माफियाओं की जकड़ में घिरता जा रहा है समाज

पिछले दिनों चंडीगढ़ विश्वविद्यायल में जो घटना घटी, वह दुर्भाग्यपूर्ण तो थी ही, सभी संवेदनशीन लोगों को विचलित कर देने वाली थी। यूनिवर्सिटी के होस्टल में एक छात्रा का आपत्तिजनक वीडियो बनाये जाने का मामला जहां अनैतिक है, वहीं पूरे माहौल में अव्यवस्था को प्रकट कर रहा है। पहले समाचार के अनुसार तो कई छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो बनाये जाने के आरोप लगे जिस पर भड़के विद्यार्थियों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। छात्राओं ने आरोप लगाया था कि एक छात्रा ने उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाए और बाद में अपने दोस्त को भेज कर वायरल किये। पुलिस कार्रवाई में धारा 354 सी और आईटी एक्ट की धारा 66 ई के तहत केस दर्ज कर आरोपी छात्रा और उसके दोस्त सहित तीन को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने तीनों के मोबाइल ज़ब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिये थे। 
ऐसी किसी घटना पर अफवाहें आंधी जैसा काम करती हैं। आंखों में धूल झोंक कर चीज़ों के अर्थ बदल देती हैं और सूचना को तोड़-मरोड़ देती हैं, जिसका काफी नुक्सान होता है। पालघर के संन्यासी अफवाहों की सज़ा भुगत गये थे। जीने का अधिकार तक अफवाहें छीन लेती हैं। ऐसे में विवेक से काम लेना ज़रूरी हो जाता है। मीडिया में इस खबर को फारवर्ड नहीं करने की अपील भी जारी की गई थी परन्तु आरोपी छात्रा पर कार्रवाई का वीडियो वायरल हो जाने से रात 11.30 बजे चार हज़ार स्टूडैंट्स इकट्ठे हो गये थे। भारी संख्या में पुलिस भी वहां पहुंच गई थी। विशेष जांच टीम ने आरोपी लड़की से बंद कमरे में पौने तीन घंटे पूछताछ की थी। चार सदस्यों वाली एसआईटी का सवाल था—वीडियो बनाने का मकसद क्या था, किस-किस स्टूडैंटस की वीडियो बनाई गई? सूत्रों के मुताबिक लड़की ने बताया था कि उसने सिर्फ अपनी वीडियो बनाईर् और अपने ब्वायफ्रैंड को भेज दी। उसे नहीं पता कि उसने आगे वीडियो किस-किस को भेजी। उसने यह भी कहा था कि वह अपनी दोस्तों या होस्टल की लड़कियों की वीडियो क्यों बनाएगी?
पंजाब एवं राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी तत्काल इस मामले का नोटिस लिया था। विद्यार्थियों में बढ़ते तनाव व गुस्से को शांत करने के लिए प्रशासन को काफी संघर्ष करना पड़ा। विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारियों ने इस घटनाक्रम से जुड़ी अफवाहों का खंडन कियाऔर बताया था कि न तो किसी छात्रा ने आत्महत्या की कोशिश की और न ही किसी की मृत्यु हुई। पहले इस अफवाह ने भी भड़काने का काम किया था कि इस घटनाक्रम में छात्रा ने आत्महत्या कर ली है। मोहाली पुलिस ने भी इस बात पर ज़ोर दिया था कि एक ही वीडियो बना है, जो लड़की ने खुद अपना ही बनाया था। विश्वविद्यालय के प्रबंधन अधिकारियों के लिए निश्चित रूप से  यह काफी मुश्किल समय था। 
कोई भी संस्थान इतनी बदनामी अपने माथे पर कैसे ले सकता है? माफियाओं, तस्करों, अपहरणकर्ताओं, जाली पासपोर्ट बनाने वालों, वर्जित हथियारों की खरीद-फरोख्त आदि से जुड़े अनेक लोग अवैध धंधे कर रहे हैं। ऐसी अनेक गतिविधियों में हमारा समाज जकड़ता चला जा रहा है। भारत में बाज़ार का वर्चस्व बढ़ता चला गया है। ऐसा बाज़ार जो एक ताकत बन कर उभरा हो जिसका मकसद हर सूरत में धन कमाना है। उचित-अनुचित, जायज़-नाजायज़, नैतिकता-अनैतिकता को लेकर बाज़ार की ताकत सिर नहीं खपाती। क्षेत्रीय विषमता और सामाजिक असमानता के कारण भी असंतोष फैलता है जिसका लाभ मुनाफाखोर ताकतें उठाती हैं।