कोरोना को लेकर 2020 की गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए

चीन में कोविड के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन बीएफ-7 के प्रकोप के बाद दुनिया के बाकी हिस्सों को खतरा पैदा हो गया है। गणितीय मॉडल 2023 की शुरुआत में, अब से 90 दिनों के भीतर, दस लाख या अधिक मौतों की भविष्यवाणी कर रहे हैं। वैज्ञानियों का अनुमान है कि चीन की 60 प्रतिशत आबादी और दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी के संक्रमित होने की संभावना है। यह नया संकट दुनिया को हिला सकता है, और भारत भी इससे बच नहीं सकता, जैसा कि हमने तीन साल पहले वुहान के प्रकोप के बाद अनुभव किया था। नये संक्रमणों में अचानक उछाल जापान, दक्षिण कोरिया, ब्राज़ील और अमरीका में भी देखा गया है। भारत में भी नये वेरिएंट से पीड़ित मरीज़ सामने आए। 
अब उन गलतियों को नहीं दोहराया जाना चाहिए जो 2020 में और उसके बाद की थी। भारत में प्रवेश करने वाले प्रत्येक बिंदु पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए। नये संक्रमण और संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना और इससे निपटने की रणनीति तुरंत लागू होनी चाहिए, साथ ही संकट के सभी पहलुओं से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति भी होनी चाहिए, क्योंकि चीन में अब जो हो रहा है, उससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने की सबसे अधिक संभावना है, जिस पर कई भारतीय उद्योग उत्पादन के लिए निर्भर करते हैं, जिसमें स्वास्थ्य से संबंधित उद्योग शामिल हैं।
भारत को ओमिक्रॉन के नये संस्करण के प्रसार की तेज गति पर ध्यान देना चाहिए जिसने बीजिंग में तबाही मचाई हुई है। 7 दिसम्बर को पाबंदियों में ढील दिये जाने के बाद सिर्फ 10 दिन लगे ऐसी स्थिति आने में। इससे खाद्य पदार्थ, सर्दी से बचाव के उपकरण, दवा और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य चीजों की खरीदारी हेतु होड़ मच गई है। कोई नहीं जानता कि वास्तव में वहां क्या हो रहा है क्योंकि वहां की सरकार ने दैनिक संक्रमण डेटा की पूरी रिपोर्टिंग बंद कर दी है और कोविड-19 ट्रैकिंग ऐप को निष्क्रिय कर दिया है।
चीन से जो जानकारियां सामने आ रही हैं, वह भारत के लिए आगे आने वाली चुनौतियों का संकेत दे रही हैं। लगभग 90 प्रतिशत लोगों को वहां पहले ही कोरोना वायरस के खिलाफ टीकों की दोहरी खुराक मिल चुकी है, जबकि लगभग 50 प्रतिशत को बूस्टर की तीसरी खुराक मिल चुकी है। 60 साल से अधिक लोगों में से 69 फीसदी को बूस्टर डोज़ मिले हैं। इसके बावजूद नये संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित नहीं किया जा सका। अस्तपतालों, कब्रिस्तान और श्मशान घाट में भी जगह नहीं मिल पा रही है। भारत को टीकाकरण के मोर्चे पर और रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म करने वाले घातक नये ऑमिक्रॉन वैरिएंट पर सतर्क रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना को लेकर का उच्च स्तरीय बैठक में पूरी सावधानी बरतने व सतर्क रहने को कहा है। इससे एक दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने निर्देश जारी किये थे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र ने नोटिस जारी कर जीनोम अनुक्रमण करने को कहा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि इस तरह की कवायद देश में चल रहे  कोविड-19 वायरसों, यदि कोई हो, का समय पर पता लगाने में सक्षम होगी और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने की सुविधा प्रदान करेगी।
भारत अब तक टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण तथा कोविड उपयुक्त व्यवहार की पांच रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर कोरोना वायरस के संचरण को रोकने में सक्षम रहा है, जो अब लगभग 1200 मामले साप्ताहिक हैं। देश में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 129 नये मामले सामने आये हैं और एक मौत हुई है। जगह-जगह काफी ढील दी गयी है जिसमें मास्क पहनना भी अनिवार्य नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कल शीर्ष अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक भी की ताकि कोविड-19 संक्रमण के किसी नये प्रकोप को रोकने की रणनीति तैयार की जा सके। बैठक में सभी लोग मास्क पहने नजर आये।
छह बिंदुओं की पहचान की गयी है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू हवाई अड्डों और देश में अन्य प्रवेश बिंदुओं पर आने वाले मामलों को रोकने की रणनीति, विदेश से यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए दिशा-निर्देश तय करना और नये वैरिएंट पर विशेषज्ञों से परामर्श करना शामिल हैं। कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने कहा है, ‘यह एक महत्वपूर्ण बात है कि हम चीनी स्थिति पर कड़ी निगरानी रखें। लेकिन मैं कहूंगा कि घबराने की कोई बात नहीं है। ज्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।’
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि उनकी भारत जोड़ो यात्रा में कोविड नियमों का पालन किया जाये या उन्हें राष्ट्र के हित में यात्रा के अगले पड़ाव को टाल देना चाहिए। 
जनाकारी के अनुसार देश भर में लगभग 50 प्रयोगशालाएं ही हैं जो जीनोम सीक्वेंसिंग करती हैं। राज्यों और केंद ्रशासित प्रदेशों को नवीनतम सलाह प्रयोगशालाओं की वृद्धि के साथ नहीं आयी है। दूसरे, चुनिंदा नमूनों को ही सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों का रेंडम टेस्ट किया जा रहा है और उनमें पॉजिटिव मामलों की पहचान करीब 2 फीसदी है। नामित स्थानों से ही नमूने एकत्र किए जाते हैं, जिसमें समुदाय में क्लस्टर-प्रकोप वाले स्थान भी हैं। ये प्रयोगशालाएं सीवेज सिस्टम में वायरल आरएनए का भी परीक्षण कर रही हैं। जाहिर है, हमें अब प्रयोगशालाओं की संख्या तेजी से बढ़ाने की ज़रूरत है।
जहां तक बढ़ी हुई निगरानी की बात है, अभी तक अंतर्राष्ट्रीय आगमन के लिए प्रोटोकॉल में कोई बदलाव नहीं किया गया है। भारत अभी भी पुराने प्रोटोकॉल के तहत है, जिसने पिछले महीने नकारात्मक आरटी-पीसीआर या पूर्ण टीकाकरण प्रमाण-पत्र की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। इतना धीमा निर्णय चीन के वायरस को भारत में तेजी से फैलने से नहीं रोक सकता है, क्योंकि पड़ोसी देश चीन में एक पखवाड़े के दु:स्वप्न के बावजूद देश में नये संक्रमण के प्रवेश को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है।
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि महामारी के लगभग तीन साल के दौरान हम ऐसी स्थिति में हैं जहां उच्च प्राकृतिक संक्रमण हुआ है, और टीकों का कवरेज भी अधिक है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि भारत चीन जैसी स्थिति न देखे। जो भी हो, देश में कोरोना नियमों में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। (संवाद)