प्रतियोगी परीक्षाओं की भंग होती पवित्रता


देश में प्रतियोगी और बोर्ड परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक होने की खबरें सुर्खियों में बनी रहती हैं। बीते दिनों राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और बिहार में भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हो गये। प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के चलते लाखों युवाओं का भविष्य अधर में झूलने लगा है। प्रश्न पत्र लीक होने के तमाम मामले सामने आ चुके हैं, बावजूद सवाल यह है कि कैसे पेपर लीक हो जाता है, जो कि शासन और ज़िला प्रशासन की कड़ी निगरानी में रखा जाता है। आखिर परीक्षा व्यवस्था में उनके अनुकूल छिद्र छोड़ देने का दोष किस पर मड़ा जायेगा और क्या उसका शमन इतने से ही हो जायेगा कि टास्क फोर्स जिसे भी धर दबोचे, उस पर रासुका व गैंगस्टर लगा दे? इस तरह कुछ छोटी मछलियां जरूर फंस जायेंगी लेकिन बड़ी मछलियां तो गुल खिलाती ही रहेंगी और इस सवाल का जवाब शायद कभी न मिले।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सीनियर टीचर (माध्यमिक शिक्षा विभाग) परीक्षा-2022 का सामान्य ज्ञान का पेपर लीक हो गया। पुलिस ने एक बस से 40-45 ऐसे युवकों को पकड़ा है, जिनके पास पेपर मिले हैं। इनके पास मिले पेपर से एग्जाम का कंटेंट मैच हुआ है। वहीं हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग की 25 दिसम्बर को होने वाली पोस्ट कोड 965 जेओए आईटी भर्ती की लिखित परीक्षा से दो दिन पहले पेपर लीक हो गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। आयोग ने परीक्षा भी रद्द कर दी है। बिहार में बीएसएससी तृतीय स्नातक की परीक्षा का पेपर कैंडिडेट्स के एग्जाम सेंटर पर बैठते ही बाहर आ गया। पेपर सोशल मीडिया पर वायरल भी होने लगा। यह परीक्षा दो दिन तक दो-दो शिफ्ट में होनी है। इसमें 9 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स शामिल हो रहे हैं। यह वैकेंसी आठ साल बाद आई है।
यह पहली बार नहीं जब किसी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ हो। इससे पहले भी कई बार पेपर लीक हो चुके हैं जोकि सभी के लिए चिंता का विषय है। पिछले साल नवम्बर में उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) का पर्चा लीक होने के बाद खूब हंगामा मचा था। पर्चा लीक होने के कारण परीक्षा स्थगित कर दी गई थी। वर्ष 2021 में राजस्थान में रीट.2021 का पेपर लीक होने पर खूब बवाल मचा था।  मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 40 से अधिक परीक्षा माफिया सक्रिय हैं। इनके गुर्गे डमी अभ्यर्थी ढूंढते हैं। साथ ही सॉल्वर ढूंढना, हाईटेक उपकरण खरीदी, सेंटर को पर्चा लीक करने के लिए तैयार करना भी इन्हीं के जिम्मा होता है। राजस्थान में पिछले 11 साल में 38 से ज्यादा बड़ी परीक्षाओं में पर्चे लीक हो चुके। हाल में नीट व एसआई भर्ती के भी पेपर लीक होने की बात सामने आई है। पिछले साल अगस्त में हरियाणा पुलिस कांस्टेबल भर्ती का पेपर लीक हुआ था। इस मामले में इंडियन नेशनल लोकदल के नेता एवं सदन में पूर्व विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने प्रैस के सामने कहा था कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह 28वां मौका था जब भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ है।
वर्ष 2017 में यूपी में दारोगा पद के लिए हो रही ऑनलाइन परीक्षा के लिए प्रदेश के 22 ज़िलों में परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे। 25 और 26 जुलाई को तकरीबन 1 लाख 20 हजार आवेदकों को परीक्षा देनी थी, लेकिन पेपर लीक होने की वजह से इसे निरस्त कर दिया गया था। 2 फरवरी 2018 में यूपीपीसीएल पेपर लीक का मामला सामने आने पर जूनियर इंजीनियर (जेई) परीक्षा को निरस्त कर दिया गया था। जुलाई 2018 में अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। 2 सितम्बर 2018 को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तहत ही नलकूप ऑपरेटरों की भर्ती के लिए होने वाला पेपर आउट हो गया था।
जमीनी सच्चाई यह है कि देश में नकल का कारोबार बहुत बड़े व्यवसाय के रूप में विकसित हो गया है। बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर्स और प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता भी कुछ मामलों में मिली है। फिर भी पकड़ में आने पर भी सख्त कार्रवाई नहीं होती।  एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में पिछले 11 साल में हर साल पेपर लीक के औसतन 150 केस दर्ज हुए हैं लेकिन सजा किसी को भी नहीं हुई है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सम्बन्धित अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना इस तरह प्रश्नपत्र का आउट होना संभव है? अनेक वारदातों के बावजूद विभिन्न राज्यों की पुलिस और प्रशासन प्रश्नपत्र लीक या आउट की समस्या की जड़ तक नहीं पहुंच पाता है और उसकी हर पुनरावृत्ति के वक्त सोती हुई पकड़ी जाती व चौंककर कड़ी कार्रवाइयों की घोषणाएं करने लग जाती है तो क्या इसे सामान्य मामला मानकर दरकिनार किया जा सकता है। पर्चा लीक होना दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, यह परीक्षार्थियों की उम्मीद पर पानी फेर देता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज के तकनीक के दौर में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप करके पेपर लीक जैसी घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है। इससे पेपर सेट होने और उसके परीक्षा केंद्र में वितरित होने के दौरान कम से कम व्यक्तियों का दखल होगा तो लीक होने की संभावना न के बराबर होगी। हालांकि इसके लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की जरूरत है। क्योंकि यहां सवाल लाखों युवाओं के भविष्य और सपनों का है। हर स्तर पर यह सुनिश्तित किया जाए की समूची प्रक्रिया में कोई कड़ी कमजोर न रहे, परीक्षा की गरिमा पर आंच न आए, प्रक्रिया और व्यवस्था में विश्वास बना रहे। (युवराज)