साहस व दृढ़ निश्चय

हंगरी में चल रहे निशानेबाज़ी के राष्ट्रीय मुकाबलों में जो सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज़ घोषित किया गया, उस का नाम था काली हैकास। यह बात है क्-ब् की। जापान में होने वाले ओलंपिक खेलों में विश्व युद्ध छिड़ने पर इस निशानेबाज को युद्ध में भाग लेना पड़ा। ओलंपिक जीतने का अवसर हाथ से निकल गया। द्वितीय विश्व युद्ध क्-ब्भ् में समाप्त हुआ। अगली ओलंपिक खेल क्-ब्त्त् में होने थे। इसी बीज इस उत्साही निशाने बाज का एसीडंेट हो गया। इस में उस का दाहिना हाथ कट गया। पुनः ओलंपिक जीतने का सपना साफ विफल हो गया। सारी आशाओं पर पानी फिर गया। किंतु नहीं! इस युवक ने पुनः साहस बटोर कर बायें हाथ से निशाने बाज़ी का अयास करना शुरू कर दिया। और... क्-ब्त्त् की ओलंपिक खेलों में निशानेबाज़ी की स्पर्धा में भाग लिया। वह निशानेबाज़ी की चैपियनशिप जीतने में कामयाब हो गया।  इस बार लंदन में खेल हुए थे तथा पूरे विश्व ने उस के अदभुत उत्साह की भूरी-भूरी प्रशंसा की। दृढ़ निश्चय तथा कठोर परिश्रम के बल पर ही वह अपने सपने को साकार कर पाया।....बस हमें जरूरत है ऐसे उत्साही व्यति के जीवन से प्रेरणा लेने की। (युवराज)