कैलेंडर कैसे और कब अस्तित्व में आया ?

 

मनुष्य अलग-अलग कार्य करने के लिए समय संबंधी जानकारी के लिए कोई निर्धारित तरीका न होने के कारण काफी परेशान था। ऐसे समय मनुष्य अपने अनुभव, अनुमान, ऋतु के आधार पर फैसले लेता था। परन्तु इनके आधार पर एक अनुमान ही लगाया जा सकता था। इसके अनुसार पूर्ण निर्धारित तरीके के साथ सही दिनों, महीनों को बांटने का फैसला और अपनी ज़रूरतों के लिए लागू करना काफी मुश्किल था। ऐसा होने के कारण मनुष्य को अक्सर ही ऐसा महसूस होता था कि किसी ऐसे प्रबंध की ज़रूरत है, जिसमें समय संबंधी सब कुछ निर्धारित हो और लगातार एक ही क्रम में हों। शुरू में सूर्य के उदय और अस्त के आधार पर दिन-रात तय हुआ और चन्द्रमा की पूर्णिमा से पूर्णिमा की स्थितियों का महीनों की तरह प्रयोग की जाने लगी। 
इस प्रकार के क्रम को ‘लूनर कैलेंडर’ कहा जाता है। इसके बाद मनुष्य ने ऋतुओं आदि के अनुभव के आधार पर मुख्य तौर पर समय को बांटना सीख लिया था। इसी प्रकार तारों की स्थिति के आधार पर मुख्य रूप में साल का अनुमान लगाना सीख लिया था, क्योंकि धरती की स्थिति बदलने से तारों की स्थिति बदलती रहती है और उसी स्थिति में आने पर विशेष तारे  फिर उसी स्थिति में नज़र आने लगते हैं।
सबसे पहले मिश्र के लोगों ने सिरियस नाम के तारे के आधार पर साल के कैलेंडर का उपयोग करना शुरू किया। यह तारा नील नदी में बाढ़ आने से पहले दिखाई देता था। इस प्रकार तारा दिखाई देने शुरू होने के दिन को साल का पहला दिन माना जाता था। इस प्रकार बाद में विश्व के अलग-अलग हिस्सों के लोगों ने अपनी सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक आदि ज़रूरतों के लिए कैलेंडर तैयार करने के यत्न शुरू किये और सफलताएं भी हासिल कीं।
अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने अपने-अपने कैलेंडर तैयार किए और इनमें वर्ष की शुरूआत अलग-अलग समय से करना शुरू किया। इसके लिए स्थानीय स्तर की किसी ऐतिहासिक घटना को आधार बनाया गया। शुरू में ज्यादातर कैलेंडरों में किसी राजा के राज गद्दी पर बैठने के समय को इसके शुरूआत का आधार बनाया गया और संबंधित राजा या राजवंश का नाम संबंधित कैलेंडर को दिया गया। जैसे विक्रमी सम्वत्, रोम, सक्क, यूनान आदि। इसी प्रकार कुछ कैलेंडरों को किसी शख्सियत के जन्म या दूसरी घटनाओं के शुरूआत का आधार बनाया गया। जैसे ई., हिजरी सम्वत् आदि।
रोम का सबसे पुरातन कैलेंडर राजा नियूमा पोंपिलियस के समय तैयार किया गया था। उसका राज ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में था। विश्व स्तर पर प्रचलित मौजूदा कैलेंडर रोमन सम्राट जूलियस सीजर दुअरा ईसा पूर्व शताब्दी पहली में तैयार करवाया गया कैलेंडर है। इस कैलेंडर को तैयार करने के लिए खगोल वैज्ञानिकों की सहायता के लिए गये और इसकी शुरूआत जनवरी से की गई। यह कैलेंडर ईसा के जन्म से 46 वर्ष पहले लागू किया गया था। बाद में इस कैलेंडर को पूरे विश्व में लागू किया गया और इसकी गिनती ईसा के जन्म से शुरू होती है। जन्म से पहले वर्षों की गिनती उल्टी जाती है। इस प्रकार दिनों, महीनों, सालों को दर्शाती सारणी को कैलेंडर का नाम दिये जाने के पीछे कई विचार हैं। एक विचार अनुसार चीन यूनान संस्कृति में ‘कैलेंडस’ का अर्थ ‘चीकना’ है। यहां लोग जोर-जोर से शोर मचाकर बताते थे कि कल को कौन सा त्योहार या कोई विशेष दिन आदि है। इस तरह किसी आने वाले संभावित आपदा संबंधी भी जोर-जोर से शोर मचाकर बताया जाता था। इस प्रकार यह जानकारी देने वाले को ‘कैलेंडर’ कहा जाता था। लैटिन भाषा में कैलेंडर का अर्थ ‘हिसाब किताब’ करने का दिन भी है। इस प्रकार माना जाता है कि इनके आधार पर दिनों, सप्ताह, महीनों, वर्षों संबंधी जानकारी देने वाले रिकार्ड को कैलेंडर का नाम दिया गया।
-गांव आदमके, तहसील सरदूलगढ़, ज़िला मानसा 
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