सार्थक रहा नन्ही छांव फाउंडेशन का डेढ़ दशक का स़फर

भारत के इतिहास पर नज़र डालें, तो लगभग साढ़े पांच सदी पहले महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता था। साहिब श्री गुरु नानक देव जी से लेकर हमारे गुरुओं, पीरों, बुद्धिजीवी लोगों ने अपने-अपने समय में अपने-अपने ढंग से महिलाओं के पक्ष में और महिलाओं के सम्मान के लिए आवाज़ उठाई। हमें इस बात का मान होना चाहिए कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में इस देश की आज़ादी से पहले ही वोट का अधिकार महिलाओं को दिया गया, चाहे कि उस समय बहुत से देशों में महिलाओं को वोट का अधिकार नहीं था।
चाहे 21वीं सदी में विश्व ने विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में बहुत तरक्की की है, पर मैं यह महसूस कर रही थी कि विज्ञान की जो तरक्की हो रही है, उसके मुताबिक समाज में महिलाओं के खिलाफ हो रहा अत्याचार कम नहीं हो रहा था। दूसरी बात जब भी विकास होता है, तो हमें बहुत कुछ गंवाना पड़ता है। लगभग पांच दशक पहले संयुक्त परिवार होते थे। दर्जनों लोग एक छत के नीचे एक ही घर में रहते थे, परन्तु समय के अनुसार संयुक्त परिवार का रुझान कम होने लग पड़ा तो परिवार अलग-अलग रहने लगे। अलग-अलग घरों में दैनिक अपभोग की ज़रूरी चीजें अपनी-अपनी बनाने लगे। इसके लिए लकड़ी का उपयोग अंधाधुंध होने लगा। पहाड़ों और मैदानी इलाकों में जंगलों और पेड़ों की कटाई बहुत ज्यादा हुई। वृक्षों की कमी को पूरा करने की ज़रूरत को किसी ने महसूस नहीं किया।
जहां तक लड़कियों और महिलाओं की दशा के लिए मैंने महसूस किया, कि हमारा सिख धर्म भी महिलाओं के सम्मान के लिए प्रेरित करता है। इस धर्म में प्रमुख शख्सियतों पर भी महिलाओं के साथ ज्यादतियों के आरोप लगे हैं, तो सिख संगतों ने कभी ऐसे लोगों का साथ नहीं दिया। यह इतिहास में पढ़ने को मिलता है। महिलाओं की दुर्दशा के लिए जो मैंने महसूस किया कि उनके पास अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की भी कमी होती है। सो जन्म से लेकर महिला कभी पिता, कभी भाई, कभी पति, कभी पुत्र से ज़रूरतें पूरी करने के लिए उनके आगे हाथ फैलाती है। अपने पैरों पर खड़े न होना उसके शोषन का एक कारण बनता है। मुझे गर्व है कि आज से 15 वर्ष पहले 27 अगस्त, 2008 को नन्ही छांव फाउंडेशन नाम की समाज कल्याण के लिए एक गैर-लाभकारी संस्था बनाई गई जिसका उद्देश्य सिर्फ महिलाओं के लिए तथा बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के लिए कार्य करना एवं इन गम्भीर मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाना था। हमारा उद्देश्य महिलाओं को स्वरोज़गार या रोज़गार या पौधे बांटने तक सीमित नहीं था, अपितु घरेलू व सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार जो लड़कियां घर छोड़ने के लिए मजबूर हो जाती थीं, उनके छोटे-बड़े सपने तथा अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उनका परिवार और समाज में सम्मान बहाल करना भी हमारा लक्ष्य था, क्योंकि विगत 15 वर्षों के दौरान नन्ही छांव फांउडेशन के सम्पर्क में ऐसी बेटियां आईं जिन्हें अपना भविष्य धूमिल और जीवन में अंधेरा दिखाई देता था। जब वे हमारे साथ जुड़ीं तो जहां नन्ही छांव फांउडेशन ने उनमें ऊर्जा भरी, वहीं उन्हें खुशहाल जीवन से जोड़ने का भी हमें सम्मान प्राप्त हुआ है। हमारी संस्था के अस्तित्व में आने के बाद हमने लगभग प्रत्येक वर्ष एक हज़ार बेटियों को अपने पैरों पर खड़ा करके उन्हें रोज़गार योग्य बनाने में सफलता प्राप्त की है और इतनी ही सिलाई मशीनें बांटी हैं। 
मैं धन्यवाद करती हूं नन्ही छांव फांउडेशन के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों व पूरी टीम का, हमारे साथ पंजाब के कोने-कोने से जुड़ी पंचायतों, समाज-सेवी संस्थाओं, अधिकारियों का जिनकी मेहनत व मदद से आज नन्ही छांव फांउडेशन ने अपने 15 वर्ष पूरे किये हैं। इसे पूरा करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान साहिबान जो विगत 15 वर्षों में इस पद पर रहे, उनके प्रयासों के कारण हम गुरुओं के बताए मार्ग पर चल कर हवा को शुद्ध करने के लिए तथा विकास से नाम पर जो पेड़ों और जंगलों की कटाई हुई, उस कमी को पूरा करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर तथा तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो से निरन्तर आज तक 25 लाख पौधों को प्रसाद के रूप में लोगों के घरों, खेतों आदि में पहुंचा कर अपनी समुचित भूमिका अदा की है। जहां हम पंजाब में नन्ही छांव फाउंडेशन के माध्यम से बेटियों का सम्मान बढ़ाने में सफल हुए हैं, वहीं हमें इस बात पर गर्व है कि पंजाब में भ्रूण हत्या कम करने तथा लड़कियों का अनुपात प्रति हज़ार लड़कों के पीछे बढ़ाने में भी हमने काफी हदतक सफलता प्राप्त की है।

-लोकसभा सांसद