बच्चों के लिए सबसे अच्छा तोहफा होता है माता-पिता का समय

माता-पिता अपने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए उन्हें हर वो चीज़ लाकर देते हैं जो बच्चों को पसंद है या जिसकी उन्हें ज़रूरत है। कभी-कभी अपनी सामर्थ्य से बढ़कर भी अगर कुछ लाना पड़े तो अभिभावक संकोच नहीं करते। आधुनिक समय में प्रतिस्पर्धा का जो नया दौर चल रहा है उसके चलते तो बच्चों की मांगें भी बढ़ गई हैं। बच्चों को वो सभी चीज़ें चाहिए जो उनके दोस्तों या जान-पहचान के बच्चों के पास हैं और अभिभावक भी बिना किसी परेशानी के वो सभी चीज़ें उपलब्ध करवा देते हैं परंतु जो चीज़ सबसे ज्यादा ज़रूरी होती वो माता-पिता देना भूल जाते हैं और वो है समय। 
माता-पिता के पास अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए, उनकी परेशानियों, खुशियों और दिनचर्या की बातों को सुनने के लिए समय ही नहीं है। वे बच्चों की गतिविधियों पर नज़र नहीं रख पाते, उनकी संगत कैसी है? किस तरह के लोगों से बच्चे बात कर रहें हैं? उनके साथियों व सहपाठियों का स्वभाव कैसा है? माता-पिता ये भी नहीं देख पाते कि उनके बच्चे टीवी, मोबाइल या इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं और उससे क्या सीख रहें हैं? ऐसी न जाने कितनी ही बातें हैं जिनपर अभिभावकों की नज़र होनी चाहिए किंतु समय की कमी के चलते वो ध्यान नहीं दे पाते, जिसका कुप्रभाव स्पष्ट रूप से बच्चों के स्वभाव में देखने को मिल रहा है। बुरी संगत में पड़ना, नशे की लत, पढ़ाई-लिखाई से दूरी, अपनी ही किसी काल्पनिक दुनिया में खोए रहना, मानसिक और शारीरिक विकार और भी न जाने कितनी ही समस्याओं व परेशानियों से बच्चे घिरे हुए हैं।
अभिभावकों को यह बात समझाने की बहुत आवश्यकता  है कि बच्चों को सबसे ज्यादा ज़रूरत है माता-पिता के साथ, उनके प्रोत्साहन और उनके समय की। बच्चों की हर छोटी बड़ी समस्या को सुनकर उसका समाधान निकालने में सहायक बनें। बच्चों की छोटी या बड़ी सफलता पर प्रोत्साहित करें। उन्हें सही और गलत काम में फर्क करना, सही काम के फायदे व गलत काम के नुकसान बताएं। माना कि आजकल के समय में माता और पिता दोनों ही बहुत व्यस्त रहते हैं पर अपने बच्चों के लिए किसी भी तरह समय निकालना बहुत ज़रूरी है। इससे पहले कि बच्चों को संभालने, सीखाने या सुधारने का समय ही निकल जाए।