कुछ देशों में नया साल दो दिन क्यों मनाया जाता है?

 

‘दीदी, अब तो नया साल 2023 आने में कुछ दिन ही रह गये हैं। आपका उसे मनाने का क्या प्रोग्राम है?’
‘प्रोग्राम के बारे में तो अभी कुछ सोचा नहीं है। नये साल का स्वागत करना सबसे पुरानी परम्परा है और दुनियाभर में इसके जश्न मनाने की रस्म है। लेकिन इसके अतिरिक्त कोई दूसरा उत्सव ऐसा नहीं है जो बहुत सारी विभिन्न तिथियों पर या ढेर सारे विभिन्न तरीकों से मनाया जाता हो।’
‘अच्छा। यह बात तो मुझे मालूम ही नहीं थी। मगर किस तरह से?’
‘प्राचीन यूनानी 21 जून के बाद आने वाले नये चांद से अपना नया साल आरम्भ करते थे। जूलियस सीजर से पहले रोमन नया साल 1 मार्च से शुरू होता था। मध्ययुग में अधिकतर यूरोपीय देशों में 25 मार्च से नववर्ष आरम्भ होता था।’
‘यह तो पुराने जमाने की बातें हो गईं। आज का क्या हाल है?’
‘अधिकतर ईसाई देशों में नया साल 1 जनवरी से शुरू होता है। लेकिन अन्य देशों व धर्मों में उनके प्रयोग में आने वाले कैलेंडरों के हिसाब से अलग-अलग तारीखों पर नया साल मनाया जाता है।’
‘शायद इसलिए बहुत सी जगह साल में नये साल के दो दिवस मनाये जाते हैं।’
‘हां। चीन में नये साल के दो दिवस मनाते हैं, एक 1 जनवरी को और दूसरा चीनी लूनर कैलेंडर के हिसाब से जो 21 जनवरी व 19 फरवरी के बीच कभी भी पड़ सकता है। इंडोनेशिया में भी नये साल के दो जश्न होते हैं, एक 1 जनवरी को और दूसरा हिजरी (इस्लामी) कैलेंडर के माह मुहर्रम की पहली तारीख को, लूनर कैलेंडर की वजह से साल दर साल बदलता रहता है। मराकश में दूसरा नव वर्ष दिवस मुहर्रम की 10 तारीख को मनता है। इसी प्रकार जूलियन कैलेंडर का पालन करने वाली रुसी ऑर्थोडॉक्स चर्च अपना दूसरा नव वर्ष 14 जनवरी को मनाती है। ईरान 21 मार्च को नया वर्ष मनाता है। रोश हशनाह यहूदियों का नया साल है जो सितम्बर के अंत या अक्तूबर के शुरू में पड़ता है। वियतनाम में नया साल आमतौर से फरवरी में आरम्भ होता है।’
‘और अपने देश भारत का क्या हाल है?’
‘हर धार्मिक समूह की नया साल शुरू करने की अपनी तिथि है। लेकिन आधिकारिक तौर पर स्वीकृत शक संवत कैलेंडर की पहली तारीख यानी 1 चैत्र आमतौर से 22 मार्च को पड़ती है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।’
‘अच्छा, नववर्ष पर कार्ड भेजने का रिवाज कब पड़ा?’
‘यह भी बहुत पुराना है। चीन में एक हजार वर्ष से अधिक से कार्ड भेजे जा रहे हैं, जिस पर आने वाले का नाम होता था, मुबारकबाद या संदेश नहीं होता था।’ 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर