खतरनाक है लिव-इन रिलेशनशिप का बढ़ता प्रचलन

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड जैसा एक और त्रासद, अमानवीय एवं खौफनाक मामला सामने आया है। दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में निक्की यादव नामक एक युवती की उसी के प्रेमी साहिल गहलोत द्वारा हत्या कर उसका शव ढाबे के फ्रिज में छुपाने के मामले ने रोंगटे खड़े कर दिये, रूह को कंपा दिया। समाज में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति, क्रूरता एवं संवेदनहीनता से केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि हर इन्सान में खौफ  पैदा हो जाता है। मानवीय संबंधों में जिस तरह से महिलाओं या लड़कियों की निर्मम हत्याएं हो रही हैं, उसे लेकर बहुत सारे सवाल उठ खड़े हो जाते हैं। विडम्बना यह है कि समाज का दायरा जैसे-जैसे उदार एवं आधुनिक होता जा रहा है, जड़ताओं को तोड़ कर युवा वर्ग नई एवं स्वच्छन्द दुनिया में अलग-अलग तरीके से जी रहा है। कई बार कुछ युवक मिली आज़ादी को अपना हक समझ कर हिंसक एवं अमानवीय घटनाओं को अंजाम दे देते हैं। यद्यपि समाज लिव-इन रिलेशनशिप पर सवाल उठाता रहा है लेकिन जो कुछ समाज में हो रहा है, वह दरिंदगी की हद है। वैवाहिक हो या लिव-इन रिलेशनशिप, हिंसात्मक व्यवहार और क्रूरता को बीमार मानसिकता से नहीं समझा जा सकता। श्रद्धा हत्याकांड जैसे कई कांड सामने आ चुके हैं। एक के बाद एक टुकड़ों-टुकड़ों में शव मिलते रहे हैं। इन घिनौणी घटनाओं को कैसे रोका जाए, यह सवाल सबके सामने हैं। समाज को उसकी संवेदनशीलता का अहसास कैसे कराया जाए। समाज में उच्च मूल्य कैसे स्थापित किए जाएं, यह चिंता का विषय है।
14 फरवरी की सुबह सूचना मिली थी कि राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के मित्रांव गांव के बाहरी इलाके में एक ढाबे के फ्रिज युवती का शव छिपाया गया है, पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर शव को बरामद किया। घटना का कारण बताया गया कि कुछ दिनों पहले ही आरोपित साहिल की किसी अन्य युवती से शादी तय हुई थी, जिसका मृतका विरोध कर रही थी। जबकि लम्बे समय से मृतका अपने पुरुष मित्र के साथ लिव-इन रिलेशन में थीं।
 लिव-इन रिलेशन के बढ़ते प्रचलन से यह समझना मुश्किल है कि भरोसे की बुनियाद पर खड़े संबंधों के बीच किसी व्यक्ति के भीतर इस स्तर की संवेदनहीनता कैसे उभर आती है कि वह अपनी प्रेमिका को मार डालता है। 
जैसे-जैसे देश आधुनिकता की तरफ  बढ़ता जा रहा है,  जीवन जीने के तरीको में खुलापन आ रहा है, वैसे-वैसे महिलाओं पर हिंसा के नये-नये तरीके और आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं।  ज़ाहिर है, समाज की विकृत सोच को बदलना ज्यादा ज़रूरी है। लड़कियों के जीवन से खिलवाड़ करने, गलत सोच के साथ उन्हें लिव-इन रिलेशन में डालने, उनके साथ दुष्कर्म जैसे अपराध करने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने और पुलिस व्यवस्था को और चाक-चौबंद करना बहुत ज़रूरी हो गया है। यह घटना शिक्षित समाज के लिए बदनुमा दाग है। अगर ऐसी घटनाएं होती रहीं तो कानून का खौफ  किसी को नहीं रहेगा और अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी। ऐसी हिंसा के खिलाफ महिलाओं को स्वयं आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। कानून कितने भी क्यों न हों जब तक समाज स्वयं महिलाओं को सम्मान एवं सुरक्षा का आश्वासन नहीं देगा, तब तक कुछ नहीं हो सकता। निक्की यादव की हत्या ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अपराध आखिर कितने रूपों में हमारे आसपास पल रहा है! प्रश्न है कि यह कैसे संभव हो पाता है कि कोई व्यक्ति अपने रुतबे और सुविधा को कायम रखने के लिए उसी महिला के खिलाफ  इस हद तक बर्बर एवं क्रूर हो जाता है, जिसने शायद सब कुछ छोड़ कर उस पर भरोसा किया होता है। सवाल है कि इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले युवकों के भीतर अगर आपराधिक मानसिकता नहीं पल रही होती है तो वे संबंधों को लेकर स्पष्टता क्यों नहीं बरतते हैं और विवाद की स्थिति में हत्या तक करने में उन्हें कोई हिचक क्यों नहीं होती?
युवक-युवतियों में खुलापन बढ़ रहा है। लिव-इन रिलेशनशिप को कानून भी न तो अपराध मानता है और न ही अनैतिक। आज के दौर में पारिवारिक मूल्य खत्म हो चुके हैं। भावनात्मक जुड़ाव कम है। अधिकतर लड़कियों को अपनी मज़र्ी से शादी का फैसला लेने के लिए बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है, परिवार छोड़ना पड़ता है, सारे रिश्ते-नातों से दूरियां बनानी पड़ती हैं, सामाजिक बहिष्कार और अलगाव का दंश झेलना पड़ता है। इसके बावजूद आधुनिक समाज में यह प्रचलन आम होता जा रहा है, तो क्या ऐसी हिंसक घटनाएं भी आम हो जाएंगी?