जाति आधारित जनगणना पर एकजुट हो रही हैं विरोधी पार्टियां

 

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सामाजिक न्याय की राजनीति को वापिस लाने की कोशिशों में कांग्रेस प्रधान मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी ने यह मांग की है कि केन्द्र सरकार को तुरंत प्रभाव से जाति आधारित जनगणना के लिए आगे बढ़ना चाहिए। खड़गे ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है, जबकि राहुल गांधी ने मांग की है कि सरकार को जातियों पर 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करना चाहिए और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की हद को हटा देना चाहिए। बिहार में महागठबंधन सरकार, जिसमें जनता दल (यूनाईटेड), राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस शामिल हैं, ने पहले ही प्रदेश में दो चरणों तहत जाति आधारित जनगणना शुरू कर दी है और इसके मई तक पूरा होने की उम्मीद है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने पूछा कि यदि सरकार वास्तव में और पिछड़ी जातियों (ओ.बी.सी.) के लिए चिंतित है तो वह जाति, सामाजिक और आर्थिक स्थितियों से संबंधित आंकड़े जारी करने में क्यों झिझक रही है हालांकि कांग्रेस ने जाति आधारित जनगणना पर ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश की है और पार्टी का मानना है कि निश्चित तौर पर वह इससे और पिछड़ी जातियों (ओ.बी.सी.), एस.सी., एम.टी. और अल्पसंख्यक के वोटरों को अपने पक्ष में एकजुट कर सकती है। इस दौरान कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डी.एम.के. और भारत राष्ट्रीय समिति द्वारा अन्य पिछड़ी जातियों तक पहुंच बनाने और भाजपा के खिलाफ विरोधी गुटों को एकजूट करने के लिए विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को अपना समर्थन देने की संभावना है, जो कुरमी ओ.बी.सी. भाईचारे से आते हैं।
गहलोत-पायलट के बीच टकराव
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच टकराव ने राजस्थान कांग्रेस में खलबली मचा रखी है। राजस्थान में भ्रष्टाचार की जांच को लेकर पायलट और गहलोत के बीच जंग छिड़ी हुई है। कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट के मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावती स्वर और पार्टी में उथल-पुथल मचाने को लेकर बहुत खफा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस में गहलोत और पायलट गुटों के बीच मौजूदा कलह मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए नहीं, बल्कि अपने-अपने वफादारों के लिए पार्टी टिकट हासिल करने के लिए है। जो भी अपने समर्थकों को ज्यादा विधानसभा टिकटें दिलाने में सफलता प्राप्त करेगा, वही भविष्य में राज्य का नेता होगा और उसके पास मुख्यमंत्री बनने का मौका भी होगा। इस दौरान कांग्रेस राजस्थान में पार्टी को एकजुपट करने के लिए कोशिशों कर रही है। विधायकों को चुनावी लाईन में लाने की कोशिश में पार्टी इंचार्ज सुखजिन्दर सिंह रंधावा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रधान गोविंद सिंह डोटासरा ने पार्टी विधायकों के साथ तीन दिन की आमने-सामने बातचीत शुरू की, लेकिन पायलट ने इस बैठक में शामिल न होने का फैसला किया।
दूसरी भारत जोड़ो यात्रा
पुराने रक्षक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इमरान किदवई ने 18 अप्रैल को दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चर सैंटर में दस्तरखवान-ए-करीम में एक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें प्रसिद्ध पत्रकार एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक शामिल हुए। जबकि किदवई की बेटी, पूर्व नगर निगम पार्षद, यासमीन किदवई, जो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा भी थीं, ने मेहमानों का स्वागत किया। उन्होंने यात्रा बारे अपने विचार भी रखे। किदवई ने सांझा किया कि वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे पड़ाव का इंतज़ार कर रही है, जो गुजरात के पोरबंदर से शुरू होने की सम्भावना है और अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में समाप्त होगी। 
शैट्टार ने कांग्रेस में शरण ली
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में टिकटों के वितरण को लेकर भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही पार्टियां भारी दबाव का सामना कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी ने लिंगायत भाइचारों के दो वरिष्ठ नोताओं जगदीश शैट्टार तथा लक्ष्मण सावदी का स्वागत किया है, जिन्होंने भाजपा छोड़ दी है। कर्नाटक में पूर्व उप-मुख्यमंत्री, शैट्टार अब हुबली-धारवाड़-मध्य चुनाव क्षेत्र से उम्मीदवार हैं। 10 मई को होने वाले चुनावों में उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार महेश तेंगिंकाई से होगा। भाजपा की ओर से 52 नये उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है और पार्टी ने कांग्रेस तथा जे.डी.एस. के 11 सहित 90 मौजूदा विधायकों को बरकरार रखा है, जिन्होंने 2019 में गठबंधन के लिए सत्ता प्राप्त करने में मदद की थी। पार्टी ने 2018 में अपने विधायकों द्वारा जीते गए चुनाव क्षेत्रों पर 12 नये चेहरों को भी उतारा है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के कब्ज़े वाली शिकारीपुरा सीट भी शामिल है, जहां उनके बेटे बी.वाई. विजयेंदर को उम्मीदवारी दी गई है। 
एन.सी.पी. में फूट की अफवाहें
ऐसे बहुत सारे क्यास लगाये जा रहे हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.) के सीनियर नेता अजीत पवार अपने वफादार एन.सी.पी. विधायकों के एक गुट के साथ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो सकते हैं और यह अफवाह और मज़बूत होती जा रही है। हालांकि, अजीत पवार और साथ ही एन.सी.पी. प्रमुख शरद पवार ने क्रमश: सार्वजनिक तौर पर सामने आकर इन अफवाहों का खंडन किया है। एन.सी.पी. में संभावित विभाजन पर चर्चा के दौर में शरद पवार, पार्टी सांसद सुप्रिया सूले, शिव सेना (यू.बी.टी.) के नेता उद्धव ठाकरे तथा उनकी पार्टी के सांसद संजय राऊत सहित विरोधी दल एम.वी.ए. गठबंधन के प्रमुख नेताओं ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए एक कांफ्रैंस की थी, परन्तु अजीत पवार, जो विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, बैठक में शामिल नहीं हुए। अफवाहों को मज़बूत करने वाला एक और कारक यह तथ्य है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मई में आने की उम्मीद है। विधायकों के खिलाफ एक प्रतिकूल फैसले से ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है, जहां भाजपा-शिवसेना सरकार को अधिक समर्थन की ज़रूरत हो सकती है, जहां अजीत पवार तथा उनके वफादार विधायक खेल बदल सकते हैं। (आई.पी.ए.)