तृतीय विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी दिख रही है दुनिया 


यूक्रेन में शुरू हुए युद्ध को अब देखते-देखते करीब एक साल होने जा रहा है। यूरोप में अब ठंड अपनी रंगत दिखाने लगी है। रूस अपनी आक्रामकता में कोई कमी नहीं दिखा रहा है। युद्ध का परिणाम अभी भी अनिश्चितता के गर्त में छुपा हुआ है क्योंकि यह युद्ध अब किसी भी हाल में यूक्रेन और रूस के बीच का नहीं रह गया है। यूक्रेन की तरफ  से अमरीका और नाटो के देश अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। इधर रूस के साथ ईरान और चीन के अलावा चेचन्या आदि के लड़ाके भी युद्ध में कूद पड़े हैं।चीन रूस को नैतिक समर्थन दे रहा है तो ईरान उसे ड्रोन की मदद कर रहा है, लेकिन युद्ध के समाप्त नहीं होने की स्थिति में यूक्रेन का एक एक शहर धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। हाथ कंपाने वाली ठंड में सैनिकों का लगातार मनोबल बनाये रखना बेहद मुश्किल कार्य है। फिर भी दोनों तरफ  के सैनिक अपने देश के लिए लोहा लेने को तैयार बैठे हैं। 
रूस को यह कतई अंदाज़ा नहीं था कि युद्ध इतना लम्बा चलेगा। रूस के युद्ध रणनीतिकार यह आकलन करके बैठे थे कि एक से दो महीने में यूक्रेन पर कब्जा कर लेंगे परंतु उनका अनुमान पूरी तरह गलत साबित हुआ। यूक्रेन को नाटो और अमेरिका के साथ ने थोड़ी मजबूती प्रदान कर दी और दूसरे यूक्रेन के सैनिक भी किसी भी हाल में घुटने टेकने को तैयार नहीं हुए। यह एक राष्ट्र के लिए बहुत बड़ी बात होती है जब उस देश के सैनिक देशभक्ति के जज़्बे के साथ अपने दुश्मन देश से लोहा लेने को तैयार रहें। रूस की स्थिति युद्ध की वजह से बहुत असमंजस वाली हो गई है। अब वह किसी भी हालत में जल्द से जल्द युद्ध खत्म करना चाहता है क्योंकि उसे भी युद्ध में बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन की खीझ बढ़ती जा रही है। उन्हें भी अपने देश की जनता को जवाब देना होगा कि युद्ध के बेनतीजा रहने की स्थिति में रूस को जो नुकसान हुआ उसका जिम्मेदार कौन होगा। 
रूस में युद्ध को लेकर वहाँ की जनता में असंतोष उभरता जा रहा है। अगर युद्ध और लम्बा खिंचा तो यह तय है कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हमला करने से नहीं चूकेगा और ऐसी स्थिति में अमरीका और नाटो देशों की क्या प्रतिक्त्रिया होगी, इसका आकलन अभी लगाना मुश्किल है। अगर रूस पर भी परमाणु हमला करने की कोशिश की गई तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। जब अमरीका ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया था उस समय की स्थिति कुछ और थी लेकिन आज की  स्थिति कुछ और है। उस समय जापान के पास अमरीका के परमाणु हमले का जवाब देने की स्थिति नहीं थी लेकिन आज पूरा परिदृश्य बदल चुका है। यह सच है कि यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है परंतु आज आनन फानन में उसे परमाणु हथियार भी मुहैया कराया जा सकता है। 
परमाणु हमले की स्थिति में विश्व निश्चित तौर पर दो खेमों में बंट जाएगा और युद्ध की विभीषिका बहुत खतरनाक मोड़ अख्तियार कर लेगी। एक बार परमाणु युद्ध शुरू होने के बाद वह कहां जाकर खत्म होगा, इसका अभी से अनुमान लगाना नामुमकिन है परन्तु इतना तय है कि एक परमाणु हमला पूरे विश्व को तृतीय विश्व युद्ध में धकेल देगा और इससे पूरी दुनिया में जानमाल की जो हानि होगी, उससे पूरे विश्व का नक्शा ही बदल जायेगा। परमाणु युद्ध की स्थिति में एक बार तो पृथ्वी का तापमान ज़रूर बढ़ेगा लेकिन उसके बाद पूरा विश्व ठंड से प्रभावित हो जाएगा। विश्व के कई हिस्सों में सूर्य का दिखना बंद हो जाएगा। आधे से अधिक हिस्सा धरती का सैकड़ों वर्षों तक अंधेरे में डूब जाएगा। 
आज हर कोई परमाणु युद्ध से होने वाले विनाशकारी परिणामों से अवगत है। यह भी तय है कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग दशकों तक चलती रह सकती है जिसके फलस्वरूप विश्व की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से तबाह होगी। अभी इसका प्रभाव इसलिए नहीं दिखाई दे रहा है कि हर देश के पास अपने रिजर्व हैं लेकिन ये बहुत दिनों तक नहीं रहने वाले हैं। तेल और गैस के दामों में आने वाले समय में अचानक बहुत वृद्धि होगी। हाँ इसमें अभी दो चार साल लग सकते हैं लेकिन एक बार जब विश्व उस मुहाने पर पहुंच गया तो पूरे विश्व को एक जबरदस्त आर्थिक तंगी से गुजरना होगा। उसके बाद विकासशील देशों की हालत बहुत खराब हो जाएगी। आज कोई इस गफलत में ना रहे कि अगर हमारा देश युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं है तो देश सुरक्षित है बल्कि आज पूरा विश्व आर्थिक रूप से एक-दूसरे से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है।अगर रूस की स्थिति खराब होती है तो उससे मिलने वाले हथियारों की कीमत बढ़ जाएगी। रूस से मिलने वाली गैस के लिए यूरोपीय देशों को बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है जिसका नतीजा यह होगा कि यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति खराब होगी और उसका बुरा परिणाम विश्व में सभी को उठाना पड़ सकता है। 
आज रूस के लिए बहुत दुविधा की स्थिति है। अगर वह युद्ध से अपने पांव वापस खींचता है तो उसकी साख गिर जाएगी, और अगर युद्ध में उलझा रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति आज या कल लड़खड़ाने लगेगी। वैसे भी उस पर बहुत तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाया जा चुके हैं। यह अलग बात है कि अभी रूस पर इसका कोई सीधा असर नहीं पड़ रहा है लेकिन इस स्थिति को बदलने में ज्यादा वक्त नहीं लगने वाला। रूस के पास युद्ध को जल्द समाप्त करने का एक ही रास्ता है कि वह यूक्रेन पर परमाणु हमला करके यूक्रेन को घुटनों पर ले आये। अगर यूक्रेन उसके बाद समर्पण की स्थिति में आ जाये तो ठीक है लेकिन अगर नाटो या अमरीका रूस के जवाब में युद्ध में उतरे, तब तो तृतीय विश्व युद्ध को कोई नहीं टाल सकता। आज पूरा विश्व टकटकी लगाए यूक्रेन और रूस के बीच होने वाले युद्ध पर नजरें जमाये बैठा है। देखें, ऊँट किस करवट बैठता है। (युवराज)