अथ स्नान कथा

जिस रीति से शरीर निर्विकार और स्वच्छ हो सके, उसी को स्नान कहते हैं। शरीर को स्वच्छ और निर्विकार बनाना स्नान क्रि या के अंतर्गत आता है।
पानी से नहाने की क्रि या मनुष्य की उच्च कोटि की प्रथा है। मनुष्य पानी से नहाने का आदी है। नहाने से शरीर स्वच्छ होता है। शरीर में रक्त प्रवाह अच्छी तरह होता है, सुस्ती मिटती है। अच्छे विचार आते हैं।
घर से बाहर जाने से पहले नहाना चाहिए। नहाता सिर्फ मनुष्य ही है। पशु-पक्षी कभी नहीं नहाते, फिर भी कैसी चमक होती है इनकी त्वचा में। मनुष्य कितना भी नहाये परंतु उसमें न नहाने वाले पशु पक्षी की त्वचा जैसी चमक नहीं आ सकती।
जल से पूरा शरीर धोना नहाना कहलाता है। कुछ लोग नियमपूर्वक नित्य नहाते हैं। कुछ लोग अनियमित नहाते हैं। नियमित नहाने वाले को बगैर नहाए अच्छा नहीं लगता। नित्य नहाना सभी को माफिक नहीं पड़ता। कोई जुम्मे के जुम्मे नहाता है तो कोई छुट्टी के दिन नहीं नहाता। मरीज को नहाने की सख्त मनाई है। ऐसे लोगों को अर्ध-स्नान (हाफ बाथ) लेना उचित है।
नहाने के तरीकों में भी विभिन्नता है। साधारण लोग प्लास्टिक मग से नहाते हैं तो कुछ लोग लोटा डुबोकर पानी उंड़ेल लेते हैं। कुछ साबुन मलकर नहाते हैं तो कुछ मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग एक बाल्टी पानी में नहा लेते हैं तो कुछ लोगों का बीसियों बाल्टियां उड़ेलने पर भी स्नान पूरा नहीं होता। बड़े लोगों का नहाना भी एक बड़ी बात है। नहाने में भी सम्पन्न लोगों की सम्पन्नता टपकती है। वे लोग टब में नहाते हैं। सुगंधित स्नान और शावर बाथ भी लेते हैं। श्वांस रोककर और श्वांस छोड़ते हुए नहाने वाले भी मिल जायेंगे। पंडित लोग मंत्रोच्चारण करते हुए नहाते हैं तो कुछ हर-हर गंगे करते हैं।
नहाने के भी अनेकों स्थान हैं, जैसे-कुआं, सरकारी पंप, नदी के घाट, तालाब, समुद्र, अन्य ओपन स्पेस, स्नानशाला आदि। रिजर्व माइंड के लोग बंद कमरे में नहाना पसंद करते हैं तो ओपन माइंड के लोग ओपन स्पेस में नहाने का आनंद लूटते हैं। ओपन माइंड के चतुर सुजान-यदि तैरना जानते हो तो ही नदी में उतरकर नहाइए वरना नदी का घाट ही अच्छा और जितनी देर पानी में रहो, उतनी देर तक मगर से बैर करना उचित नहीं। अच्छा तैरने वाला ही अच्छा नहा सकता है और तैर कर नहाने का आनंद उठा सकता है। अच्छा तैरिये-अच्छा नहाइए। यह एक लाभकारी कसरत भी है और उत्तम स्नान भी।
आजकल हर घर में स्नानघर हो गए हैं। इसे नहाने का कमरा, गुसलखाना या हमाम भी कहते हैं। हिन्दु विचारों के स्नानगृह में स्नान करते हैं। हमाम या गुसलखाने में अरेबियन नहाते हैं, यूरोपियन बाथरूम में बाथ लेते हैं। ब्रिटिश भारत में आए और नहाना सीख गए। जब तक भारत में रहे, खूब नहाते रहे।
इतिहास से मालूम होता है कि राजा-महाराजाओं के जमाने में राजा-महाराजा, रानियां- महारानियां- राजकुमारियां नहाती नहीं थी। इन्हें नहलाया जाता था। इन्हें नहलाने के लिए एक टीम होती थी, जिन्हें नहलाने का पारिश्रमिक सुचारू रूप से दिया जाता था। जब टीम नहलाती थी तो ये नहाते थे, जब नहीं नहलाती तो नहीं नहाते थे। जिस दिन टीम को अन्य काम दे दिया जाता था, इनका नहाना टल जाता था।
फिल्मी सितारों का नहाना सबसे अलग होता है। फिल्मी हीरो चुपचाप कभी नहीं नहाता। वह कभी घर की छत पर नहाता है, फ्लैट के टेरेस पर नहाता है तो कभी बगीचे में नहाता है। नहाते समय वह गाना अवश्य गाता है। हीरोइन ऐसी जगह नहाना पसंद करती है जहां से सारे लोग उसे और उसके नहाने के अंदाज को देख सकें।
विद्या प्राप्त करने वाले को विद्यार्थी कहते हैं। स्नान करने के इच्छुक को स्नानार्थी कहते हैं। कुछ लोग एकमेव स्नानार्थी होते हैं, कुछ लोग सामूहिक स्नानार्थी होते हैं। माघ स्नान, कार्तिक स्नान, मकर संक्र ांति स्नान, कुंभ स्नान ये सारे के सारे सामूहिक स्नान हैं। पाप धोने के लिए भी जल से शरीर धोने का नियम है।
नहाने की अगर क्रिया न होती तो राजा के मुकुट में मिलावट की पहेली का हल आर्किमिडीज़ को हरगिज न मिलता। धन्य है नहाने का काम जिसने आर्किमिडीज़ सिद्धांत को जन्म दिया।
नहाने के बारे में सबका अलग-अलग मत है। नंगा नहायेगा क्या, निचोड़ेगा क्या? हमारी तो राय है कि सिर्फ तन का मैल साफ करने से कुछ नहीं होगा? जब मन का मैल मिटेगा-तब होगा 100 प्रतिशत संपूर्ण स्नान। (अदिति)