देश में डिजिटल क्रांति के गवाह बने प्रधानमंत्री के नौ साल

सेमीकंडक्टर उद्योग को उत्साहित करने का उद्देश्य घरेलू निर्माण समर्था स्थापित करके तथा प्रतिभावान मानव शक्ति का इस्तेमाल करके भारत की आयात पर निर्भरता को कम करना है। डिजिटल परिवर्तन ने भारत के प्रत्येक कोने में रहते लोगों के जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। डिजिटल परिवर्तन सशक्त रूप से एक वैश्विक सफलता की कहानी बन गई है। नि:संदेह भारत प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर अग्रणी है और अपने डिजिटल परिवर्तन को अन्य देशों में विस्तारित करने के लिए जी-20 की अध्यक्षता का कुशलतापूर्वक उपयोग कर रहा है।
कुछेक वर्षों में ही भारत के तकनीकी क्षेत्र में तेज़ी देखी गई है।  प्रभावी नीतियों और बेहतर कार्यान्वयन के साथ भारत ‘टेकेड’ के सपने को पूरा करने के लिए के प्रयासों को उत्प्रेरित करेगा। हालांकि भारत वर्षों से प्रौद्योगिकी क्रांति का नेतृत्व कर रहा है और सेमीकंडक्टर उद्योग को सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए देश के द्वारा किये गए बड़े प्रयासों ने तकनीकी अभियान को और तेज़ कर दिया है।
‘कैटालाइजिंग इंडियाज सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम’ पर हाल ही में सम्पन्न तीन दिवसीय सम्मेलन ‘सेमीकॉनइंडिया-2023’ इस क्षेत्र को बढ़ावा देने और भारत के डिजिटल क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में अभूतपूर्व वृद्धि को प्रदर्शित करने का एक और प्रयास था।  सेमीकंडक्टर (चिप) को आधुनिक प्रौद्योगिकी का निर्माण खंड कहा जाता है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ  थिंग्स एप्लिकेशन, 5जी संचार और इलेक्ट्रिक वाहन जैसी अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण घटक हैं। उभरती प्रौद्योगिकियों में बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ आने वाले वर्षों में सेमीकंडक्टर उद्योग में वृद्धि देखी जाएगी। ऐसे में आयात पर निर्भरता कम करने, घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को स्थापित करने और क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने का सरकार का दृष्टिकोण सामयिक और प्रभावी है।
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023 में देशों को नई अग्रणी प्रौद्योगिकियों पर तेज़ी से आगे बढ़ने का सुझाव दिया गया है, जिससे हरित नवाचार को बढ़ावा मिलेगा तथा जलवायु संकट को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ-साथ नई प्रौद्योगिकियों से जुड़े आर्थिक लाभ हासिल करने के लिए विकासशील देशों को नई तकनीक अपनाने पर भी जोर दिया।
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन 2021 में लॉन्च किया गया था, लेकिन इसके डिजिटल परिवर्तन की यात्रा 2015 में ‘डिजिटल इंडिया’ के ऐतिहासिक कार्यक्रम के लॉन्च के साथ शुरू हो गई थी। इससे देश के डिजिटल परिदृश्य को फिर से तैयार किया गया और डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था का उदय हुआ है।
जिन प्रमुख क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति देखी गई है, उनमें से डिजिटल अर्थव्यवस्था एक है जो भारत में आर्थिक बदलाव ला रही है। प्रौद्योगिकी के लिए ज़मीनी स्तर पर प्रयास में भारत ने 2015 में डिजिटल प्रभुत्व प्राप्त कर लिया था। इसके एक साल बाद 2016 में सरकार द्वारा आधार ‘वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण’ अधिनियम पेश किया गया था। इस प्रकार विशिष्ट पहचान संख्या (आधार संख्या) ने सरकार के लिए प्रत्यक्ष लाभ भुगतान (डीबीटी) को लागू करना संभव बना दिया।  
विशेष रूप से यह नागरिकों को सब्सिडी, लाभ और सेवाओं की कुशल, पारदर्शी और लक्षित डिलीवरी के माध्यम से सुशासन प्राप्त करने का एक साधन साबित हुआ है। सरकार के निरन्तर दबाव और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के परिणामस्वरूप भारत में इंटरनेट अर्थव्यवस्था में आने वाले वर्षों में एक बड़ा उछाल आने वाला है। इस साल गूगल, टेमासेक और बेन एंड कम्पनी की जनवरी में जारी संयुक्त रिपोर्ट ‘द इकॉनॉमी ऑफ  बिलियन कनेक्टेड इंडियन्स’ के अनुसार भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था 2022 में 175 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आगे बढ़ते हुए, फिर एक वर्ष बाद 2017 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उमंग ऐप लॉन्च किया, जिसने नागरिकों के मोबाइल फोन पर सरकार की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रमुख सरकारी सेवाओं को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन पर ला दिया था। उमंग पर 1668 से अधिक ई-सेवाएं और 20,197 से अधिक बिल भुगतान सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
डिजिटल भुगतान क्षेत्र को बदलना
तकनीकी क्रांति ने हाल के वर्षों में डिजिटल भुगतान लेन-देन में लगातार वृद्धि के साथ देश में डिजिटल भुगतान परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस के साथ ही, सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन को भी संभव बनाया गया है।
‘जन धन खाता-आधार-मोबाइल’ या (जेएएम), ट्रिनिटी सरकार के वित्तीय समावेशन के विचार के केंद्र में प्रमुख रही है। इसने गरीबों के बैंक खातों में कल्याण सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की सुविधा प्रदान की है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है, जिसे अगस्त 2014 में लॉन्च किया गया था। इसके द्वारा बैंक खाता रहित प्रत्येक परिवार के लिए सार्वभौमिक बैंकिंग सेवाएं प्रदान कीं। आधार  बिना किसी मध्यस्थ के सरकार के लाभों को लोगों तक स्थानांतरित करने के लिए एक मजबूत कड़ी बन गया है। इसने डिजिटल इंडिया के विचार में क्रांति ला दी है।
2016 में लॉन्च किया गया यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) डिजिटल लेन-देन करने के लिए देश में सबसे लोकप्रिय माध्यम में से एक बनकर उभरा है। भारत में किए जाने वाले सभी भुगतानों में से 40 प्रतिशत अब डिजिटल हैं। भारत का सेमीकंडक्टर प्रोत्साहन सीधे तौर पर इसके तकनीकी क्षेत्र को आगे बढ़ाएगा और देश में चल रहे डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व करेगा। यह निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में ‘फ्रंटियर प्रौद्योगिकियों’ के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
-चांसलर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी
संरक्षक, भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन
मुख्य संरक्षक, एन.आई.डी. फाउंडेशन