तबाही मचा गया बिपरजॉय 

केन्द्र व राज्यों की सरकारों, देश की आपदा प्रबंधन टीम, मौसम वैज्ञानिकों, तटरक्षक बल टीम व इस अभियान से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी के समग्र प्रयासों से अरब सागर पर आये सुपर चक्रवात बिपरजॉय को गुजरात के लैंडफॉल के दौरान बिफरने से इस तरह बचा लिया कि देश दुनिया में आये इस तरह के किसी भी तूफान में संभवत: यह पहला प्रबंधन होगा जिसमें लगभग नहीं के बराबर जनहानि हुई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस तरह के तूफान से हानि तो होती ही है, परन्तु जनहानि को न्यूनतम रखा जाना किसी भी सरकार की सबसे बड़ी सफलता मानी जा सकती है। यह साफ  हो जाना चाहिए कि प्राकृतिक आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, परन्तु पूर्व व योजनावद्ध तैयारी से हानि को कम से कम स्तर पर लाया जा सकता है। बिजली की खंभे गिर जाना, टीन-टप्पर उड़ जाना, पेड़ गिर जाना आदि नुकसान तो होता ही है परन्तु नुकसान को कम से कम स्तर पर लाना और तात्कालिक राहत की सभी व्यवस्थाएं समय पर सुनिश्चित करना बड़ी सफलता माना जाना चाहिए। हालांकि अब गुजरात और राजस्थान में तेज़ तूफान व भारी बारिश का दौर चला गया है। प्राप्त समाचारों के अनुसार लैंडफाल के बाद केवल दो लोगों की मौत का समाचार है। हालांकि जनहानि एक भी होती है तो उसे स्वीकार्य नहीं माना जा सकता परन्तु जिस तरह से इस चक्रवात के सजीव प्रसारणों के दौरान कुछ लोगों को लाख समझाने के बाद भी लापरवाही से घूमते हुए देखा गया, वह किसी दण्डनीय अपराध से कम नहीं माना जाना चाहिए। जिस तरह से बिपरजॉय को लेकर समूचा देश चिन्तित रहा, उसे देखते हुए और तूफान की भयावहता के बावजूद मौसम विज्ञानियों का आकलन सटीक रहा। मौसम विभाग ने समय और गति का जिस तरह से आकलन किया, वह लगभग खरा उतरा है और हमारे मौसम वैज्ञानिकों के आकलन ने विश्व स्तर पर लोहा मनवा दिया है। 
समुद्री रास्ता तय करने के बाद बिपरजॉय तूफान ने पहले गुजरात और फिर राजस्थान की जमीं पर तेज हवा और बरसात के माध्यम से अपना असर दिखाया। केन्द्र के साथ ही गुजरात और राजस्थान की सरकारें स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार थीं। दरअसल, एक समय था जब अरब सागर इस तरह के समुद्री तूफानों का केन्द्र लगभग नहीं के बराबर ही रहता था, परन्तु अब अरब सागर में तूफानी गतिविधियां अधिक होने लगी है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अरब सागर क्षेत्र में बढ़ते तापमान से चक्रवातों की तीव्रता में बढ़ोतरी हुई है। अरब सागर में आने वाले चक्रवातों से 9 प्रदेशों के 82 करोड़ लोग प्रभावित होने के साथ ही अरब सागरीय तूफान का असर पाकिस्तान और यमन ओमान तक देखा जा सकता है। अरब सागर के ये चक्रवाती तूफान देखा जाए तो मई जून यानि मानसून के आसपास ही देखे गये हैं। बिपरजॉय को लेकर इसलिए अधिक चिंता और गंभीरता रही कि गुजरात में 1996 और 1998 में आये चक्रवाती तूफानों खासतौर से 1998 के टाइफून के दौरान जिस तरह से बंदरगाह के इर्दगिर्द हज़ारों की संख्या में लोगों की मौत और गुम होने का दंश आज भी गुजरात के लोग सह रहे हैं। ऐसे में बिपरजॉय की भयावहता को देखते चिंतित होना स्वाभाविक था। हालांकि जिस तरह से प्रबंधन दक्षता व परस्पर समन्वय का परिचय दिया गया है उसकी जितनी सराहना की जाएं वह कम है। देश में 2013 के फैलिना तूफान से लेकर, हुदहुद, वरदा, फैनी, अम्फान, ताउते व बिपरजॉय तक 11 बड़े चक्रवाती तूफान आ चुके हैं। दरअसल बिपरजॉय तूफान सुपर साइक्लोन होने के कारण इससे भारी जन-धन हानि होने की आशंका व्यक्त की जा रही थी। यही कारण है कि करीब एक लाख लोगों को गुजरात के तटीय इलाकों खासतौर से मांडवी व आसपास के क्षेत्र से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया था। लोगों को सावधान किया गया। पल-पल की जानकारी साझा की जाती रही। लगभग एक सौ ट्रेनें रद्द की गई या उनका रास्ता बदला गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्र सरकार के मंत्रीगण, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत न केवल स्थिति पर नज़र रखे हुए थे अपितु उच्च स्तरीय बैठक कर तैयारियों की समीक्षा भी कर रहे थे। 
इसमें कोई दो राय नहीं कि बिपरजॉय तूफान ने बड़ी तबाही मचाई है और बिजली-मोबाइल पोल्स के साथ ही पेड़ों को धराशाही कर और इसी तरह के अन्य नुकसान से अपने तबाही के चिन्ह छोड़े हैं, परन्तु सबसे बड़ी बात जनहानि होने से बचाना और तबाही को कम से कम स्तर पर लाना बड़ी बात होती है। समय पर और सटीक मौसम अनुमान और तैयारियों से निश्चित रूप से जिस तरह की देश ने परिचय दिया है, वह पूरी दुनिया के लिए आपदा प्रबंधन की एक मिसाल से कम नहीं माना जा सकता। इससे बेहतर प्रबंधन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब तो आशा यह की जानी चाहिए कि अब आंधी व बरसात के दौर से भी प्रभावी ढंग से निपटकर बिपरजॉय के आतंक को कुंद किया जाए। जनहानि से बचाना आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी सफलता है।

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