सर्वोच्च् न्यायालय की सख्ती

 

मणिपुर के बिगड़े हालात अभी भी नियन्त्रण में नहीं आ रहे। चाहे ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम चलते तीन मास से भी अधिक का समय हो चुका है। देश भर में तथा संसद में इसकी लगातार चर्चा हो रही है। मणिपुर में भाजपा का शासन है। वहां के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह जो मैतेई समुदाय से संबंध रखते हैं, की इस कारण भी कड़ी आलोचना हो रही है कि वह कुकी, नागा तथा अन्य कुछ सम्प्रदायों का विश्वास  जीतने में सफल नहीं हुये। मैतेई लोग वादी में रहते हैं, जबकि कुकी तथा अन्य कबीले पहाड़ों में रहते हैं। आरक्षण के सवाल पर शुरू हुआ यह विवाद बेहद हिंसक होकर शिखर पर पहुंच चुका है। चाहिए तो यह था कि केन्द्र सरकार इस गम्भीर मामले में एकदम हस्तक्षेप करके स्थिति को सम्भालने का काम करती, क्योंकि उस दौरान तथा अब भी यह मामला मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के बस की बात प्रतीत नहीं होता। प्रत्येक ओर से उठी इस मांग में पूरा वज़न है कि  इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा त्याग-पत्र दिया जाना चाहिए। संसद में लगभग दो दर्जन पार्टियां हैं, जिन्होंने मणिपुर सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाई है परन्तु भाजपा की संसद में बहुसंख्या होने के कारण उस पर इस बात का ज्यादा प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं देता।
विगत दिवस 21 विपक्षी सांसदों ने मणिपुर का दौरा किया था। वे भिन्न-भिन्न स्थानों पर राहत शिविरों में गये। दोनों बड़े समुदायों के प्रभावित लोगों से मिले। राज्यपाल अनसूइया ओइके से भी मिले। इसके बाद इस प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर सरकार की कड़ी आलोचना भी की तथा कहा कि मणिपुर में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं ने भारत की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे यहां से लौटकर संसद में केन्द्र सरकार द्वारा की गईं ़गलतियों संबंधी आवाज़ उठायेंगे, क्योंकि प्रदेश की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। भिन्न-भिन्न समुदायों के लोग एक-दूसरे के क्षेत्रों में जा नहीं सकते। तीन मास से चल रही इस साम्प्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने में सरकारी तन्त्र बुरी तरह विफल रहा है। इन घटनाओं के संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री की भी कड़ी आलोचना की। अब हालात को बिगड़ते हुए देख कर सर्वोच्च न्यालय ने भी इसका कड़ा संज्ञान लिया है। उसने 4 मई को महिलाओं की निर्वस्त्र करके घुमाने संबंधी वीडियो सामने आने पर केन्द्र सरकार की कड़ी आलोचना की है तथा सरकार से जवाब मांगा है कि अब तक वहां कितनी रिपोर्टें दर्ज की गई हैं तथा यह भी कि इन्हें दर्ज करने में इतनी देर क्यों लगी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार बताये कि मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गईं 595 रिपोर्टों में दुष्कर्म, आगज़नी तथा हत्याओं से संबंधित कितनी रिपोर्टें हैं।
किये गये ऐसे सवालों तथा टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) इस मामले को पूरी गम्भीरता से ले रहा है तथा वह इस संबंध में कड़े कदम उठाने के रौ में है। एक निष्पक्ष विशेष जांच टीम बना कर शीघ्र सभी तथ्यों की जांच करके आरोपियों को सज़ाएं दिलाई जानी चाहिएं। इसके साथ ही केन्द्र तथा प्रदेश सरकार की भी हर स्थिति में जवाबदेही तय की जानी चाहिए। भविष्य में भी ऐसे कड़े प्रबन्ध किये जाने चाहिएं, जिनसे लोगों के मन में विश्वास पैदा हो सके।

 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द