मटके में पानी ठंडा क्यों होता है?

बच्चो, आप सब जानते हो कि गर्मियों के मौसम में मटके में रखा पानी ठंडा रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैसे ठंडा रहता है। आओ इस बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। बच्चो, कुदरत का एक नियम है जिसके अनुसार जब भी पानी का वाष्पीकरण अर्थात् जब भी पानी उड़ता है तो पीछे ठंडक छोड़ कर जाता है। इसी कारण जब हम गर्मी के मौसम में पसीना आने पर या नहाने के बाद पंखे के नीचे बैठते हैं, तो हमें ठंडक मिलती है क्योंकि हमारे शरीर से पानी का वाष्पीकरण हो रहा होता है। बच्चो मटके के पानी को ठंडा रखने के लिए यह कुदरती नियम सहायता करते हैं। मिट्टी के मटके को बनाने समय इसमें एक ज्वलनशील पदार्थ मिलाया जाता है। जब मिट्टी के मटके को पकाया जाता है, तो यह पदार्थ पूरी तरह से उड़ जाता है। जिससे मटके में छोटे-छोटे सूक्ष्मदर्शी सुराख बन जाते हैं। जब मटके में पानी रखा जाता है, तो यह पानी छेदों द्वारा बाहर को निकलता रहता है और अधिक गर्मी होने के कारण इस पानी का वाष्पीकरण होता रहता है। वाष्पीकरण के लिए आवश्यक ऊज़र्ा मटके के अंदर के पानी से मिलती रहती है और यह ऊज़र्ा बाहर को छोड़ दी जाती है। परिणाम स्वरूप पानी के भाप बनने के बाद ठंडक पैदा होती रहती है तथा मटके का पानी ठंडा रहता है। 
मटके का पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह शरीर की पाचन शक्ति को बढ़िया करता है। पेट की समस्याओं से राहत देता है। यहां वर्णनीय है कि रैफ्रीजरेटर में रखे ठंडे पानी का उपयोग हमारी इम्यूनिटी को कमज़ोर करती है।

-लैक्चरार कैमिस्ट्री, स.सी.सै. स्कूल गग्गोबूहा (तरनतारन)।