बेहद सार्थक रहा क्वाड का सांझा बयान


वैश्विक शांति और विश्व में परमाणु युद्ध के लिए ़खतरा बने रूस-यूक्रेन युद्ध के परिदृश्य के बीच नई दिल्ली में सम्पन्न क्वाड सम्मेलन द्वारा पारित किया गया संयुक्त ब्यान आतंकवाद से पीड़ित और त्रस्त होती दुनिया के लिए आशा की एक किरण जगाते हुए प्रतीत होता है। इस संयुक्त ब्यान में आतंकवाद के प्रति प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से समर्थन देने वाले देशों को स्पष्ट रूप से चेतावनी जारी करते हुए आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए क्वाड में शामिल देशों पर आधारित आतंकवाद-रोधी एक कार्य-समूह बनाने की घोषणा भी की गई। वैश्विक धरातल पर सत्ता-संतुलन बनाये रखने हेतु गठित इस संगठन में भारत के अलावा अमरीका, जापान और आस्ट्रेलिया सदस्य राष्ट्र हैं, और प्रस्तावित सम्मेलन में इन देशों के विदेश मंत्रियों ने अपने-अपने राष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया। इस सम्मेलन में सांझा ब्यान जारी होने का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि इससे दो ही दिन पूर्व जी-20 देशों के समूह के विदेश मंत्रियों का एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन भी नई दिल्ली में ही सम्पन्न हुआ था किन्तु उसमें रूस और चीन के साथ अमरीका जैसे बड़े शक्ति-सम्पन्न देशों के अड़ियल और हठपूर्ण रवैये के कारण न तो कोई सहमति बन सकी थी, और न ही सम्पूर्ण क्रिया-कलाप हेतु कोई संयुक्त ब्यान ही जारी हो सका था। इसके तत्काल बाद सम्पन्न हुए क्वाड सम्मेलन में सांझे ब्यान खास तौर पर आतंकवाद जैसे विश्व-व्यापी मुद्दे पर सहमति बन जाना एक ओर जहां जी-20 सम्मेलन की क्षति-पूर्ति जैसा संतोषजनक प्रतीत होता है, वहीं इससे भारत और देश की कूटनीति की बढ़ती महत्ता का भी पता चलता है। ऐसा इसलिए भी कि भारत विश्व-धरा पर एक ऐसा बड़ा देश है जो आतंकवाद से सर्वाधिक रूप से पीड़ित है। यह भी कि भारत के दो बड़े निकट पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन भारत की धरती पर निरन्तर प्रायोजित आतंकवाद को धकेलने की कोशिशों में लगे रहते हैं।
क्वाड सम्मेलन में जारी हुए संयुक्त ब्यान का महत्त्व इसलिए भी है कि यह सम्भवत: पहली बार है कि विश्व के ये चार बड़े देश आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्या के विरुद्ध एक संयुक्त कार्य दल बनाने पर सहमत हुए हैं। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सम्मेलन की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा भी कि क्वाड के सदस्य राष्ट्र हिन्द महासागर के दायरे में आतंकवाद के विरोध सहित अन्य कई मामलों पर निकट सहयोग बढ़ाने हेतु तैयार हुए हैं। वर्ष 2022 में भी आस्ट्रेलिया में सम्पन्न हुए क्वाड सम्मेलन में  इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई थी, किन्तु तब कोई स्पष्ट निष्कर्ष सामने नहीं आ पाया था। ऐसी स्थिति में आतंकवाद, हिंसा और कट्टरपंथ जैसी समस्याओं को लेकर नई दिल्ली की क्वाड बैठक में सहमति बनना एक बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। नि:सन्देह इस संयुक्त ब्यान में चीन और पाकिस्तान का ज़िक्र किया जाना अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत को इस समय सर्वाधिक बड़ी चुनौती चीन की ओर से ही दरपेश हो रही है, और कि पाकिस्तान द्वारा भारत में प्रायोजित किये जा रहे आतंकवाद को भी चीन का वरद् हस्त संरक्षण बहुत खुल कर सामने आ चुका है। यह भी एक बड़ा तथ्य है कि इन सभी चारों देशों को चीन की सांझी चुनौती का सामना है, और कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रूस और चीन के बीच बढ़ता सहयोग इस क्षेत्र के लिए एक नये ़खतरे के रूप में सिद्ध होने लगा है। ऐसी स्थिति में क्वाड देशों के बीच आपसी सहयोग-संबंधों का प्रगाढ़ होना इन देशों के साथ-साथ वैश्विक धरातल पर भी लाभकर सिद्ध हो सकता है।
नई दिल्ली के क्वाड सम्मेलन में 26/11 के मुम्बई हमले का ज़िक्र करके इसकी निंदा किया जाना भी एक ओर जहां भारतीय कूटनीति की बड़ी सफलता करार दिया जा सकता है, वहीं इससे विश्व रंगमंच पर भारत की बढ़ती हुई शक्ति और इसकी अलग राय के महत्त्व का भी पता चलता है। यह पहली बार है जब विश्व की कुछ बड़ी ताकतों ने मुम्बई हमले को भारत के विरुद्ध अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी घटना माना है। सम्मेलन में यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर भी रूस और चीन पर निशाना साधा गया। भारत हालांकि यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर प्राय: सभी अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर निष्पक्ष और निरपेक्ष व्यवहार अपनाता आया है, अथवा इस संबंधी बैठकों में मतदान संबंधी कवायद में अनुपस्थित होता रहा है, किन्तु यह भी पहली बार है कि क्वाड की इस महत्त्वपूर्ण बैठक में भारत ने अन्य सदस्य देशों के साथ सामूहिक रूप से यूक्रेन में तत्काल शांति स्थापना का समर्थन किया है। बैठक में सर्व-सम्मति से दक्षिणी और पूर्वी चीनी सागर में अन्तर्राष्ट्रीय कायदे-कानून की स्थापना हेतु भी चीन और रूस, दोनों की ओर उंगली उठाई गई है। नि:सन्देह इन दोनों देशों की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक था, और उन्होंने इस संगठन को ही विघटनकारी करार दे दिया है, तथापि संयुक्त ब्यान में यूक्रेन-रूस युद्ध में बार-बार परमाणु हमले संबंधी धमकी दिये जाने को अस्वीकार्य करार देकर क्वाड देशों ने भी अपनी मंशा को स्पष्ट किया है।
हम समझते हैं कि नि:सन्देह आतंकवाद और यूक्रेन पर रूसी हमले से उपजी स्थितियों ने परमाणु हमले के ़खतरे को आसन्न रूप से पूरे विश्व के सामने ला खड़ा किया है। इस बात को विश्व भर के बड़े देश और खासकर इस मामले से सम्बद्ध राष्ट्र मानते और स्वीकार भी करते हैं, किन्तु इस सबके बावजूद वे एक ऐसी अन्धेरी सुरंग की ओर आंखें बंद किये बढ़ते चले जा रहे हैं जिसका दूसरा द्वार विनाश की गहरी खाई की ओर खुलता है। इस समय भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो इन देशों को रोक पाने की कूवत और समझ रखता है। नि:सन्देह भारत ऐसे यत्नों में कार्यरत है भी, और क्वाड जैसे समूह का गठन और इसकी बैठक में ऐसे सांझे ब्यान का जारी होना, विश्व शांति की ओर बढ़ते एक सार्थक पग जैसी कवायद प्रतीत होता है। हम समझते हैं कि इस सम्पूर्ण परिदृश्य के दृष्टिगत, इस नाज़ुक चरण पर भारत में आयोजित क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक अतीव सार्थक रही मानी जा सकती है।