पृथ्वी का वज़न कैसे मापा गया ?

 

दीदी, मैं यह सोच रहा था कि जब सब चीज़ों में वजन होता है तो पृथ्वी का भी वजन होगा, आखिर उसका वजन कितना होगा?’
‘चूंकि पृथ्वी स्पेस में लटकी हुई है, इसलिए उसे तोलना इतना आसान नहीं है जैसे किसी वस्तु को तराजू पर रखो और उसका वजन जान लो। जब हम पृथ्वी के वजन की बात करते हैं, तो हम उसको बनाने वाले मैटर की बात कर रहे होते हैं, जिसे मास कहते हैं।’
‘तो पृथ्वी का मास कितना है?’
‘6600 ट्रिलियन टन।’
‘यह कितना होता है?’
‘यह संख्या कैसी दिखाई देती है- 6,600,000,000,000,000,000,000।’
‘वैज्ञानिकों ने यह कैसे पता लगाया कि यही पृथ्वी का मास है?’
‘उन्होंने अपना प्रयास इस सिद्धांत पर आधारित किया कि दो चीज़ें एक दूसरे को आकर्षित करती हैं। गुरुत्वाकर्षण या फोर्स ऑफ ग्रेविटी इसी पर निर्भर है। साधरण शब्दों में इसका अर्थ यह है कि गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार दो चीज़ें उस बल द्वारा एक दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं जो उनके मास व उनकी आपस की दूरी पर निर्भर करता है। चीज़ जितनी बड़ी होगी उतना अधिक बल उन्हें आपस में खींचेगा। दूरी जितनी अधिक होगी बल उतना ही कम होगा।’
‘तो इस सिद्धांत के ज़रिय पृथ्वी का वजन कैसे नापा गया?’
‘पृथ्वी का वजन नापने के लिए यह किया जाता है : छोटा सा वजन एक धागे से लटका दिया जाता है। उस वजन की एकदम सही पोजीशन को नापा जाता है। लटके हुए वजन के निकट एक टन लैड लाया जाता है। वजन और लैड के बीच आकर्षण होता है और इससे वजन अपनी लाइन से थोड़ा खींच जाता है। यह वास्तव में 0.00002 एमएम से भी कम होता है, जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मापन में कितनी सावधानी बरती जाती है। यह करने के बाद वैज्ञानिक गणित का प्रयोग करते हैं पृथ्वी का वजन जानने के लिए। उन्होंने लटके वजन पर पृथ्वी के आकर्षण की शक्ति माप ली है उस पर एक टन लैड की शक्ति भी। इसके रिलेटिव अंतर का हिसाब लगाकर पृथ्वी का मास निकल आता है। यह मास कई चीज़ों का बना होता है। क्रस्ट ऑ़फ सॉलिड रॉक, फिर एक परत जिसे मेटल कहते हैं, वह भी सॉलिड रॉक होती है और लगभग 1800 मील नीचे जाती है और फिर अंदरूनी हिस्सा होता है, जो कोर है और लगभग 2100 मील की रेडियस में है। कोर का पदार्थ तरल होता है क्योंकि पृथ्वी के केन्द्र में बहुत अधिक गर्मी होती है।’

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर