पाकि में हिंदुओं पर निरंतर बढ़ रहे हैं अत्याचार

हाल ही में सिंध के सिंझोरो ज़िले में एक 42 साल की हिंदू महिला का पहले सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी गई। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ  अपहरण से लेकर रेप और धर्मांतरण जैसे अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंझोरो कस्बे में एक 40 वर्षीय हिन्दू महिला के साथ ये हैवानियत की गई है। पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला सीनेटर कृष्णा कुमारी ने अपने आधिकारिक ट्वीट में लिखा, ‘दया भेल नाम की 40 साल की विधवा की बेरहमी से हत्या कर दी गई और शव बहुत बुरी हालत में मिला। उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया और दरिंदों ने पूरे सिर की खाल उतार दी। यह महिला भील समुदाय से थी और अपने चार बच्चों का एक मात्र सहारा थी। सिंध प्रांत के भीतरी इलाकों में युवा हिंदू लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन एक बड़ी समस्या बन गई है। थार, उमरकोट, मीरपुर खास, घोटकी और खैरपुर इलाकों में बड़ी संख्या में हिंदू आबादी है। अधिकांश हिंदू समुदाय के सदस्य मजदूर हैं।
दरअसल इस समय पाकिस्तान समेत कई देशों में ‘ईश निंदा’ काफी चर्चित है। यह एक भाषण व धार्मिक अपराध है, जिसमें देवता का अपमान व पवित्र मानी जाने वाली वस्तु का अनादर जैसी चीजें जुड़ीं होती हैं। कुछ धर्म ईशनिंदा को एक धार्मिक अपराध मानते हैं, खासकर इब्राहीमी धर्म। वहीं, इसके खिलाफ  सख्त कानून भी बने हैं। इसको अपराध मानने वाले 71 देशों में से 32 मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र हैं। हर जगह ईशनिंदा कानून की सजा अलग-अलग हैं। ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ब्रुनेई, मॉरिटानिया और सऊदी अरब में इस कानून के तहत मौत की सजा है। बता दें कि सऊदी अरब, ईरान, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान और अन्य देशों की तुलना में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून सबसे सख्त हैं। हाल के वर्षों में, इस कानून के तहत रिकॉर्ड संख्या में मामले दायर किए गए हैं, जिनमें अदालत के अंदर या बाहर मौत की सजा हो सकती है। पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क है और उन्होंने इस बात को गंभीरता से लिया है और यही कारण है कि वहां अल्पसंख्यकों का सफाया किया जा रहा है। अगर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या देखी जाए तो इसमें पिछले कुछ दशकों में अत्यंत तेज़ी से गिरावट आयी है। इसके कारण हैं हिन्दू-सिखों का अवैध और जबरन धर्मांतरण और उनकी हत्याएं, जिनका कोई हिसाब ही नहीं है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। 
इसके पूर्व सिंध प्रांत में 8 साल की हिंदू लड़की कविता भील के साथ क्रूरता का मामला सामने आया था। चौकाने वाली बात है कि यह घटना दिसम्बर 2021 में हुई थी, लेकिन पाकिस्तानी प्रशासन और मीडिया द्वारा इसे दबा दिया गया था। युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद मजहबी राक्षसों ने उसकी आंखें भी छीन लीं। लड़की हैदराबाद के सरकारी अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही है। एक हिंदू मानवाधिकार कार्यकर्ता ने लड़की का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इसमें पीड़िता को स्ट्रेचर पर देखा जा सकता है, जबकि उसके माता-पिता उसे अस्पताल परिसर के अंदर ले जा रहे थे। 
पुलिस के अनुसार पीड़ित लड़की भील समुदाय की है, और जिहादियों ने उसका अपहरण कर लिया था। इन राक्षसों ने पहले उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसका पूरा चेहरा बुरी तरह से खरोंच दिया और उसकी आंखें भी छीन लीं। यह घटना पाकिस्तान के सिंध प्रांत के उमरकोट शहर की है। इस कारण उसकी हालत बहुत नाजुक है, जिस कारण स्थानीय आपातकालीन अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे बीआईडीएस अस्पताल भेज दिया था। इसी साल जून में एक हिंदू किशोरी करीना कुमारी ने यहां एक अदालत को बताया था कि जबरन उसका धर्म बदलकर इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया और एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करा दी गई। इसी तरह मार्च में तीन हिंदू लड़कियों सतरन ओड, कविता भील और अनीता भील का अपहरण कर लिया गया, बाद में उनका भी जबरन धर्म इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया। घटना के आठ दिनों के भीतर ही मुस्लिम पुरुषों से उनकी शादी करवा दी। 
कट्टर इस्लामी धार्मिक निकायों के दबाव के कारण पाकिस्तान में अवयस्क हिन्दू लड़कियों के धर्मांतरण को रोकने के लिए बुनियादी कानून भी पारित नहीं हो पाते हैं। हालिया पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिंदू महिला की हत्या के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को अपनी साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पाकिस्तान से अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का आह्वान किया। एमई, के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमने इसको लेकर रिपोर्ट देखी है, लेकिन हमारे पास इसकी खास जानकारी नहीं है। हमने इस बात को दोहराया है कि पाकिस्तान को अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा और सुरक्षा करनी चाहिए। पर भारत सरकार को जानना चाहिए कि केवल कड़ी प्रतिक्रिया या विरोध प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा। हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पाकिस्तान को इस विषय पर कड़ी चेतावनी देना चाहिए व पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मामला विश्व स्तर पर उठाना चाहिए।