विदेश जाने वाले सावधान रहें

हाल ही में प्रकाशित कुछ समाचारों के अनुसार कनाडा से सात सौ से अधिक विद्यार्थियों (स्टूडैंट वीज़ा पर गये युवा) को अपर्याप्त प्रमाण पत्रों के कारण देश से बाहर (वापिस भारत) भेजने का आदेश दिया है। पंजाब से प्रतिदिन कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या अमरीका जाने के इच्छुक लोगों के सैकड़ों आवेदन भेजे जाते हैं। 
आइलैटस करने वाले छात्र/छात्राओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वहीं कालेज कैम्पस लगभग खाली होते चले जा रहे हैं क्योंकि जमा-दो (+2) पास आऊट होने के बाद लगभग प्रत्येक विद्यार्थी का लक्ष्य विदेश जाना होता चला गया है। इनके जहन में एक ही बात रहती है कि यहां पंजाब में हमारा कुछ नहीं होने वाला। किसी भी तरह विदेश जाना विकल्प है। इसके लिए चाहे घर गिरवी रखा जाये या बेचा जाये या फिर ज़मीन बेची जाए। कुछ लाख रुपये खर्च कर विदेश जाना ज़रूरी है। नहीं तो यहीं धक्के खाते रहेंगे।
इनमें से ज्यादातर लड़के-लड़कियां आधुनिक तकनीक को ठीक से सम्भाल नहीं पाते और अपने प्रमाण-पत्र (सर्टीफिकेट), आधार कार्ड, राशन कार्ड की फोटो कापी  की फाइल उठाकर किसी न किसी एजेंट के दफ्तर पहुंच जाते हैं और कई बार किसी न किसी से धोखे के शिकार भी होते हैं। जहां खर्च किया पैसा भी व्यर्थ चला जाता है और आगे का रास्ता भी बंद हो जाता है। 
एक अनुमान के अनुसार हर साल विदेश जाने के लिए लगभग 2.50 लाख लोग आवेदन कर रहे हैं। इनमें से लगभग पचास हज़ार ही सही ढंग से जा पाते हैं। वीजा लगने के वास्तविक कारणों की जांच किये बिना ही फर्जी एजेंटों का शिकार बनने के लिए तैयार रहते हैं।  लगभग चार मास पहले का एक अध्ययन बताता है कि प्रदेश में बीस हज़ार से अधिक फर्जी ट्रैवल एजैंट हैं। पैसे कमाने के लिए ये फर्जी एजेंट अपहरण और हत्या तक के अपराध में संलिप्त भी पाये गये हैं। कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमरीका, इंग्लैंड, गल्फ कंट्रीज़ में भेजने के नाम पर 15 से 35 लाख रुपये तक ठगे जा रहे हैं। जनवरी 2016 से जून 2018 तक ही प्रदेश के 42 हज़ार लोगों से 17 हज़ार 480 करोड़ रुपये ठगे जा चुके थे जिनमें सर्वाधिक संख्या बेरोज़गार युवाओं की है। ऐसे एजेंट आमतौर पर ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे बेरोज़गार युवा वर्ग को फंसा लेते हैं। क्योंकि इस जाल में फंसने वाले 48 प्रतिशत लोग ऐसे ही युवा वर्ग के लोग हैं। कुछ लोग तो शिकायत करने के स्थान पर उनके दफ्तरों के चक्कर ही लगाते रह जाते हैं। अमूमन उनके दफ्तर चकाचक और आलीशान नज़र आते हैं। जो ग्राहक को मानसिक रूप से प्रभावित करता है। वे अक्सर अपना मुख्य कार्यालय दिल्ली या मुम्बई में बताते हैं। पीड़ित यदि पुलिस के पास जाने की बात कहता है तो उसे धमकाया जाता है। 
विदेश जाने वाले इच्छुक व्यक्ति को विदेश की, वहां जाकर जॉब मिलने, रहन-सहन की बहुत कम जानकारी होती है। केवल कुछ सुनी-सुनायी, कुछ हवाई बातें ज़हन में होती है और वे स्वप्नदर्शी होकर भटकते रहते हैं। रिसर्च के अनुसार वैसे भी तीस प्रतिशत मामले ही दर्ज होते हैं।  विदेश जाने वाले लड़के-लड़कियों को अपनी ज़मीनी सच्चाई का पता होना चाहिए। वहां जाकर उन्हें कौन-सी जॉब मिल सकती है, इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। एजेंटों के चक्कर में फंसने से पहले पूरी जानकारी लेनी चाहिए, जोकि  आसानी से मिल सकती है।