जासूसी भी करते हैं  चमगादड


चमगादड़ को अंधेरी दुनिया का अलबेला राजकुमार भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपनी धुन में इधर-उधर सैंकड़ों चक्कर काटता रहता है। संसार के विभिन्न हिस्सों में किस्म-किस्म के चमगादड़ दिखाई देते है। आइए आपको इनकी दुनिया की सैर कराते है।
जीव विज्ञान की नवीनतम खोजों से इनके 1300 जातियों के अस्तित्व में होने की बात पता चली है। ये काले वर्ण के अलावा भूरे, चितकबरे, लाल, सफेद, हरे व नीले रंग के भी होते हैं। अमरीका के शोधकर्ताओं के अनुसार चमगादड़ों की सुनने की क्षमता अधिक होती है। खून चूसने वाले और फल खाने वाले चमगादड़ धरती की 60 फुट की ऊंचाई से भी प्रति सेकण्ड की आवाजें सुन सकते है। अमरीका में तो पालतू चमगादड़ों द्वारा जासूसी के विभिन्न भेदों का पता भी लगाया जाता है। आज से एक दशक पूर्व चमगादड़ के उड़ान की ठीक-ठीक गति विदित करने के लिए न्यूयार्क में एक प्रयोग किया गया था। एक कृतिम खान सुरंग बनाई गई और उसमें 650 भिन्न-भिन्न नसल के चमगादड़ों को उड़ाया गया। इस समतल उड़ान में कुल आठ चमगादड़ों की गति ही 16 मील प्रति घंटा से अधिक पाई गई। 
ब्राजील के फ्री टेल्ड चमगादड़ 36 मील प्रति घंटा की गति से उड़ान भरते हैं। इसी तरह चीन के ‘प्रिन्स’ चमगादड़ अपना शिकार मुख में दबाए 30 से 38 मील की उड़ान मात्र एक घंटे में तय कर लेते हैं।
चमगादड़ों की सभी जातियों में भारतीय ‘फ्लाइंग फॉक्स’ की उम्र सबसे अधिक है। इस जाति का एक नमूना 33 वर्षों तक ‘लंदन जू’ में रहा।
बिस्मार्क द्वीप समूह और न्यूमिनी के बिस्मार्क फलाइंग फॉक्स के पंखों का फैलाव सबसे अधिक होता है। उत्तरी अफ्रीका में कुछ ऐसे चमगादड़ भी है, जिनके पंख की लम्बाई 183 से.मी. तक होती है। ये उड़ते वक्त एक डरावनी आवाज भी निकालते हैं।
जापान की पहाड़ी गुफाओं में लाल रंग के चमगादड़ हैं। ये अक्सर छिपकली और छोटे मोटे पक्षियों को अपना शिकार बनाकर उनका खून चूसा करते हैं। यहां के आदिवासी इन्हें ‘खून चमगादड़’ भी कहते है। थाईलैंड के जंगलों में भूरे तथा चितकबरे चमगादड़ पाए जाते है। ये अक्सर पुराने वृक्षों के खोखल में समूह में निवास करते हैं। रात्रि में इनकी आंखे हीरे की तरह चमकती रहती है।
मलेशिया में तो दुर्लभ नस्ल ‘ऐस्नीओ’ के ऐसे चमगादड़ है, जिनकी आकृति चिड़िया की तरह है, तथा पंखों का रंग सुनहरा है। यहां के निवासी इन्हें सुनहरी चिड़िया कहते है।