प्रेरक प्रसंग क्षमा और युद्ध

 

एक बार एक भक्त ने स्वामी विवेकानंद से पूछा - ‘ महात्मन्! जब हम देखे कि एक शक्तिशाली दुर्बल पर अत्याचार कर रहा है , तो हमें क्या करना चाहिए? ’
स्वामी विवेकानंद ने गंभीर स्वर में कहा -‘ तुम्हें नि:संदेह ही उस शक्तिशाली व्यक्ति को अपने बाहुबल से परास्त करना चाहिए। जहां दुर्बलता और जड़ता है,वहां क्षमा का कोई मूल्य नहीं है , वहां युद्ध ही श्रेयस्कर है। जब यह समझो कि तुम आसानी से उस शक्तिशाली व्यक्ति पर विजय प्राप्त कर सकते हो , तभी क्षमा करना । संसार युद्ध क्षेत्र है । युद्ध करके ही अपना मार्ग साफ  करो ।’
धरना 
क दिन खुदीराम बोस एक मंदिर में गये। वहां कुछ लोग मंदिर के सामने भूखे-प्यासे धरना देकर पड़े थे। पूछने पर पता चला कि ये सभी लोग किसी न किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं, इसी कारण मन्नत मानकर यहां भूखे-प्यासे पड़े हैं कि भगवान इन्हें स्वप्न में दर्शन देंगे, तब ये अपना धरना समाप्त करेंगे। 
बगले में खड़े एक व्यक्ति ने उनसे पूछा- ‘तुम्हें ऐसा कौन-सा असाध्य रोग हो गया है, जो तुम यहां पर धरना दोगे।’
खुदीराम बोले- ‘क्या गुलामी से भी बढ़कर कोई असाध्य रोग हो सकता है । मुझे तो उसी गुलामी के असाध्य रोग को दूर करना है ।’ 
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