अपनी छवि की चिन्ता करे पंजाब पुलिस 

 

पंजाब की कमिश्नरेट पुलिस द्वारा अपने विभाग के इन्स्पैक्टर स्तर के पांच उच्चाधिकारियों को पहले लाईन हाज़िर करने और फिर तत्काल प्रभाव से उनका तबादला कर दिये जाने का समाचार नि:संदेह रूप से पुलिस की वर्दी पर आपराधिक द़ाग बढ़ाने के लिए काफी है। पंजाब पुलिस की छवि पर सचमुच आज छोटे-बड़े अनेक द़ाग लगे हैं। ताज़ा घटना ज़िला अमृतसर की है जहां एक जन्म दिन पार्टी में पंजाब पुलिस के इंस्पैक्टर स्तर के पांच अधिकारी एक कथित गैंगस्टर और नशीले पदार्थों के आपराधिक वृत्ति वाले तस्कर की मौजूदगी में नाच और रास-रंग में व्यस्त हैं। इस पार्टी में डी.एस.पी. स्तर के दो अधिकारियों की उपस्थिति भी पंजाब के धरातल पर कानून व्यवस्था का हित-चिन्तन करने वालों को चौंकाने के लिए काफी है। इस पार्टी की तस्वीरें देश-विदेश में वायरल हो जाने से नि:सन्देह प्रदेश पुलिस की छवि को भारी आघात पहुंचा होगा। इसी कारण तत्काल रूप से पहले तो कमिश्नर ने इन पांचों पुलिस इन्स्पैक्टरों को लाईन हाज़िर कर दिया, और बाद में डायरैक्टर जनरल पुलिस ने उनका अन्य ज़िलों में तबादला कर दिया। नि:संदेह पुलिसजनों के इस प्रकार की पार्टियों में शामिल होने से जहां आपराधिक वृत्ति वाले लोगों को शह मिलती है, वहीं जन-साधारण में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ती है।
दशकों पूर्व पंजाब पुलिस की ईमानदार छवि, प्रतिबद्धता और कर्त्तव्य-निष्ठा की धाक हुआ करती थी। प्रदेश के अनेक पुलिस अधिकारियों की कार्य-प्रणाली का डंका इंग्लैंड तक में बजता था। यहां तक कि देश के कई अन्य राज्यों की आंतरिक समस्याओं को हल करने हेतु भी पंजाब पुलिस की सेवाएं लिया जाना गर्व की बात समझा जाता था, किन्तु समय की बदलती करवटों के साथ आज स्थिति यह है कि न केवल प्रदेश पुलिस की इस छवि को आघात पहुंचा है, अपितु पुलिस की कतारों में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार और आपराधिक घुसपैठ हो चुकी है। पंजाब पुलिस पर भ्रष्टाचार, नशाखोरी, नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध हथियारों के क्रय-विक्रय हेतु मिलीभुगत रखने के आरोप भी अक्सर लगते रहते हैं। विगत समय में नशे की तस्करी को संरक्षण देने और यहां तक कि उनकी अपनी संलिप्तता के कारण कुछ पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है। इस प्रकार के गम्भीर आरोपों में फरारी का सामना कर रहे कुछ पुलिस अधिकरियों को भगौड़ा तक घोषित किया जा चुका है। नशे में धुत्त एक पुलिस कर्मी की ओर से बीच सड़क में हुड़दंग किये जाने और यातायात को अवरुद्ध किये जाने तथा भटिंडा में एक डी.एस.पी. द्वारा 30,000 रुपये रिश्वत लिये जाने के  समाचार भी इसी दिन समाचार-पत्रों की सुर्खी बने हैं। अवैध खनन, छोटे बच्चों की गुमशुदगी, रिश्वतखोरी में भी पंजाब पुलिस के अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी अक्सर शामिल रहे पाये गये हैं।
नि:संदेह रूप से मौजूदा मामले में इन सातों पुलिस अधिकारियों की आपराधिक तत्वों और गैंगस्टरों के साथ कथित मिलीभुगत की जांच के आदेश दे दिये गये हैं किन्तु इस प्रकरण में एक महिला इन्स्पैक्टर की भी संलिप्तता पाये जाने से पुलिस की पूरी दाल के काला हो जाने की आशंकाएं स्वत: बलवती होने लगती हैं। होना तो यह चाहिए कि प्रदेश की पुलिस अपने मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी ‘आप’ के चुनाव-पूर्व के वायदों को पूरा करने के लिए तन-मन से काम करे, किन्तु यहां तो पुलिस की काढ़नी में पक रही दाल के कोड़कुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल और प्रदेश के मुख्यमंत्री बने भगवंत मान ने दावे किये थे कि सत्ता में आने के बाद एक मास के भीतर पंजाब को नशा-मुक्त कर देंगे, परन्तु आज स्थिति यह है कि खुद ‘आप’ की पुलिस न केवल नशे की तस्करी को संरक्षण देते हुए पाई गई है, अपितु पुलिसजनों के स्वयं नशेड़ी होते जाने के समाचार प्रतिदिन मिलते रहते हैं। स्थिति यहां तक गम्भीर हो गई है कि प्रदेश के राज्यपाल को भी यह कहना पड़ा है कि पंजाब में नशे की रेल-पेल बढ़ी है। इस घटना का एक और त्रासद पक्ष यह है कि मौजूदा पार्टी वाली घटना का रहस्योद्घाटन स्वयं एक बड़े पुलिस अधिकारी की ओर से किया गया बताया जाता है। मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब को नशा मुक्त करने के लिए एक वर्ष और मांगना भी अजीब लगता है क्योंकि जिस प्रदेश की रक्षक पुलिस स्वयं भक्षक बन रही हो, उसका वारिस तो फिर भगवान ही हो सकता है।
हम समझते हैं कि प्रदेश की पुलिस के उच्चाधिकारियों को एक तो स्वयं अपनी ‘बुक्कल’ के भीतर झांक कर देखना चाहिए कि उनकी पुलिस की छवि का इस सीमा तक अवसान क्यों हुआ। दूसरे, प्रदेश की सरकार और खास तौर पर मुख्यमंत्री को पुलिस कैम्प की ऐसी काली भेड़ों की शिनाख्त करके उन्हें समुचित रूप से दंड देना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस प्रशासन निरंकुश हुआ जाता है। हम समझते हैं कि इस प्रकार की सरेआम ना-फरमानी से एक ओर जहां पंजाब की पुलिस की वर्दी और उसकी छवि द़ागदार हुई है, वहीं दूसरी ओर पंजाब के लोगों के नशे की दलदल में धंसते जाने की सम्भावनाएं और बलवती होते जाने का ़खदशा है।