पाकिस्तान से बेहद खफा हैं अमरीका व यूरोपीय देश

अमरीका तथा यूरोपीय संघ के देश पाकिस्तान द्वारा उधारी वापस न किए जाने एवं धोखेबाजी से बेहद खफा दिखाई दे रहे हैं। अमरीका के 22 सांसदों ने पाकिस्तान में पोषित हो रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ  अमरीकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया है। यह विधेयक तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी संगठनों को पनाह देने पर पेश किया गया है। ज्यादा ज़ोर पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर दिया गया है। प्रतिबंध लगाने संबंधी यह विधेयक संसद में अभी पेश किया गया है। यह विधेयक सीनेट में जाएगा साथ ही अमरीकी रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा सचिव तथा विदेश सचिव के परामर्श के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए पेश किया जाएगा। 
रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर पंत का कहना है कि इस विधेयक को पास होने में ज्यादा परेशानी एवं समय नहीं लगेगा। यदि यह विधेयक पास कर दिया जाता है तो पाकिस्तान पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ेगा। पाकिस्तान वैसे भी बड़ी कंगाली और तंगहाली में से गुज़र रहा है और विधेयक पास होने के बाद अमरीकी तथा यूरोपीय देशों की मदद पूरी तरह बंद हो जाएगी। पाकिस्तान द्वारा अमरीका को धोखे में रखकर लगातार तालिबानी आतंकवादियों को पाकिस्तान में पनाह देने और उन्हें आर्थिक तथा हथियारों की मदद देने का बड़ा दोषी पाया गया है। अमरीकी सीनेटरों का कहना है कि पाकिस्तान अमरीका को लगातार धोखा देता रहा है। अफगानिस्तान से अमरीकी सैनिकों की वापसी के समय पाकिस्तान तालिबानी आतंकवादियों को निरन्तर खुफिया सूचनाएं अमरीकी सैनिकों के बारे में देता रहा है। इतना ही नहीं पंचशीर घाटी में अफगानियों के खिलाफ आईएसआई ने तालिबानी आतंकवादियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हवाई हमले कर अफगानी नागरिकों की नृशंस हत्या की और काबुल एयरपोर्ट पर हुए बम धमाके में भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होना बताया गया है। 
पाकिस्तान ने लगातार तालिबान और उनके आतंकवादियों की मदद कर स्वयं को मुसीबत में डाल दिया है। अमरीका एक बड़ी कार्रवाई पाकिस्तान तथा तालिबान के खिलाफ  करने जा रहा है जिसकी रूप रेखा अमरीकी विदेश तथा सैन्य विभाग तैयार कर चुका है। यदि अमरीकी संसद में विधेयक पास हो जाता है तो पाकिस्तान को मिलने वाली सारी आर्थिक मदद बंद कर दी जाएगी। पाकिस्तान को मिलने वाली विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा फंड और एशियन डिवल्पमेंट बैंक की आर्थिक मदद तत्काल रुप से प्रतिबंधित कर दी जाएगी। यूरोपीय संघ के देशों द्वारा भी अलग-अलग प्रारूपों में दी जा रही मदद बंद करके पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान को आर्थिक रूप से और कमज़ोर कर दिया जाएगा। 
 उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान से अमरीका तथा यूरोप में किए जाने वाले निर्यात का 70 प्रतिशत भाग इस प्रतिबंध से प्रभावित होगा। पाकिस्तान की अर्थ-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी। अमरीकी राष्ट्रपति तथा उनका मंत्रिमंडल पाकिस्तान से कितना नाराज़ है उसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमरीकी राष्ट्रपति ने पद ग्रहण करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मिलना तो दूर, उससे बात करना भी पसंद नहीं किया था। 
उधर तालिबान पाकिस्तान के लिए भस्मासुर साबित होगा क्योंकि वहां भी तालिबानी सरकार में दो गुट बन चुके हैं, एक गुट पाकिस्तान को पसंद नहीं करता और दूसरा गुट पाकिस्तान का समर्थक है। अब यदि पाकिस्तान किसी भी आतंकवादी गतिविधि में शामिल होता है तो इसका मतलब है कि वह अपनी बर्बादी का कारण खुद बनेगा। 

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