राहुल के मामले पर नितीश की चुप्पी के राजनीतिक मायने क्या हैं ?

 

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड नेता नितीश कुमार कब किस पाले में जाएंगे यह कोई कह नहीं सकता। नितीश कुमार का राजनीतिक इतिहास बताता है कि वो पहले भी कई खेमों को बदल चुके हैं। नितीश लंबे समय तक भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए खेमे में रहे। फिर एनडीए छोड़ राजद-कांग्रेस के साथ महागठबंधन के साथी बने। फिर किसी बात पर अनबन होने के बाद उन्हें भाजपा का दामन थाम लिया। और फिर कुछ ही महीनों बाद वो भाजपा को छोड़ राजद-कांग्रेस के समर्थन से बिहार में सरकार चला रहे हैं। इस समय वो एंटी भाजपा खेमे में है। लेकिन बीते कुछ दिनों से नितीश कुमार का अंदाज बदला-बदला नजर आ रहा है। जिससे बिहार के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में यह चर्चा होने लगी है कि नितीश कुमार फिर पलटी मार सकते हैं। राजनीतिक खेमेबाजी बदलने के कारण ही नितीश कुमार के आलोचक उन्हे ‘पलटू कुमार’ की उपाधी दे चुके हैं। इधर कुछ दिनों से नितीश कुमार का मेलजोल और व्यवहार बदला-बदला सा नज़र आ रहा है। मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की कैद की सजा हो या उनकी सांसदी समाप्त किए जाने का निर्णय, इन दोनों फैसलों पर विपक्ष के तमाम नेता सरकार के खिलाफ  बोलते नजर आए। लेकिन नितीश कुमार चुप्पी की चादर ओढ़े रहे।
वैसे भी बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि बिहार  के जलवे ही अलग हैं। यहां के नेताओं की हर गतिविधि के पीछे कुछ न कुछ राजनीति मतलब निकाला जाता है। इसलिए बिहार में राजनीति की संभावनाएं किसी भी दूसरे राज्य के मुकाबले अधिक संवेदनशील होती हैं। अब मुख्यमंत्री नितीश कुमार को ही ले लीजिए। वह चैती छठ महापर्व के मौके पर भाजपा के विधान पार्षद संजय मयूख के सरकारी आवास पर खरना का प्रसाद लेने पहुंचे थे। मुख्यमंत्री कुछ देर वहां रुके, बातचीत की और खरना प्रसाद खाकर वापस चले गये। इस पूरे प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से कोई  राजनीतिक बात दिखायी नहीं देती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से नितीश कुमार के रुख में जो बदलाव देखा जा रहा है, उससे इस ‘प्रसाद पॉलिटिक्स’ की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। अब इस बात की संभावना देखी जाने लगी है कि क्या नितीश कुमार एक बार फिर पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं। यह सवाल पूरी तरह खारिज किये जाने लायक भी नहीं है, क्योंकि पहले तेजस्वी से सीबीआइ की पूछताछ और फिर राहुल गांधी प्रकरण पर नितीश कुमार की चुप्पी ने इस संभावना को हवा दे दी है। इतना ही नहीं, रामचरित मानस विवाद और राजद विधायक सुधाकर सिंह के मुद्दे पर राजद के रुख को भी नितीश भूल नहीं पाये हैं। ऐसे में उन्हें बिहार का नया ‘मौसम वैज्ञानिक’ बताया जा रहा है, जो 2024 में अपनी छिपी हुई महत्वाकांक्षा को पूरा होने का सपना देखने लगे हैं। 
इस पलटी मारने वाले कथन को बल उस समय भी मिला, जब राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन गयी थी। इस मामले में हर राजनीतिक दल और राजनेता की प्रतिक्रिया आयी, लेकिन मुख्यमंत्री नितीश चुप्पी साधे रहे। सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री नितीश कुमार भाजपा के साथ अपने चल रहे खट्टे-कड़वे रिश्ते को कूलिंग ऑफ  पीरियड की ओर लेकर जा रहे हैं। एक बार फिर लौटते हैं, संजय मयूख के घर, जहां मुख्यमंत्री नितीश हंसते-मुस्कुराते लोगों से मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री नितीश यहां अकेले नहीं गये, बल्कि बड़े दल-बल के साथ पहुंचे थे। इस मौके पर वित्त मंत्री विजय चौधरी और कई अन्य बड़े नेता भी उनके साथ थे।
इस बात की अटकलों में और तेजी उस समय  से आयी है, जब मुख्यमंत्री नितीश भाजपा नेता संजय मयूख के घर खरना का प्रसाद खाने पहुंच गये।  अप्रैल 2022 में बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया गया था। इस दौरान मुख्यमंत्री नितीश बिहार से लेकर केंद्र की सत्ता तक को चौंकाते हुए इसी हाथ जोड़े हुए अंदाज में राबड़ी आवास तक पैदल गये थे। इसके ठीक दो दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा था और मुख्यमंत्री नितीश का इस दौरान राबड़ी आवास जाना बड़ा राजनीतिक संकेत था। यह ‘उत्सवी राजनीति’ पूरी तरह अगस्त में खुल कर आयी, जब एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत नितीश ने एनडीए से दामन छुड़ा लिया और राजद का साथ लेकर महागठबंधन में शामिल हो गये। इसके साथ ही उन्होंने फिर से एक बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
17 जनवरी के ही एक वाकये को याद करें, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने एक ट्वीट में लिखा, ‘बुनियादी संसाधन, उचित पाठन, ‘शिक्षित बिहार-तेजस्वी बिहार’। उनके इस ट्वीट में ‘तेजस्वी’ आ जाने से इसके कई मायने निकाले गये। इधर उपेंद्र कुशवाहा और भाजपा नेता भी बार-बार दोहराते रहे हैं कि नितीश कुमार एक बार और पलटी मारेंगे। इससे पहले अक्तूबर 2022 में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी दावा कर चुके हैं कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार, क बार फिर पलटी मारेंगे। उन्होंने कहा था कि महागठबंधन में भाजपा और पीएम मोदी को हराने की ताकत नहीं है। मुख्यमंत्री नितीश एक बार फिर पलटी मारेंगे। बिहार के पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी कई मौकों पर ऐसी ही बात कह चुके हैं। दिसम्बर 2022 में जहरीली शराब मामले में मुख्यमंत्री को घेरते हुए सुशील मोदी ने कहा था कि जो पलटी मारेगा, वह क्या सरकार चलायेगा।
हाल के दिनों में नितीश कुमार की भाजपा नेताओं से नजदीकियां बड़ी हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री नितीश पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के पिता के श्राद्धकर्म में शामिल होने उनके घर गये थे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उनकी फोन पर बातें हुईं। नितीश यह भी समझ चुके हैं कि भाजपा उनके अति पिछड़ा वोट बैंक को तेजी से कमजोर कर रही है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री खुद को महागठबंधन में असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसे में वह लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन बदलने का फैसला ले सकते हैं। ऐसे में अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कितने दिन में सारी अटकलों को सच साबित करते हुए मौजूदा दिशा से ‘यू-टर्न’ लेते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री नितीश के मन में क्या है यह किसी को नहीं पता है।
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