न साइकलॉजी, न जियोलॉजी डर्मेटोलॉजी में है सबसे शानदार कॅरियर

चेहरे पर उभर आए भद्दे मुंहासों से छुटकारा पाना हो, आंखों के किनारों पर पड़ी झुर्रियों को खत्म करना हो, तो हमें जो एकमात्र शख्स याद आता है, वह डर्मेटोलॉजिस्ट होता है। जी हां, त्वचा रोगों का विशेषज्ञ डॉक्टर। डर्मेटोलॉजिस्ट हमारी त्वचा, बाल और नाखूनों से जुड़ी सभी समस्याओं से हमें छुटकारा दिलाता है। इसके साथ ही यह हमारे बालों, नाखूनों और त्वचा को सुंदर और आकर्षक बनाने में भी सहायक होता है। इस तरह कहें तो एक डर्मेटोलॉजिस्ट हमें जीवन ही नहीं, खुशियां भी देता है। डर्मेटोलॉजिस्ट स्पेशिलिस्ट फिजिशियन भी होता है और सर्जन भी। 
अगर आपको भी इंसान की त्वचा, बाल, नाखून आदि की विभिन्न समस्याओं को जानने, समझने और उन्हें दूर करने के संबंध में रूचि है, तो आप भी डर्मेटोलॉजिस्ट बन सकते हैं। डर्मेटोलॉजी में पढ़ाई करने के बाद हम स्किन स्पेशलिस्ट बनते हैं, जिसकी मांग आज की तारीख में दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। क्योंकि लोगों के रहन-सहन में आयी बेहतरी के कारण अब लोग अपनी त्वचा को लेकर काफी कांशेस हो गये हैं। इसके साथ ही मैडीकल साइंस की उन्नति के कारण हमें यह भी समझ में आ गया है कि शरीर के ज्यादातर रोग हम तक हमारी त्वचा से होकर ही पहुंचते हैं। यही वजह है कि डर्मेटोलॉजी से जुड़े क्षेत्र का बहुत तेज़ी से विस्तार हो रहा है। अनेक शाखाओं वाला यह क्षेत्र कॅरियर के लिहाज से अब इसीलिए शानदार हो चुका है।  
आज की तारीख में डर्मेटोलॉजी मैडीकल क्षेत्र के टॉप-5 कॅरियर में से आता है। जिस कारण मैडीकल संस्थानों में टॉप-20 की रैंक पाने वाले छात्र भी इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने को बेताब रहते हैं। देश में डर्मेटोलॉजी से एमडी करने वाले छात्रों को संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। हालांकि भारत में अभी भी डर्मेटोलॉजी का क्षेत्र विदेशों की तुलना में काफी कम है, फिर भी तेज़ी से विस्तारित हो रहा है। इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी के साथ 12वीं पास होना ज़रूरी है। 12वीं के बाद मैडीकल क्षेत्र में प्रवेश हेतु आयोजित होने वाली विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में बैठकर मान्यता प्राप्त संस्थान से एमबीबीएस की डिग्री लेनी होती है। एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद ही इस क्षेत्र में जाया जा सकता है। डर्मेटोलॉजिस्ट के रूप में कॅरियर की शुरुआत करने के लिए डर्मेटोलॉजी विषय से एमडी करना अनिवार्य है। 
डर्मेटोलॉजी में एमडी करने के बाद विशेषज्ञ यही सलाह देते हैं कि छात्र को शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेशन कोर्स ज़रूर करना चाहिए। विदेशों में कराए जाने वाले ये कोर्स ज्यादा महंगे भी नहीं होते। वहां छात्रों को कॉस्मेटिक, फोटो डर्मेटोलॉजी, कांटेक्ट डर्मेटोलॉजी, ट्राइकोलॉजी, क्रोनोलॉजिकल फोटो एजिंग और लेजर ट्रीटमेंट की शिक्षा दी जाती है। इन सभी विधाओं में परफेक्ट होने के बाद यदि कॅरियर की शुरुआत की जाए तो समझिए कॅरियर खुद ब खुद पटरी पर आ गया। यह सर्टिफिकेशन कोर्स कम से कम एक महीने का होता है। इस क्षेत्र में सफल होने का एक मंत्र यह भी कि विदेश जाने की सुविधा न होने पर आप किसी बड़े और नामी डर्मेटोलॉजिस्ट के अंडर में ट्रेनिंग ले लें। 
आय- सरकारी अस्पताल में डर्मेटोलॉजिस्ट की नियुक्ति होने पर उसे 70 से 80 हजार रुपये मासिक तनख्वाह दी जाती है। किसी शिक्षण संस्थान में प्रोफेसर या फिर डिपार्टमेंट हेड के रूप में नियुक्ति होने पर डेढ़ लाख रुपये मासिक तक की आय होती है। प्राइवेट सेक्टर में आपकी कार्य कुशलता के आधार पर ही आय निर्धारित की जाती है।  

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