भ्रष्टाचार के विरुद्ध सी.बी.आई. की भूमिका


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के विरुद्ध देश की शीर्ष जांच एजेंसी सी.बी.आई. द्वारा की जाती कार्रवाइयों की प्रशंसा किया जाना एक ओर जहां देश के असंख्य जन-साधारण के मन में आशाओं की एक किरण को जागृत करते हुए प्रतीत हुआ है, वहीं देश में पिछले कुछ समय से कुछ राजनीतिक दलों खास तौर पर विपक्ष से जुड़े दलों के नेताओं के विरुद्ध इन सरकारी एजेंसियों की कार्रवाइयों के अभियान की ओर भी ध्यान दिलाता है। प्रधानमंत्री राष्ट्र संबंधी इस अहम एजेंसी की ओर से मनाये जा रहे हीरक जयन्ती समारोहों की शुरुआत के अवसर पर बोल रहे थे। नि:सन्देह इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकतीं कि देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। रिश्वतखोरी और कमिशन लिये-दिये जाने की घटनाएं भी आम हुई हैं। यह सिलसिला विगत दो-तीन दशक से देश के विकास पथ पर न केवल अवरोध बन कर खड़ा हुआ है, अपितु राष्ट्र की गरिमा को भी इसने घुन की भांति जर्जर किया है। देश की केन्द्र सरकारों के अधीनस्थ इस एजेंसी ने बेशक अपनी स्थापना के बाद के काल में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के विरुद्ध सतत् अभियान चलाया है। इस जांच एजेंसी की स्थापना प्रथम अप्रैल, 1963 को हुई थी, और तब से लेकर आज तक इस एजेंसी ने अपने अस्तित्व को अपनी अनेकानेक सटीक कार्रवाइयों से कई बार सार्थक सिद्ध किया है। 
इसकी ऐसी कार्रवाइयों के कारण ही भ्रष्टाचार के अनेक पेचीदा मामलों का न केवल रहस्योद्घाटन ही हुआ, अपितु अनेक भ्रष्ट राजनीतिज्ञों और ़गैर-राजनीतिक लोगों को जेल भी जाना पड़ा है। ऐसी कार्रवाइयों की बदौलत ही इसने राजनीतिक धरातलों पर कई बार प्रशंसा भी हासिल की है। अतीत में देश के जन-साधारण के मन में भी इस एजेंसी की छवि बड़ी साफ-सुथरी बन कर उभरी, लेकिन विगत कुछ अरसे से देश की दो बड़ी जांच-पड़ताल एजेंसियों सी.बी.आई. और ई.डी. की कार्रवाइयों को लेकर न केवल देश के कुछ भागों से कई प्रकार के प्रश्न-चिन्ह उभरे हैं, अपितु विपक्षी दलों ने भेदभावपूर्ण ढंग से इनका दुरुपयोग किये जाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने खुलेबन्दों यह भी कहा है कि केन्द्र सरकार के इशारे पर एजेंसियों की ओर से विपक्षी दलों और उनके नेताओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। इन आरोपों का महत्त्व इस तथ्य से बढ़ जाता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्र के विपक्षी दलों की ओर से इन आरोपों पर विचार हेतु एक याचिका भी दाखिल कर ली है।  प्रधानमंत्री द्वारा इस एजेंसी को भ्रष्टाचार के विरुद्ध किसी भी सीमा तक जाने की छूट देने की घोषणा को भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हम समझते हैं कि बेशक प्रधानमंत्री के इस तर्क में बड़ा बल है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करना इस एजेंसी का एक बड़ा दायित्व है, किन्तु इस आरोप को भी सरासर अमान्य नहीं किया  जा सकता, कि विपक्ष के कुछ नेताओं अथवा उन लोगों के प्रति इन दोनों एजेंसियों की कार्रवाइयां एकाएक बढ़ जाती हैं, जिनसे सत्तारूढ़ दल अथवा सरकार को ़खतरा पैदा होने का खदशा प्रतीत होने लगता है। भ्रष्टाचार केवल विपक्षी दलों अथवा उनके नेताओं में ही हो, ऐसा मानना सचमुच एकपक्षीय हो जाता है। सत्तारूढ़ दल अथवा गठबन्धन के सभी नेता दूध-धुले हों, ऐसा भी कदापि सम्भव नहीं हो सकता, किन्तु इन एजेंसियों का नज़ला जब भी कभी गिरा है, तो विपक्षी दल अथवा उनके नेताओं पर ही नाज़ल हुआ है।
हम समझते हैं कि नि:सन्देह भारत की भूमि में भरपूर ऊर्जा और सामर्थ्य है कि वह एक बार फिर अतीत के स्वर्ण-मृग जैसी उपमा को धारण कर सके। इस तथ्य में भी सच्चाई है कि भ्रष्टाचार ने इस देश के विकास के पथ पर अक्सर कांटे बोए हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री के इस दावे को भी पूर्णतया नकारा नहीं जा सकता कि कांग्रेस पार्टी के शासन के पिछले दस वर्षों में देश में 48 खरब, 20 अरब से अधिक रुपयों का भ्रष्टाचार हुआ, किन्तु एकपक्षीय तौर पर गढ़े मुर्दे उखाड़ कर केवल विपक्षी नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई करते जाने से इन एजेंसियों की छवि पर नि:सन्देह आघात तो अवश्य पहुंचेगा। देश के लोकतंत्र की ज़मीन पर अनेक नई कुप्रथाओं को जन्म मिलेगा। भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई अवश्यमेव की जानी चाहिए, किन्तु इन एजेंसियों की आड़ में बदलाखोरी किये जाने से देश की लोकतांत्रिक परम्पराएं, नि:सन्देह आहत होंगी। लोकतंत्र में सरकारें समय-समय बदलती रहती हैं। भारत का लोकतंत्र आज इस सीमा तक परिपक्व हो चुका है, कि विश्व के अन्य बड़े लोकतंत्रों का भी पथ-प्रदर्शन कर सकता है, किन्तु देश की इन शीर्ष एजेंसियों के किसी भी चरण पर, और किसी भी संदर्भ में दुरुपयोग से लोकतंत्र की इस गरिमा की ओर अवश्य उंगलियां उठने लगेंगी। हम समझते हैं कि देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सामूहिक धरातल पर पूर्णतया निरपेक्ष होकर काम किये जाने की बड़ी ज़रूरत है। इससे जहां लोकतंत्र मज़बूत होगा, वहीं इन एजेंसियों की दूध को दूध और पानी को पानी सिद्ध करने वाली छवि भी अपने आप सुधरने लगेगी।