ज़हरीली सत्ता



गांव में जहरीली शराब पीने के कारण सत्तर से अधिक लोग मारे गए थे। इस समाचार को प्रमुखता से दिखाने की सभी टेलीविजन चैनलों में होड़ लगी हुई थी। इसलिए सभी चैनलों की ओर से अपने-अपने पत्रकार को घटनास्थल पर भेजा गया। एक लोकप्रिय टेलीविजन चैनल का पत्रकार घटनास्थल पर पहुंचा। उसने देखा वहां कोहराम मचा हुआ था। उसने कई लोगों से बातचीत करने की कोशिश की। लेकिन भयवश कोई कुछ नहीं बोल रहा था। अचानक उसकी दृष्टि एक शराब पिये हुए व्यक्ति पर पड़ी। पत्रकार ने सुन रखा था कि शराब पिया हुआ व्यक्ति निर्भीकता से सच बोलता है। उसने सोचा क्यों न इस शराब पिये व्यक्ति से ही सच्चाई जानने की कोशिश की जाये। पत्रकार ने उस व्यक्ति से प्रश्न किया, ‘आप जहरीली शराब से हुई मौतों के बारे में क्या जानते हैं?’ स्वयं को संयत करते हुए उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, सबसे पहले मैं आपको बता दूँ कि शराब से मौत नहीं होती है। शहरों में रहने वाले एलिट क्लास के लोग भी तो शराब पीते हैं। क्या आपने उन्हें इस तरह से थोक में शराब के कारण मरते देखा या सुना है? नहीं न.... तो फिर यह क्यों मान लिया गया कि शराब से मौतें होती हैं? मौतें होती हैं गरीबी और अशिक्षा से। गरीबी महँगी शराब की इजाजत नहीं देती। अशिक्षा शराब के दुष्प्रभाव के बारे में नहीं बताती। इन मौतों के लिए वही जिम्मेदार हैं जो गांव में पसरी गरीबी और अशिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। शराब नहीं सत्ता जहरीली होती है, जो मौत बांटती है। शराब माफियाओं को पनपने का अवसर देती है। अब आप मुझे बताइए जहरीली शराब है या सत्ता?’ पत्रकार उस शराब पिये हुए व्यक्ति की बात सुनकर हतप्रभ रह गया। लेकिन उसे यह चिंता सता रही थी कि उसके इस इंटरव्यू को प्रसारित करने की अनुमति दी भी जाएगी या नहीं।

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