मॉनसून सत्र पर लगी हैं सभी की नज़रें

हरियाणा विधानसभा का मॉनसून सत्र 25 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। हालांकि यह सत्र बेहद संक्षिप्त होगा लेकिन इसके बावजूद इसके सत्र काफी रोचक रहने की उम्मीद है। विधानसभा सत्र के दौरान सत्तापक्ष व विपक्ष में तीखी नोक-झोंक और झड़पें होने के भी आसार हैं। विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस व इनेलो ने विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। विपक्षी दल सरकार को नूंह व साथ लगते जिलों में घटी साम्प्रदायिक हिंसक घटनाओं, सीईटी की विवादित परीक्षाओं और प्रदेश में बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर सत्तापक्ष को घेरने की तैयारी में हैं। विधानसभा सत्र की कार्यावधि वैसे तो 25 अगस्त को विधानसभा सत्र से पहले होने वाली कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक में तय होगी, लेकिन यह सत्र करीब तीन दिन चलने की उम्मीद की जा रही है। विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी विधायकों के हमलों का सामना करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से भी पूरी तैयारियां की जा रही हैं। विधानसभा सत्र चाहे बेहद संक्षिप्त रहे, इसके बावजूद करीब 8 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत प्रदेश के सभी लोगों की नजरें इस सत्र पर लगी हुई हैं। 
विवादों में सीईटी परीक्षा
हरियाणा में पिछले कुछ समय से हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से करवाई गई सीईटी परीक्षा न सिर्फ चर्चा में बनी हुई है बल्कि यह परीक्षा निरंतर विवादों में भी है। प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों के लिए कॉमन एंट्रैंस टेस्ट का प्रावधान किया है। इस परीक्षा में प्रारंभिक परीक्षा के बाद मेन परीक्षा के लिए सिर्फ 4 गुना उम्मीदवार ही बुलाए जाने को लेकर निरंतर विवाद बना रहा है। यह मामला बार-बार कोर्ट में भी गया और फिर सीईटी की यह परीक्षा 6 व 7 अगस्त को आयोजित की गई, लेकिन दोनों दिनों की परीक्षाओं का स्तर अलग-अलग होने के बावजूद दोनों परीक्षाओं में 100 में से 41 प्रश्न कॉमन पाए गए। इन कॉमन पाए गए प्रश्नों को लेकर विपक्ष ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को भंग करने की मांग करते हुए एग्ज़ामिनर और पेपर सेट करने वाली एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर दोषियों के खिलाफ मामले दर्ज करने की मांग की है। 
बाढ़ से हुआ नुकसान
हरियाणा के करीब एक दर्जन जिलों में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। बाढ़ से प्रदेश के 1475 गांवों में पानी जमा हो गया और करीब 4 लाख एकड़ से ज्यादा भूमि में फसलें तबाह हो गई हैं। प्रदेश को पहली बार बाढ़-ग्रस्त घोषित किया गया है। बाढ़ से 47 लोगों की जान गई और 1324 किलोमीटर सड़कों को करीब 2105 किलोमीटर एरिया में नुकसान हुआ है। सड़कों के साथ-साथ हरियाणा में पुलों का भी भारी नुकसान हुआ है। भारी बारिश व बाढ़ के कारण अनेक सड़कों को काटना पड़ा था ताकि वहां से पानी की निकासी हो सके। ऐसी सड़कों के नीचे अब प्रदेश सरकार ने बड़ी पाइप लाइनें दबाने का निर्णय लिया है ताकि राज्य में फिर कभी बाढ़ का पानी आए तो सड़कों को तोड़ना न पड़े और पानी अपने प्राकृतिक बहाव के अनुसार सड़कों के नीचे से इन पाइप लाइनों के जरिए दूसरी तरफ बहकर जा सके। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जिनके पास राजस्व विभाग भी है, ने यह भी दावा किया कि किसानों व आम लोगों को बाढ़ से हुए नुकसान का मुआवजा 7 सितंबर तक उनके खातों में भेज दिया जाएगा। इसी के साथ सरकार ने यह भी पहली बार निर्णय लिया है कि यमुना नदी के जरिए जिन किसानों के खेतों में भारी मिट्टी और गाद आ गई है, सरकार उस गाद को उठवा कर नीलामी के जरिए बिकवाने का भी काम करेगी। जिस किसान के खेत से यह मिट्टी उठवाई जाएगी, उसे इस मिट्टी से मिलने वाली नीलामी राशि का एक तिहाई हिस्सा भी दिया जाएगा और दो तिहाई हिस्सा राज्य सरकार अपने पास रखेगी। किसानों के नुकसान का जल्दी मुआयना हो सके, इसके लिए सरकार ने क्षतिपूर्ति सहायक लगाने का निर्णय लिया था। अब गिरदावर सहायक लगाने का भी निर्णय लिया गया है। 
नूंह की हिंसक घटनाएं
हरियाणा के नूंह में पिछले हफ्ते साम्प्रदायिक हिंसक घटनाएं घटीं। आम तौर पर हरियाणा बेहद शांतिप्रिय राज्य माना जाता है और प्रदेश में अकसर साम्प्रदायिक सद्भाव बना रहता है। इस बार हुए सांप्रदायिक व जातीय दंगों के चलते नूंह में न सिर्फ कर्फ्यू लगाना पड़ा, अपितु इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी और हिंसक घटनाओं में दो होमगार्ड जवानों सहित छह लोगों की मौत भी हो गई। हिंसक घटनाएं काबू करने व जिले व शांति बहाल करने के लिए बल्कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को भी तैनात करना पड़ा। प्रदेश का सांप्रदायिक सद्भाव न बिगड़े, इसी के चलते मेवात व आसपास के जिलों में इंटरनेट सेवाओं को भी बार-बार बंद करना पड़ा। अब धीरे-धीरे मेवात व साथ लगते गुरुग्राम, फरीदाबाद  व पलवल जिलों में स्थिति सामान्य होने लगी है। पुलिस अब तक इन घटनाओं को लेकर 142 एफआईआर दर्ज कर चुकी है और काफी संख्या में न सिर्फ लोगों को गिरफ्तार किया गया है बल्कि बड़ी मात्रा में लोगों को पूछताछ के लिए भी हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने अवैध निर्माणों को गिराने के लिए बुलडोज़र भी चलाए, लेकिन हाईकोर्ट के दखल के बाद यह तोड़-फोड़ रोकनी पड़ी।
राजनीतिक दलों का नूंह दौरा
प्रदेश व देश के विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने नूंह की हिंसक घटनाओं का जायजा लेने के लिए नूंह के दौरे शुरू कर दिए हैं। सबसे पहले किसान व मजदूर संगठनों की टीम ने इस क्षेत्र का दौरा किया। इस टीम में किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड इंद्रजीत सिंह, सीटू के प्रदेश महासचिव जयभगवान, कोषाध्यक्ष विनोद कुमार शामिल थे। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधिमंडल नूंह के लिए रवाना हो गया, लेकिन प्रदेश सरकार ने भारी पुलिस बल लगाकर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को रास्ते में ही रोक लिया। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के कई विधायक, पूर्व मंत्री और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी शामिल थे।  
प्रशासन ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया और प्रतिनिधिमंडल बीच रास्ते से ही वापस लौट गया। अब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ के नेतृत्व में भाजपा प्रतिनिधिमंडल नूंह के इलाके का दौरा करेगा और वहां घटी हिंसक घटनाओं की जानकारी लेने के साथ-साथ लोगों से बातचीत कर पूरे हालात का भी जायज़ा लेगा। धनखड़ के नेतृत्व में नूंह जा रहे प्रतिनिधिमंडल में सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल के अलावा विधायक मोहन लाल बड़ौली व विधायक संजय सिंह सहित भाजपा मंत्री समय सिंह भाटी भी शामिल होंगे। इसी बीच सीपीएम के सांसदों ने भी नूंह जिले का दौरा करने का ऐलान किया है। इस प्रतिनिधिमंडल में सीपीएम के पोलिट ब्यूरो सदस्य व पूर्व सांसद नीलोत्पल बसु, राज्यसभा सांसद ए.ए. रहीम, वी. सिवदासन व जॉन ब्रिटास के अलावा हरियाणा राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह और इंद्रजीत सिंह भी शामिल होंगे। कांग्रेस, भाजपा व सीपीएम के अलावा इनेलो ने भी नूंह में पार्टी प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। इनेलो का कहना है कि स्थिति थोड़ी सामान्य होने के बाद पार्टी प्रतिनिधिमंडल नूंह का दौरा करके पूरी स्थिति का आंकलन करेगा। कुल मिलाकर पिछले कुछ दिनों से नूंह का मामला न सिर्फ सुर्खियां बना हुआ है बल्कि प्रदेश के साथ-साथ देशभर की नजरें भी नूंह के घटनाक्रम पर लगी हुई हैं।  

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