राहुल पर मुकद्दमा दर्ज करना बना फैशन

 

राहुल गांधी के खिलाफ  मुकद्दमा दायर करना एक फैशन हो गया है। वह कहीं भी कुछ बोलते हैं तो देश के किसी न किसी हिस्से में उन पर मुकद्दमा हो जाता है। कांग्रेस के वकील नेताओं और राहुल की टीम को भी इसमें मज़ा आ रहा है कि राहुल एक के बाद एक अदालतों में पेश हो रहे हैं। इसमें सबको फायदा दिख रहा है। जो मुकद्दमा कर रहा है उसके नाम की चर्चा हो रही है, तो भाजपा उस मुद्दे का अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रही है और कांग्रेस नेताओं को संतोष है कि मुकद्दमों के बहाने ही सही राहुल गांधी की खबर तो मीडिया में दिख रही है। राहुल के खिलाफ  एक ही मुद्दे पर अलग-अलग अदालतों में मुकद्दमा दर्ज होता है और कांग्रेस दोनों को एक जगह करने की मांग नहीं करती है। मोदी सरनेम वाले उनके बयान को लेकर सूरत में एक मुकद्दमा दर्ज हुआ था, जिसमें उनको दो साल की सज़ा हुई है तो उसी मामले में एक मुकद्दमा पटना में दर्ज हुआ, जहां राहुल को 25 अप्रैल को हाज़िर होना है। सवाल है कि एक ही अपराध के लिए क्या दो जगह सुनवाई और सज़ा हो सकती है? बहरहाल, अब लंदन में दिए राहुल के भाषण पर दिल्ली में एक मुकद्दमा हो गया है। उधर महाराष्ट्र में सावरकर के पोते ने राहुल पर मानहानि का केस कर दिया है। महाराष्ट्र के भिवंडी में ही आरएसएस के एक स्वयंसेवक की ओर से दर्ज कराया गया मुकद्दमा अभी चल ही रहा है।
मोदी को मस्जिद से परहेज़
भाजपा पिछले कुछ समय से ईसाई और मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिशों में लगी हुई है। इन्हीं कोशिशों के तहत कुछ समय पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में एक प्रमुख मस्जिद के इमाम से मुलाकात की थी और एक मुस्लिम धर्मगुरु की मज़ार पर गए थे। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में अपनी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कार्यकर्ताओं से पसमांदा यानी पिछड़े वर्ग के मुसलमानों को भाजपा से जोड़ने की बात कही थी। इस सिलसिले में इसी महीने की नौ तारीख को ईसाइयों के पर्व ईस्टर पर प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली की सेक्रेड हार्ड कैथोलिक चर्च पहुंचे और वहां कैंडल सेरेमनी में हिस्सा लिया। इस मौके पर पादरियों ने मोदी का शॉल ओढ़ा कर और गुलदस्ता व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान भी किया। देश के अन्य हिस्सों में भी भाजपा के नेता ईसाइयों के बीच गए और उन्हें ईस्टर की बधाई दी। उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री जिस तरह ईस्टर के मौके पर चर्च गए, उसी तरह ईद के मौके पर भी वह राजधानी की किसी बड़ी मस्जिद में जाकर मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलेंगे और उन्हें ईद की बधाई देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मस्जिद से प्रधानमंत्री मोदी ने अपना परहेज़ बरकरार रखा। अलबत्ता उन्होंने हमेशा की तरह ट्वीट करके ईद की बधाई ज़रूरी दी। जिस तरह प्रधानमंत्री किसी मस्जिद में नहीं गए उसी तरह उनकी पार्टी ने भी इस मौके पर मुस्लिम समुदाय से दूरी बनाए रखी।
 विपक्षी दलों पर शिकंजा
केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियां सिर्फ  उन्हीं विपक्षी दलों और नेताओं को ज्यादा निशाना बना रही हैं जो भाजपा और केन्द्र सरकार को चुनौती दे रहे हैं या जिनसे चुनाव के बाद जरूरत पड़ने पर भाजपा को मदद मिलने की संभावना नहीं है। जो प्रादेशिक क्षत्रप खुलेआम चुनौती नहीं दे रहे हैं या भाजपा को चुनावी नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं है या जिनके बारे में यह संभावना है कि ज़रूरत पड़ने पर भाजपा के साथ जा सकते हैं, उनके खिलाफ  भी मामले हैं लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। इस तरह के दलों में जनता दल (एस), तेलुगू देशम पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, अन्ना डीएमके, बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल आदि शामिल हैं। यहां तक कि डीएमके, झारखंड मुक्ति मोर्चा और समाजवादी पार्टी को भी इस श्रेणी में रखा जा सकता है। दूसरी श्रेणी की जो पार्टियां हैं उनमे कांग्रेस अव्वल है। उसके बाद तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति आदि का नाम लिया जा सकता है। इन पार्टियों के शीर्ष नेताओं को किसी तरह से मुकद्दमों में उलझाने और परेशान करने की रणनीति पर काम हो रहा है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी के आरोपों से भी इसका आभास होता है। दोनों को ऐसे मामलों में पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है, जिनमें पहले उनका नाम नहीं था। केजरीवाल और अभिषेक ने कहा है कि आरोपियों को उनका नाम लेने के लिए धमकी दी जा रही है। 
बिना गिनती के सबसे बड़ी आबादी 
भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र का जनसंख्या डैशबोर्ड बता रहा है कि भारत की आबादी 142.86 करोड़ हो गई है, जो चीन से करीब 57 लाख ज्यादा है। लेकिन भारत के पास इसका आधिकारिक आंकड़ा नहीं है क्योंकि 2011 के बाद 2021 में जो जनगणना होनी थी, वह नहीं हुई है। सो, आखिरी जनगणना के 12 साल बाद आबादी का आंकड़ा अनुमानों पर आधारित है। सब जानते हैं कि पिछले 12 साल में दुनिया तेज़ी से बदली और आबादी नियंत्रित करने के जो उपाय हुए थे, उनका व्यापक असर दिखा है। लेकिन गिनती होती तो पता चलता कि किस समुदाय और किस भौगोलिक इलाके में किस तरह से जनसंख्या संरचना में बदलाव आया है। पहले कोरोना वायरस की महामारी की वजह से जनगणना टली थी और अब लोकसभा चुनाव की वजह से इसके टले रहने की संभावना है। हालांकि जनगणना में देरी का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां जातियों की गिनती की बात कर रही हैं और जातीय जनगणना से भाजपा को राजनीतिक नुकसान दिख रहा है। विपक्ष का आरोप है कि जातियों की गिनती रोके रखने के लिए जनगणना रोक दी गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव के बाद भी गिनती होती है या सीधे 2031 के लिए तैयारी होती है।
शिव सेना आशंकित है पवार से 
शिव सेना को आशंका है कि शरद पवार की पार्टी भाजपा के साथ जा सकती है। हालांकि पार्टी के नेता खुल कर यह बात नहीं कह रहे हैं। वे आशंका जता रहे हैं कि अजित पवार भाजपा के साथ जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनकी भाजपा नेताओं से बात हुई है और सरकार में शामिल होने के फार्मूले पर चर्चा हुई है। 
वास्तव में शिव सेना के एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। बताया जा रहा है कि उनकी सदस्यता समाप्त हो सकती है। ऐसे में शिंदे सरकार को बाहरी मदद की ज़रूरत होगी। इसलिए कहा जा रहा है कि अजित पवार वह मदद मुहैया करा सकते हैं। हालांकि यह काम वह शरद पवार की मज़र्ी के बगैर करेंगे या उनकी सहमति से, यह तय नहीं है। शिव सेना और कांग्रेस दोनों उम्मीद कर रहे हैं कि शरद पवार महा विकास अघाड़ी में बने रहेंगे। संजय राउत ने ‘सामना’ के अपने कॉलम में लिखा है कि शरद पवार ने पिछले दिनों उद्धव ठाकरे से मुलाकात में कहा कि जो भाजपा के साथ जाएगा वह आत्मघात करेगा। हो सकता है कि पवार सचमुच ऐसा सोचते भी हों। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि शरद और अजित पवार दोनों ने शिव सेना के नेताओं से कहा है कि केंद्रीय एजेंसियों का खतरा परिवार के ऊपर मंडरा रहा है।