असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं

असफलता को झेलने के लिए आत्मविश्वास की परम आवश्यकता होती है और असफलता ऐसा स्वाद है जिसे हर व्यक्ति ने जीवन में कभी ना कभी ज़रूर चखा होगा। असफल होने से निराश होने की आवश्यकता नहीं है। महापुरुषों ने कहा है कि असफलता यह दर्शाती है कि आपने प्रयास पूरे मन से नहीं किया है। अत: असफलता मिलने के बाद सफलता के लक्ष्य को निर्धारित कर कड़ी मेहनत करनी चाहिए। 
असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है और यह सामान्य मानवीय कृत्य भी है। असफल होने के कारणों का पता लगाकर सफलता के लिए प्रयास हमेशा हमें दोगुना कर देना चाहिए। यह भी ज़रूरी नहीं है कि एक बार सफल होने के बाद मनुष्य सदैव सफल ही होता रहेगा। इसके लिए मनुष्य को लगातार चिंतनशील, आत्म-विश्वासी, साहसी और सतर्क रहना चाहिए। सफल होने के लिए व्यक्ति का प्रतिभावान होना ज़रूरी होता है। आत्मविश्वास का अर्थ शक्ति और ऊर्जा होती है। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा देश है। हमारे देश के लाखों, करोड़ों युवाओं का जीवन लक्ष्यहीन है। वे बहुत सारी इच्छाएं तो रखते हैं परन्तु उन्हें पूर्ण करने हेतु कड़ी मेहनत, पक्का इरादा नहीं रखने की भूल कर देते हैं और यही कारण है कि वे जीवन में इधर-उधर भटक कर निराश हो जाते हैं। कठिन परिश्रम की कमी ही युवा वर्ग की भटकाव की स्थिति की परिणति है।
आज का युवा बिना सुनियोजित प्रयास के लक्ष्य की प्राप्ति की आकांक्षा रखने लगे हैं और असफल होने के बाद उसका मूल्यांकन न कर निराश होकर किसी अन्य शार्टकट मार्ग को चुनने के लिए बाध्य हो जाते हैं। मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास ही ऐसा गुण है जिससे हम संकल्पित होकर बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर जीवन में सफलता के परचम लहरा सकते हैं। देश के नौजवानों को हमारे सफल महापुरुषों से शिक्षा लेकर सफलता के लिए पूरे आत्मविश्वास के साथ निरन्तर श्रम करना चाहिए जिससे न सिर्फ  उनका भला हो बल्कि पूरे समाज एवं देश का भला हो सके।

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