आपसी विवाद हल कर विकास के पथ पर आगे बढ़ें पड़ोसी राज्य

देश के पड़ोसी राज्य में जिस प्रकार किसी न किसी मामले को लेकर विवाद चल रहे हैं, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। पिछले दिनों असम-मेघालय सीमा पर कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को असम के वनकर्मियों ने रोका, जिसके बाद भड़की हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई। क्या यह इतना गंभीर मसला था कि छह लोगों की जान ही चली गई। इस बिन्दु पर सभी पक्षों को मिल-बैठकर सोचना होगा। 
असम और मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लम्बी सीमा है और सीमा के कई भागों में विवाद चल भी रहा है। इन दोनों राज्यों ने सीमा विवाद को खत्म करते हुए एक  समझौता भी किया, इसके बावजूद हिंसा हुई। पर सिर्फ  असम-मेघलाय ही नहीं लड़ रहे हैं। असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच भी सीमा विवाद है। इन दोनों के बीच भी करीब 804 किलोमीटर लम्बी सीमा है। अरुणाचल की शिकायत यह है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के पुनर्गठन के दौरान मैदानी इलाकों में कई वन क्षेत्र असम में  स्थानांतरित हो गए, जो परम्परागत रूप से पहाड़ी आदिवासियों के थे। हालांकि पूर्व में भी एक त्रिपक्षीय समिति ने सिफरिश की थी कि असम के कुछ क्षेत्रों को अरुणाचल में शामिल कर दिया जाए। इसके विरोध में असम ने सुप्रीम कोर्ट में मुकद्दमा दायर कर दिया और मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच परवाणू में एक अंतर्राज्यीय सीमा विवाद है। सर्वे ऑफ  इंडिया की हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश ने परवाणू में हरियाणा की कुछ जमीन पर नियंत्रण कर लिया है। इसके साथ ही लेह-मनाली राजमार्ग पर स्थित सरचू लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के बीच एक विवादित क्षेत्र है। यह जगह हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति और लद्दाख के लेह ज़िले के बीच है।
पंजाब और हरियाणा सतलुज-यमुना लिंक नहर के जल के बंटवारे के मुद्दे पर लगातार आमने-सामने रहते हैं। सन् 1966 से पहले हरियाणा पंजाब का ही एक अंग था। अब जल बंटवारे पर दोनों के बीच विवाद जारी  है।  हरियाणा का तर्क रहा है कि सतुलज-यमुना नहर के पानी पर राज्य का अधिकार है और राज्य किसी भी कीमत पर इस पर दावा नहीं छोड़ेंगा। सतुलज-यमुना नहर का पानी हरियाणा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पानी हरियाणा को नहीं मिल रहा है। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि पंजाब के पास अपने लिए ही पानी नहीं है। पानी के बंटवारे पर छतीसगढ़ और उड़ीसा भी लड़ते रहे हैं। 
दोनों राज्यों की जनता के लिए जीवनदायनी महानदी के जल के बंटवारे के मसले पर इन राज्यों के बीच तलवारें खींची रहती हैं। ओडिशा में स्थानीय राजनीतिक दल लगातार बंद का आह्वान कर रहे हैं, तो छत्तीसगढ़ में भी लोग ओडिशा के खिलाफ  सड़कों पर उतरते रहते हैं। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अरपाए भैंसाझार बांध परियोजना के निर्माण से ओडिशा सरकार नाराज है। उसका मानना है कि इस बांध के निर्माण से राज्य के कई इलाकों में सूखे के हालात बनेंगे, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि वह सिर्फ  महानदी का बैक वॉटर रोक रहा है। महानदी छत्तीसगढ़ महासमंद के अंतिम छोर से निकलकर ओडिशा की ओर बहती है, फिर यह भुवनेश्वर और पुरी के बीच समुद्र में मिल जाती है। सारा देश जानता है कि तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में भी विवाद रहता है। पृथक तेलंगाना को लेकर चलने वाले आंदोलन के समय से ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के नेताओं और जनता में दूरियां बढ़ने लगी थीं। एक-दूसरे से शिकायतों के दौर शुरू हो गए थे। तब ही लग रहा था कि ये राज्य आपस में मिल-जुलकर शायद न रह पाएं। वह सब अब सामने आ रहा है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगाम पर दशकों से सीमा विवाद चल रहा है। बेलगाम मराठी बहुल इलाका है, लेकिन कर्नाटक राज्य में आता है। महाराष्ट्र लम्बे समय से बेलगाम के अपने में विलय की मांग करता रहा है। कुछ समय पहले इस मुद्दे पर आंदोलन करने वाले मराठी भाषियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था। लाठीचार्ज का महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों ने विरोध किया था। महाराष्ट्र के सभी दल बेलगाम और आसपास के इलाकों को महाराष्ट्र में मिलाने या केंद्र शासित घोषित करने की मांग करते रहे हैं। इस बीच महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार कर्नाटक के साथ महाराष्ट्र के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में भिड़ने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उसने अपने दो वरिष्ठ मंत्रियों को कानूनी टीम से तालमेल की जिम्मेदारी सौंपी है।
 सबसे आदर्श स्थिति तो यह होगी पड़ोसी राज्य एक-दूसरे के खिलाफ  कटुता रखने या फैलाने की बजाय अपने प्रदेशों के चौतरफा विकास पर ही ज्यादा फोकस करें। अपने यहां पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक-दूसरे से आगे बढ़ने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते। पड़ोसी राज्यों को आपसी विवाद बातचीत करके खत्म करने चाहिए। विवादों के समाधान हेतु सबको मिलकर गंभीरता से प्रयास करने चाहिए।