मच्छरों का चिंतन मनन


नाले  के मच्छर अलग से बहुत ही चिंतित थे। कूलर के साफ पानी में पैदा हुए मच्छर कुछ ज्यादा ही अपने आप को उच्च श्रेणी का मानने लगे थे....गमले तथा पुराने टीन और कनस्तर में पैदा हुए मच्छर अपने को मध्यम श्रेणी का अपने आप घोषित कर लिए थे.... फिर भी एक दूसरे का सम्मान था एक दूसरे के लिए....उनके शत्रु एक थे अत: सभी  साथ-साथ की तर्ज पर साथ थे..... अब वह कोई इन्सान तो थे नहीं कि कोई गरीब है तो उसे दुत्कार दिया जाए... या मतलब निकल जाने पर उससे मुंह मोड़ लिया जाए। अत: सभी मच्छरों ने एक बेहद अति आवश्यक सभा बुलाई थी। सभी मच्छर आए थे सभी दिशाओं से... चर्चा का विषय था अपनी सुरक्षा अपना स्वाभिमान... उस सभा में एक मोटा ताजा सभी मच्छरों का नेता उठा और माइक पकड़ कर बोला...भाइयो एवं बहनों हम लोगों का मन पसंदीदा मौसम बरसात आ गया है... हमें अपने वंश वृद्धि और अपने जनसंख्या बढ़ाने के लक्ष्य पर लग जाना चाहिए क्योंकि बरसात का मौसम हम लोगों के प्रजनन और वृद्धि के लिए सबसे अनुकूल होता है। हम लोगों को अपनी जनसंख्या भरपूर मात्रा में बढ़ानी है जिससे पूरी पृथ्वी पर हम लोगों का राज हो सके। आप प्रेरणा स्वरूप इन्सानों को देख सकते हैं कैसे इन्होंने अपनी जनसंख्या जबरदस्त मात्रा में बढ़़ा ली है ।जिधर देखो उधर इंसान ही इन्सान...हम मच्छरों का तो कोई अस्तित्व ही नहीं बच रहा... और हमें अपनी सुरक्षा भी करनी है। सभी इन्सान सभी वैज्ञानिक इसी फिराक में लगे रहते हैं कि किस तरह हम लोगों को समाप्त किया जाए... एकता बनी रहनी चाहिए... ।
एक मरियल सा मच्छर सभा में उठकर बोला...परंतु आदरणीय यह इन्सान कॉइल, ओडोमास ऑल आउट, कछुआ इत्यादि इस्तेमाल करते हैं तो थोड़ी बहुत खुजली होने लगती है। कुछ देर के लिए मन खराब हो जाता है। इसका कोई उपाय बताएं। मोटा ताजा मच्छर गंभीर होकर बोला ...चिंता ना करो इन्सानों की मिलावट खोरी और नगरपालिका के भ्रष्ट कर्मचारियों पर भरोसा रखो... हम लोगों को इन छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान ना देकर अपनी संतति बढ़ाने और अपनी सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है... एक भी मच्छर बेमौत नहीं मरना चाहिए। इससे पूर्व हमें भी कई-कई इन्सानों को डंक तो अवश्य मारना चाहिए आखिर हम लोग भगवान के बनाए हुए प्राणी हैं, जीवन का कुछ तो मूल्य है। इन्हीं सब बातों का चिंतन मनन करते हुए सभा का विसर्जन हुआ।
-बलिया (यूपी)