बच्चों को अनुशासित बनाने में अच्छा व्यवहार एक अमूल्य रत्न

माता-पिता के अनुशासन और व्यवहार का उनके बच्चों के जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए माता-पिता को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता के साथ घर में रहकर सबसे पहले जो वे देखते हैं। वे वही कुछ करते हैं। वास्तव में आजकल बहुत से बच्चों में संस्कार और अनुशासन की कमी है। इस गलत आदत को सुधारने के लिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को बचपन से ही सही और गलत की सही शिक्षा देने की कोशिश करें। सच बोलने से मन को सुकून मिलता है। झूठ बोलकर बच्चे तनाव में रहते हैं। एक झूठ के कई झूठ बोलने पड़ते हैं। उन्हें युवावस्था में ही अच्छी चीजों की आदत डालने की कोशिश करनी चाहिए।
बच्चों को शिष्टाचार की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। बच्चों के सामने किसी की चुगली करने से बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। वे ऐसी ही बुरी आदतें सीखते हैं। यदि आप स्वयं नियमों पर चलेंगे तो आपके बच्चों में अनुशासन और शिष्टाचार की भावना विकसित होगी। इससे वे एक अच्छा जीवन जी सकते हैं साथ ही सभ्य भी बन सकते हैं।
इसी के साथ ये सभी का सम्मान करते हैं। इनकी सोच ऊंची होती है। वास्तव में माता-पिता ही अपने बच्चों के मार्गदर्शक होते हैं। बच्चों को सही गलत का ज्ञान कराना माता-पिता का कर्तव्य है। स्कूल में शिक्षक बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाएं। बच्चों को बैठने, खाने और दूसरों के साथ बातचीत करने के तरीके सिखाएं। कोई आपके घर आए या हम किसी के घर जाएं, किसी के साथ कैसा व्यवहार करना यह भी शिष्टाचार का एक विशेष अंग है। चीखने-चिल्लाने से बच्चे अच्छे नहीं लगते।
बच्चों को अपने सहपाठियों से हमेशा दोस्ती बनाए रखने की नसीहत देते रहें। बच्चे अनुशासित होकर जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। इससे ये अपने से बड़ों का अनुसरण बहुत जल्दी सीख जाते हैं। कम उम्र में ही बच्चों को अनुशासन व अच्छे संस्कारों से परिचित कराएं। बच्चों को दुर्व्यवहार से रोकना माता-पिता का नैतिक कर्तव्य है।  वास्तव में बच्चे ही हमारी सच्ची पूंजी हैं। इसलिए उन्हें अनुशासन और शिष्टाचार के साथ जीवन जीने का तरीका सिखाएं। अच्छा व्यवहार एक अमूल्य रत्न है। यह बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। बच्चों को भी अनुशासित होना चाहिए और शिष्टाचार का एक बेहद सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। इससे सफलता हमेशा उनके कदम चूमेगी।

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