संगीत के बिना व्यर्थ है जीवन की कल्पना


आज विश्व संगीत दिवस पर विशेष

आज की आपाधापी, तनाव एवं अवसादपूर्ण जीवन में संगीत ही एक ऐसा माध्यम है जो शांति, सुकून एवं आनन्द प्रदत्त कर सकता है। संगीत सुनने से इंसान को अलौकितता का अहसास होता है। डाक्टर भी संगीत को सेहत के लिए फायदेमंद मानते हैं। संगीत को लेकर हुए अध्ययनों में पता चला है कि संगीत शरीर में बदलाव लाता है, जो स्वास्थ्य में सुधार एवं शांति स्थापित करता है। इसके अलावा जो मरीज  अवसाद और निराशा के शिकार होते हैं, उन्हें इससे बाहर निकालने के लिए संगीत थेरेपी दी जाती है। संगीत मन और शरीर दोनों को ही आराम पहुंचाता है। संगीत अमूर्त कला है पर उसमें निहित शांति, सौन्दर्य एवं संतुलन की अनुभूति विरल है। संगीत की इसी खासियत को सभी तक पहुंचाने के लिये 21 जून को पूरे विश्व में संगीत दिवस मनाया जाता है। संगीत अशांति के अंधेरों में शांति का उजाला है। यह अंतर्मन की संवेदनाओं में स्वरों का ओज है।   
संगीत दिवस को ‘फेटे डी ला म्यूजिक’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है ‘संगीत उत्सव’। संगीत स्वयं में एक उत्सव ही है। शादी में ढोलक-शहनाई, भजन-मंडली में ढोल-मंजीरा, शास्त्रीय संगीत में तानपूरा, तबला, सरोद, सारंगी का हम सब भरपूर आनंद उठाते हैं। बचपन में संपेरों द्वारा बीन बजाते ही लहराते हुए सांप का खेल भी हमने खूब देखा है। अपरिचित इंसानों से भरे कमरे में यदि संगीत की धुन छेड़ दी जाए तो सबके पैर स्वयं ही थिरकने पर विवश हो जाते हैं क्योंकि संगीत की भी अपनी अनूठी भाषा, अभिव्यक्ति, स्पंदन है, जो बिना शब्दों के भी दूसरे के मन तक आसानी से पहुंच जाती है। ये संगीत का जादुई प्रभाव ही है कि नवजात शिशु भी झुनझुने की आवाज़ सुन किलकारी भरने लगता है। श्रीकृष्ण की बांसुरी की मीठी ध्वनि और गोपियों का आकर्षित हो खिंचे चले आना-ये सारे किस्से संगीत की ही महिमा का बखान करते हैं।
विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही फ्रांस में पहली बार 21 जून 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया था, जिसका श्रेय तात्कालिक सांस्कृतिक मंत्री श्री जैक लो को जाता है। इससे पूर्व अमरीका के एक संगीतकार योएल कोहेन ने वर्ष 1976 में इस दिवस को मनाने की बात की थी। विश्व संगीत दिवस को मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके से लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करना है ताकि लोगों का विश्वास संगीत से न उठे। लांगफेलों के अनुसार संगीत मानव की विश्वव्यापी भाषा है।’ विशेषज्ञों के मुताबिक, मानसिक शांति के लिए संगीत को अहम माना गया है। आज की व्यस्त एवं अस्तव्यस्त जीवनशैली में लोगों को सुकून के दो पल नहीं मिल पाते। इस सुकून को पाने के लिए संगीत एक बेहतर विकल्प है। अगर आप अकेले हैं तो भी संगीत आपका अच्छा साथी बन सकता है। संगीत दिल को खुशी देने का काम करता है। संगीत सिर्फ सात सुरों में बंधा नहीं होता। इसे बांधने के लिए विश्व की सीमाएं भी कम पड़ जाती हैं। संगीत दुनिया में हर मर्ज की दवा मानी जाती है। यह दुखी से दुखी इंसान को भी खुश कर देती है, संगीत का जादू एक मरते हुए इंसान को भी खुशी के लम्हे दे जाता है। अगर इसे महसूस करें तो दैनिक जीवन में संगीत ही संगीत भरा है-कोयल की कूक, पानी की कलकल, हवा की सरसराहट हर जगह संगीत ही तो है, बस ज़रूरत है तो इसे महसूस करने की। 
संगीत मानव जगत को ईश्वर का एक अनुपम दैवीय वरदान है। यह न सरहदों में कैद होता है और न भाषा में बंधता है। माना हर देश की भाषा, पहनावा और खानपान भले ही अलग हों, लेकिन हर देश के संगीत में सभी सात सुर एक जैसे होते हैं और लय-ताल भी एक-सी होती है। संगीत हर इंसान के लिए अलग मायने रखता है। किसी के लिए संगीत का मतलब अपने दिल को शांति देना है तो कोई अपनी खुशी का संगीत के द्वारा इजहार करता है। प्रेमियों के लिए तो संगीत किसी रामबाण या ब्रह्मास्त्र से कम नहीं। संगीत में मूड ठीक करने की अद्भुत ताकत होती है। अच्छा संगीत बेचैनी कम करता है। बेवजह एक-दूसरे से उलझ रही बातों को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। शोध कहते हैं कि घंटों काम कर रहे व्यक्ति का कुछ देर अच्छा संगीत सुनना उनकी रचनात्मकता व कार्यक्षमता को बढ़ा सकता है।
भारत में संगीत का हजारों वर्षों का इतिहास है, शास्त्रीय संगीत आदि काल से है। संगीत के आदि स्रोत भगवान शंकर हैं। उनके डमरू से तथा श्रीकृष्ण की बांसुरी से संगीत के सुर निकले हैं। किंवदन्ति है कि संगीत की रचना ब्रह्माजी ने की थी। ब्रह्माजी ने ज्ञान की देवी सरस्वती को संगीत की सीख दी। मां सरस्वती के कर-कमलों में वीणा की उपस्थिति संगीत की महानता की कहानी स्वयं ही कह जाती है। देवी सरस्वती ने नारदजी को, नारदजी ने महर्षि भरत को तथा महर्षि भरत ने नाट्यकला के माध्यम से जन सामान्य में संगीत को पहुंचाया। सूरदास की पदावली, तुलसीदास की चौपाई, मीरा के भजन, कबीर के दोहे, संत नामदेव की सिखानियां, संगीत सम्राट तानसेन, बैजु बाबरा, कवि रहीम, संत रैदास संगीत को सदैव जीवित रखेंगे। विश्व संगीत दिवस को मनाने का उद्देश्य संगीत विशेषज्ञ व विश्व के संगीत कलाकारों को एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर लाकर विश्व एकता तथा विश्व शान्ति का सन्देश सारी दुनिया को देना भी है। संगीत आपके मूड, भाव और विचारों पर असर डालने की ताकत रखता है। यूं अगर महसूस करें तो सुबह बिस्तर छोड़ने के बाद से ही कोई न कोई संगीत कानों में पड़ता रहता है। एक अध्ययन के अनुसार, जोशीला संगीत कुछ समय में ही मूड को तरोताजा कर देता है। खुशी दे सकता है। हां, पर उदासी वाले गाने या धुन सुनने की भूल न करें। संगीत के सात स्वर बीमारियों को छूमंतर कर सकते हैं। संगीत मन के भाव को बयां करने का बेहद सरल तरीका है। संगीत में लय, ताल का समावेश है तो संगीत थिरकने पर मजबूर कर देता है। लेकिन यही संगीत हमारे स्वास्थ्य को भी बेहतर कर सकता है। अकेलेपन में धीमे-धीमे बजते संगीत की स्वर लहरियां भी उतनी ही सुमधुर, कर्णप्रिय लगती हैं। हमारे सुख-दु:ख का साथी है संगीत, जो स्नेहसिक्त क्षणों में हमें अपनी बाहों में भर लेता है और पीड़ा के समय किसी अच्छे-सच्चे मित्र की तरह हाथ थामे साथ चलता है। 

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