प्रकृति का तांडव

विगत कुछ दिनों में उत्तर भारत में हुई भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने बहुत भयावह रूप धारण कर लिया है। इसके कारण पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उतराखंड, जम्मू और कश्मीर में अब तक 22 के लगभग व्यक्ति मारे गये हैं। अनेक स्थानों पर पुल व सड़कें भी टूट गई हैं। देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन में ही 123 एम.एम. बारिश रिकार्ड की गई है, जिसके कारण दिल्ली में भी बहुत से इलाकों में पानी भर गया और यातायात में बड़े स्तर पर रुकावट आई। इसी प्रकार पंजाब में भी जुलाई में औसतन 170 एम.एम. बारिश होती है, परन्तु यहां 8 जुलाई की रात को ही 270 एम.एम. बारिश रिकार्ड की गई है, जिसने राज्य में बड़े स्तर पर तबाही मचा दी। दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में जुलाई में जो औसत बारिश होती है, उससे क्रमश: इन राज्यों में 112 प्रतिशत, 100 प्रतिशत और 70 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हुई है। चंडीगढ़, मोहाली, रूपनगर, शहीद भगत सिंह नगर, फिरोज़पुर, फरीदकोट, बरनाला, और मानसा आदि ज़िले विशेष तौर पर प्रभावित हुए हैं। चंडीगढ़ और पंजाब में स्कूल 13 जुलाई तक बंद कर दिये गये हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी ने अपनी कुछ परीक्षाएं भी स्थगित कर दी हैं।
पंजाब में भारी बारिश होने के साथ-साथ हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में भी बहुत अधिक बारिश हुई है। इस कारण हिमाचल में भी पंजाब की नदियों सतलुज, ब्यास और रावी में पानी का स्तर अधिक बढ़ गया है। इससे बांधों में भी पानी का स्तर काफी ऊंचा हो गया है, जिनमें से अधिक पानी छोड़े जाने की नौबत आ सकती है। हिमाचल में भी ब्यास और अन्य नदी-नालों ने भारी तबाही मचाई है। शिमला, सोलन, मनाली और कुल्लू में भी भारी नुकसान हुआ है। इमारतें ताश के पत्तों की तरह गिरती नज़र आई हैं। अनेक स्थानों पर वाहन पानी में बह गये हैं। एक जानकारी के अनुसार पहाड़ों पर भू-स्खलन होने से 700 से अधिक सड़कों पर यातायात अवरुद्ध हुआ है। घग्गर दरिया के भी खतरे के निशान से ऊपर बहने के समाचार हैं। इस कारण भी पंजाब और हरियाणा के बहुत से इलाके बाढ़ की चपेट में आ गये हैं। सतलुज में पानी का बहाव बढ़ने के कारण रूपनगर, शहीद भगत सिंह नगर और जालन्धर ज़िला के नदी के साथ सटे गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। पुलिस की फिल्लौर अकैडमी के कुछ हिस्सों में भी सतलुज का पानी भर गया है। इस स्थिति संबंधी देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी पंजाब और हिमाचल के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की है और उनको हर प्रकार की सहायता देने का आश्वासन दिया है।
आने वाले समय के लिए भी पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में और ज्यादा बारिश होने की संभावना प्रकट की जा रही है। बाढ़ जैसी स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए अनेक स्थानों पर नैशनल डिज़ास्टर रिस्पौंस फोर्स (एन.डी.आर.एफ.) की टीमों को राहत कार्यों के लिए बुलाया गया है। पंजाब में डेरा बस्सी तथा कई अन्य क्षेत्रों में आम लोग भी एक-दूसरे की सहायता के लिए आगे आए हैं, परन्तु संकट बहुत बड़ा है। इससे निपटने के लिए जहां सरकारों को पूर्ण क्षमता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है, वहीं राज्य के लोगों को भी जितना हो सके, एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आने की ज़रूरत है। इस समय राहत कार्यों के पहले चरण के रूप में तो यही करना बनता है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अपने घरों या अन्य स्थानों पर जो लोग फंसे हुए हैं, उन्हें बाहर निकाला जाए और उनके लिए खाद्य पदार्थों तथा दवाइयों आदि का प्रबंध किया जाए और इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ-साथ पशुओं को बचाने तथा उनके लिए चारे का प्रबंध भी करना पड़ेगा। पंजाब के बड़े भाग में खेतों में पानी भर गया है, जिससे लगाए गए धान, फल, सब्ज़ियां तथा चारे की फसलों को नुकसान पहुंचा है। आगामी दिनों में यदि बारिश कुछ कम होती है, तो पंजाब सरकार को बाढ़ के कारण हुई तबाही का समूचा जायज़ा लेने के लिए विशेष तौर पर सर्वेक्षण करवाने की आवश्यकता होगी ताकि किसानों की फसलों के हुए नुकसान की कुछ न कुछ पूर्ति हो सके।
जिस प्रकार हमने ऊपर ज़िक्र किया है, नि:संदेह यह बहुत बड़ा संकट है, इसलिए लोगों को एकजुट होकर इस स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इस संबंध में पंजाब का अपना इतिहास रहा है। जब भी प्रदेश में व्यापक स्तर पर बाढ़ आती है या कोई अन्य आपदा आती है, तो लोग पूरी प्रतिबद्धता और जज़्बे के साथ एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आते हैं। कोरोना महामारी के काल के उदाहरण भी हमारे सामने हैं। अब भी हमें आशा है कि अपनी प्राचीन परम्पराओं को कायम रखते हुए लोग बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आएंगे। यह अच्छी बात है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बाढ़ पीड़ितों को लंगर उपलब्ध कराने की घोषणा की है। अन्य धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों को भी इस उदाहरण का अनुसरण करते हुए शीघ्रातिशीघ्र लोगों की सहायता करने के लिए आगे आना चाहिए।