कुछ लोग गोरे तो कुछ काले क्यों होते हैं ?

इस दुनिया में बहुत सारे देश हैं और सभी देशो में अलग-अलग रंग रूप के लोग मिलते हैं। किसी देश में बहुत गोरे लोग मिलते हैं, तो किसी देश में काले। भारत एक ऐसा देश है, जहां पर हर प्रकार के रंग के लोग पाए जाते हैं। दुनिया में चेहरे के साथ लोगों की त्वचा का रंग भी अलग होता है। जैसे अफ्रीका में रहने वाले लोगों की त्वचा का रंग काला होता है और अमरीका जैसे ठंडे देशों के लोगों की त्वचा का रंग गोरा होता है। भारत और एशियाई देशों में अधिकतर लोगों का रंग गेहुंआ होता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी त्वचा के रंग में इतना अंतर क्यों होता है? क्यों कोई बहुत ज्यादा गोरा हो जाता है और कोई बहुत ही ज्यादा काला?
आइए जानते हैं कि हम गोरे और काले क्यों होते है?
मनुष्य का रंग उसकी त्वचा में उपस्थित एक रंगीन पदार्थ पर निर्भर करता है जिसे पिगमेंट कहा जाता है। जब सूर्य के प्रकाश में उपस्थित पराबैंगनी किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं तो शरीर के ऊत्तकों द्वारा अधिक मेलानिन बनने लगता है। यह मेलेनिन, मेलानोसाइट्स द्वारा निर्मित होता है। मेलानोसाइट्स त्वचा की ऊपरी परत (एपिडर्मिस) के नीचे स्थित होते हैं। सांवली त्वचा वाले लोगों के मेलानोसाइट्स अधिक मेलेनिन का उत्पादन करते हैं। शरीर के द्वारा अधिक मेलानिन बनने की वजह से शरीर का रंग काला या गेहुंआ हो जाता है जबकि ठंडे स्थानों पर रहने वाले लोगों के शरीर में मेलानिन की मात्रा कम पाई जाती है। इसके फलस्वरूप उनकी त्वचा का रंग गोरा होता है। यही वजह है कि लोगों की त्वचा का रंग अलग-अलग जगहों पर भिन्न होता है। इसके अलावा केरोटीन एवं हीमोग्लोबिन भी त्वचा के रंग को कुछ हद तक प्रभावित करते हैं।
अफ्रीका जैसे देशों का तापमान बहुत गर्म रहता है इसलिए वहां रहने वाले लोगों का रंग काला रहता है। वहीं अमरीका जैसे देशों का तापमान बहुत ठंडा रहता है, वहां पर गर्मी बहुत ही कम पड़ती है इसलिए वहां पर रहने वाले लोगों का रंग गोरा रहता है। भारत की बात करें तो यहां पर कोई गोरा है, कोई काला तो किसी का रंग गेहुआ है। वैसे यहां ज्यादातर लोगों को रंग गेहुंआ ही होता है लेकिन अगर स्थानों की बात करें तो देश में पहाड़ी इलाकों जैसे हिमाचल और उत्तराखंड में रहने वाले भारतीयों का रंग गोरा होता है जबकि केरल और कर्नाटक आदि जैसे शहरों में बहुत गर्मी पड़ती है और इसलिए वहां के लोगों का रंग काला होता है। भारत में एक ही जैसे रंग के लोग बहुत कम देखने को मिलेंगें। इस बात से पता चलता है कि हमारी त्वचा का रंग जहां हम रहते हैं उस स्थान पर निर्भर करता है। 

-लैक्चरार, मण्डी अहमदगढ़
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