घोषणा-पत्रों में फिर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास

 

चुनावी घोषणा-पत्र धूल खा रहे हैं। आशय का कथन शायद अनुवाद में खो गया है, पर बोलना ज़रूरी है। अधिकतर मतदाताओं, जिन्हें चुनावी घोषणा-पत्रों पर विश्वास नहीं होता, को विश्वास करने के लिए कहा जाता है। भाजपा ने सबसे पहले कर्नाटक चुनाव के लिए अपना घोषणा-पत्र जारी किया। 
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा के घोषणा-पत्र ने समान नागरिक संहिता और एनआरसी को लागू करने के अपने बार-बार के झांसे से कर्नाटक में बहुत कम हलचल पैदा की है। क्या भाजपा पिछले 5 सालों से कर्नाटक में सत्ता में नहीं थी कि अब वह सत्ता में आने पर ऐसा करने का वायदा कर रही है? समान नागरिक संहिता एक सफेद हाथी है। परन्तु हर बार जब चुनाव नज़दीक होते हैं, तो यह मुद्दा उठाया जाता है।
भाजपा के घोषणा-पत्र की तुलना में कांग्रेस के घोषणा-पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वायदा किया गया है। फिर इसे संतुलित करने के लिए कांग्रेस ने बजरंग दल के साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ  इंडिया (पीएफआई) को भी रखा, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि पीएफआई को मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया था! 
कांग्रेस के अनकहे वायदों में से एक भारतीय राजनीति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छुटकारा दिलाना है, भले ही इसका मतलब है कि उन्हें एक अधिक स्वीकार्य और उत्तरदायी भाजपा नेता के साथ बदल दिया जाये। ऐसा लगता है मानो यह कर्नाटक विधानसभा का घोषणा-पत्र नहीं बल्कि उससे भी ज्यादा कांग्रेस के 2024 के आम चुनाव का घोषणापत्र हो। भाजपा का घोषणा-पत्र अपने सामान्य बोलचाल के साथ आशा को बढ़ाता है। बीपीएल परिवारों को साल में तीन बार मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर से लेकर हर महीने 5 किलो चावल और रोजाना आधा लीटर नंदिनी दूध।
भाजपा धार्मिक कट्टरता से लड़ने के लिए एक विशेष पुलिस बल भी स्थापित करेगी। क्या इससे राज्य में अल्पसंख्यकों को आश्वस्त होना चाहिए? अगर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के घोषणा-पत्र के संकल्प पर हल्ला-गुल्ला कुछ भी हो जाये, तो विशेष पुलिस विंग एक सफेद हाथी होगा! 
हर चुनी हुई सरकार को सीधे पांच साल मिलते हैं। जब पुन: चुनाव आये तो फिर एक और घोषणा-पत्र लेकर जारी किया जाता है। आपको क्या लगता है कि मतदाता घोषणा पत्र के साथ क्या करेगा? स्पष्ट कारणों से भाजपा का घोषणा-पत्र वर्तमान राजनीतिक पन्ने को पलटने वाला नहीं है। यह एक नई बोतल में पुरानी शराब जैसे है।
भाजपा का घोषणा-पत्र एक बड़ा विश्वास-घाटे के साथ आता है। लोगों ने कितनी बार सुना है ‘हम कर्नाटक/भारत में समान नागरिक संहिता लागू करेंगे...? प्रस्तावित विशेष पुलिस विंग जिसे कर्नाटक-स्टेट विंग अगेंस्ट रिलिजियस फंरडा मेंटलिज़्म एंड टेरर (के-स्विफ्ट) कहा जाता है, एक नवीनता है।लेकिन बात करें कि प्रधानमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से अल्पसंख्यक समुदायों को लाभ होगा, तो समान मात्रा में असंतोष पैदा होता है। इसीसे जुड़ी यह आलोचना है कि भाजपा भी वोट के लिए ‘मुफ्त’ का सहारा ले रही है।
हतप्रभ हैं तो आगे सुनिये। ‘पांच गारंटी’ हैं—परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को प्रति माह 2000 रुपये, महिलाओं के लिए मुफ्त बस पास, स्नातकों के लिए 3000 रुपये का बेरोज़गारी भत्ता और डिप्लोमा धारकों के लिए 1500 रुपये, प्रति माह 10 किलो मुफ्त चावल और प्रति घर 200 यूनिट मुफ्त बिजली।
कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कहा गया है कि भाजपा द्वारा पारित सभी अन्यायपूर्ण और जनविरोधी कानूनों को रद्द कर दिया जायेगा। कांग्रेस ने भाजपा के घोषणापत्र को ‘झूट-लूट बीजेपी मनीफेस्टो’ करार दिया और भाजपा पूरी तरह से हक्की-बक्की नज़र आयी। भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय की बोली कहीं कुछ सुनाई नहीं दे रही और न ही वे कहीं नज़र आ रहे हैं। इससे यही रेखांकित होता है कि कांग्रेस का घोषणा:पत्र अपने लेबल ‘बीजेपी मनीफेस्टो’ के साथ रचनात्मकता में स्पष्ट रूप से भीड़ का पसंदीदा हो गया है। (संवाद)