधिक बताई जाती है। महारानी की सम्पत्ति में बेशुमार कीमती कलाकृत्तियां, हीरे, आभूषण, लग्ज़री कारें, घोड़े आदि सहित असंख्यक चीज़े हैं जिन्हें देखने के लिए भी लोग भारी कीमत अदा करते हैं जो शाही परिवार के लिए आय का स्रोत भी हैं। 
कोहेनूर हीरा और महारानी
महारानी के ताज तथा कोहेनूर के हीरे को लेकर अक्सर कई तरह के भ्रम पैदा किये जाते हैं। वर्णनीय है कि खालसा शासन के अंतिम बादशाह महाराजा दिलीप सिंह से धोखे से छीना कोहेनूर हीरा महारानी एलिज़ाबेथ की मां मैरी के ताज में सुशोभित था जो अधिकारिक तौर पर अब महाराजा चार्ल्स तृतीय की पत्नी महारानी कैमिला के अधिकार में होगा। यह ताज उस समय टॉवर ऑफ लंदन में सुशोभित है। उक्त ताज में 2800 अन्य हीरे जड़े हुये हैं, 105 कैरेट का यह हीरा ताज के बिल्कुल बीच में अंडे के आकार का है। कोहेनूर को प्रिंस एल्बर्ट तथा उनकी पत्नी के आदेशों पर पुन: काटा गया था जो  1937 में महारानी मैरी के ताज में जड़ा गया। महारानी मैरी ने उक्त ताज को 1953 में महारानी एलिज़ाबेथ की ताजपोशी के अवसर पर कुछ समय के लिए पहनाया था। 
भारत के साथ महारानी की नज़दीकी 
महारानी एलिज़ाबेथ ने अपनी ज़िन्दगी में तीन बार भारत का दौरा 1961, 1983 तथा 1997 में किया। 1961 में वह भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। इस अवसर पर उन्होंने राजघाट, कोलकाता, मुम्बई,  मद्रास, ताज महल देखने के लिए आगरा की यात्रा की। 1983 में 7वीं राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों के साथ महारानी अपने पति फिलिप के साथ भारत के 9 दिवसीय सरकारी दौरे पर आईं, जिस अवसर पर उन्होंने मदर टरेसा को विशेष पुरस्कार के साथ सम्मानित किया। इसके बाद भारत के 50वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 1977 में भारत का दौरा करते हुए श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक हुईं तथा इस अवसर पर उन्होंने जलियांवाला ब़ाग में जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट की। परन्तु आज तक ब्रिटेन ने गोली कांड की सार्वजनिक रूप में ज़िम्मेदारी लेते हुए माफी नहीं मांगी है।
इंग्लैंड में भी महारानी की सिखों से बहुत नज़दीकियां रही हैं। महारानी एलिज़ाबेथ 2002 में पहली बार लैस्टर के गुरु नानक गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होने वाली पहली ब्रिटिश शासक थीं। इसके बाद वह 2004 में गुरुद्वारा सिंह सभा हंसलो में नतमस्तक होने के लिए पहुंचीं। 6 जून, 2002 में महारानी पहली बार आर्चवेय के हाइगेटहिल मुरुगन मंदिर के दर्शन करने पहुंचीं थी।
भांगड़ा टीम के साथ महारानी ने कुछ समय बातचीत की। महारानी का अलग-अलग देशों के लोगों के प्रति प्रेम हमेशा अपनेपन वाला रहा है। लंदन के हेज़ के दौरे के दौरान महारानी ने पंजाबियों के भांगड़ा में खास रुचि दिखाई। महारानी द्वारा असंख्यक सिख शख्सियतों को समय-समय पर शाही किताबों से नवाज़ा गया जिनमें सिख समुदाय के लिए सेवाएं देने वाले स. सुरिन्दर सिंह पुरेवाल, पंजाबी गायक मलकीत सिंह सहित बहुत-सी शख्सियतों को महारानी ने स्वयं शाही खिताब के साथ सम्मानित किया था। 
हर समय मुस्कुराने वाली महारानी एलिज़ाबेथ आखिरकर 96 वर्ष से अधिक की उम्र भोग कर ब्रिटेन पर 70 वर्ष 214 दिन शासन करके दुनिया को अलविदा कह गईं।
महाराजा बने चार्ल्स 
महारानी की मृत्यु के बाद प्रिंस चार्ल्स महाराजा बन गये हैं, चाहे उनकी अभी ताजपोशी नहीं हुई परन्तु उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने पहले संदेश में महारानी को श्रद्धांजलि भेंट करते हुये स्वयं को देश के लिए समर्पित करने का वायदा किया है। वह अब महाराजा चार्ल्स तृतीय के नाम से जाने जाएंगे। उनकी ताजपोशी के अवसर पर 16वीं शताब्दी का बना स्वर्ण जड़ित शाही ताज उन्हें पहनाया जाएगा। जिसका भार लगभग अढ़ाई किलो है। महाराजा चार्ल्स ने अपने पहले भाषण में ही अपनी पत्नी को महारानी एवं बेटे प्रिंस विलियम को अपने स्थान पर प्रिंस ऑफ वेल्ज़ और राजकुमारी केट मिडलटन को प्रिंसिस ऑफ वेल्ज़ बनाया है। वर्णनीय है कि राजकुमारी डायना की मृत्यु के बाद मिडलटन को यह उपाधि दी गई है। 
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