धोखे वाला खेल

योगेश तथा उमेश घर से जब मेले के लिए गए तो बहुत खुश थे लेकिन जब वे दोनों मेले से घर को लौटे तो दोनों के चेहरे उदास थे। वे मेले से लौट भी बहुत जल्दी आए थे। बिना किसी को बुलाए और बताए वे दोनों सोने वाले कमरे में चले गए थे। उनकी ममी ने उनकी उदासी का उन्हें कारण भी पूछा परंतु वे कुछ नहीं बोले। मेले की थकान उतर जाने पर जब वे अपने दादा जी के कमरे में गए तो अभी उनके दादा जी उन्हें उनकी उदासी का कारण पूछने ही वाले थे कि योगेश बोल पड़ा, दादा जी, आज मेले में हमारे साथ बहुत बुरी हुई। दादा जी ने उसे प्रशन किया,ऐसी या बात हो गई बेटा? योगेश अभी बोलने ही लगा था कि उमेश हंसने लग पड़ा। उसको हंसता देख, योगेश भड़क पड़ा। दादा जी ने उन्हें लड़ने से रोकते हुए कहा, बच्चे, लड़ने की बजाए, अच्छा होगा यदि तुम अपनी समस्या बताओ। योगेश बोला, दादा जी, आपने हमें मेले में खर्च करने के लिए जो पैसे दिए थे, वे पैसे हम एक धोखे वाले खेल में हार गए। उमेश खेल में हारने की बात सुनकर फिर हंस पड़ा। अब योगेश और क्रोधित हो उठा। दादा जी ने उसे फिर शांत किया। योगेश फिर बोला, दादा जी, एक तो इसने मुझे उस धोखे वाले खेल में फंसा दिया, अब यह दांत निकाल रहा है।
दादा जी, समझ तो सारा कुछ गए थे लेकिन फिर भी उन्होंने कहा, योगेश बेटा, अब यह बताओ कि आप धोखे वाले खेल में पैसे हारे कैसे? योगेश बोला, दादा जी, मेले में एक किस्मत आजमाने की दुकान लगी हुई थी। उस दुकान पर ग्राहक से पैसे लेकर उसे मेज पर रखी चीजों में डालने के लिए गोल कड़े दिए जाते थे। जो व्यति जिस चीज में कड़ा डाल देता था, वह चीज उसको दे दी जाती थी। यदि मिली हुई चीज को ग्राहक नहीं लेना चाहता था तो दुकानदार उस चीज के पैसे दे देता था। हमारे सामने कई लोग काफी पैसे कमा कर गए। उन लोगों देख कर उमेश भी कड़े खरीद कर अपनी किस्मत आजमाने की जिद्द करने लगा। मैने इसे बहुत रोका पर इसने मेरी एक नहीं मानी। उमेश बीच में ही बोल पड़ा, दादा जी, इसे पूछो सबसे ज्यादा पैसे कौन हारा? दादा जी अपना हासा रोक कर बोले, बच्चो, आप कुछ छोटी-छोटी चीजें जीते भी होंगे, फिर तुझे दुकानदार ने लालच भी दिया होगा, फिर आप उसके जाल में फंस गए? यदि आप दुकानदार की बातों में ना आए होते, यदि आपने लालच ना किया होता तो आप कभी भी पैसे हार कर ना आते।
जो लोग कीमती चीजें जीत कर गए थे। जिनको दुकानदार ने चीजों के पैसे दिए थे, वे दुकानदार के अपने ही लोग थे। योगेश और उमेश अपने दादा जी की बातें सुनकर दातों तले उंगली दबा रहे थे। वे मन ही मन में सोच रहे थे कि दादा जी को यह सारा कुछ कैसे पता? इससे पहले कि वे दोनों दादा जी को कुछ पूछते, दादा जी बोल पड़े बच्चे किसी स्माय मैं भी लालच में आकर इस धोखे की दुकान पर सारे पैसे हार आया था। पर ऐसी घटनाएं भी मनुष्य को सबक सिखाती हैं, भविष्य में ऐसा लालच मत करना, हारे हुए पैसे मैं तुझे अभी दे देता हूं। वे दोनों दादा जी की बातें सुनकर खुश भी हुए और हैरान भी।
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