अदृश्य हथियार बनता जा रहा सोशल मीडिया 

अस्त्र और शस्त्र में एक बड़ा अंतर होता है। साधारण शब्दों में समझें तो अस्त्र दूर से फेंका जाता है।  शस्त्र हाथ में लेकर योद्धा के सामने खड़ा होकर पूरी शक्ति से लड़ने के लिए प्रयोग में लाने वाला हथियार है। शास्त्रानुसार इसकी अलग-अलग व्याख्या और अर्थ भी मिल जाते हैं। ठीक इसी प्रकार धनुष से चलने वाले हथियार को बाण कहते हैं। 
युग बदला तो इन सभी हथियारों के बाद बंदूक, तोप, गोली, टैंक, परमाणु बम आदि से युद्ध करने का समय आया। वक्त बदला तो जल, थल, वायु सभी स्थलों पर युद्ध होने लगा। फिर जैविक हथियार का प्रयोग हुआ। कोई भी बड़ी बीमारी विरोधी देश में फैला दीजिए, वह देश आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हर स्तर पर कमज़ोर हो जाएगा। कोरोना महामारी इसका बड़ा उदाहरण है और विश्व इसे देख चुका है। इसके बाद संचार युग की बारी आई है। वर्तमान युग  संचार युग है। आज मनुष्य संचार के साधनों से जुड़कर वैश्विक दृष्टिकोण के साथ-साथ विश्वजन से जुड़ गया है। इन जनसंचार माध्यमों में सोशल मीडिया एक जन आंदोलन, क्रांति का कार्य कर रहा है तो दूसरी ओर जन-विद्रोह, आपसी लड़ाई-झगड़े, हिंसा का बड़ा हथियार बनता जा रहा है। वर्तमान में सोशल मीडिया एक अदृश्य हथियार का काम कर रहा है। इसमें कौन-कौन शामिल हैं और यह कैसे चल रहा है, किसको पकड़ा जाए? एक लम्बी प्रक्रिया है। 
यह अदृश्य हथियार कितने ही नरसंहार की काली गाथा देश में ही नहीं, विश्व भर में लिख चुका है। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़, फेक वीडियो, फेक आवाज़ें, फेक संदेश, संवाद आदि चलते रहते हैं। लोग इन फेक न्यूज़ या वीडियो आदि को देखते हैं। इन पर विश्वास कर एक-दूसरे को मरने-मारने पर आतुर हो जाते हैं। इससे आमजन का कई बार बड़ा नुकसान हो जाता है। सामाजिक अस्थिरता फैलती है, लोगों को और सरकार का आर्थिक नुकसान होता है। यह फेक न्यूज़,  संवाद वाले व्यक्ति अपने ही जैसे विचार वालों को इससे लिंक करते हैं। धीरे-धीरे वह जन-आक्रोश बन जाता है। हिंसा से देश को पीछे धकेलने का कार्य किया जाता है। 
यहां एक बात और चिंतनीय है कि जब भी किसी सोशल या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से व्यक्ति के साथ कोई निजी अनहोनी घटना घटती है तो उसे सारे साइबर क्राइम नंबर, सहायता, कानून आदि का पता होता है लेकिन किसी उपद्रव या विनाशकारी कार्य में वह उन वीडियो, संदेश, संवाद आदि को दबाए रखता है। केवल अपनी विचारधारा वाले व्यक्ति तक उसे भेजने का कार्य करता है जिससे कि एक भारी जन सैलाब इकट्ठा हो सके और उपद्रव तथा हिंसा को जन्म दिया जा सके। 
 देश और सरकार ने लोगों को अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रखने की स्वतंत्रता दी है। लोगों का भी यह कर्त्तव्य बनता है कि कोई भी सामाजिक या देश विरोधी वीडियो, संदेश या संवाद किसी के पास आए तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम को दें ताकि प्रशासन तुरंत कार्यवाही करते हुए किसी अप्रिय घटना को रोक सके। आमजन का नुकसान न होने दिया जाए। सार्थक और सकारात्मक सोच समाज और राष्ट्र दोनों के लिए हितकारी होती है। सब को अपने साथ-साथ अपने समाज, देश और विश्व के बारे में भी ज़रूर सोचना चाहिए। सोशल मीडिया ने लोगों को विकास और गति प्रदान दी है। इसे बाधा नहीं बनाया जाना चाहिए। देश के विकास में सहयोगी बनना जाए, इसी में जन-कल्याण का भाव है। (युवराज)