जम्मू-कश्मीर में विकास की सम्भावनाएं

केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर के संबंध में एक बड़ा फैसला लेते हुए धारा 370 हटाने की घोषणा कर दी थी, इस धारा के तहत प्रदेश को कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे। आज़ादी के साथ देश विभाजित होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर की समस्या उत्पन्न हो गई थी। विभाजन के साथ ही पाकिस्तान द्वारा कबायली हथियारबंद लड़ाकों को सेना की सहायता देकर जम्मू-कश्मीर के एक बड़े भाग पर कब्ज़ा कर लिया गया था, जो आज भी पाकिस्तान के पास है। इसके बाद लगातार वह जम्मू-कश्मीर पर अपना हक जताता आया है, जिसका एक आधार यह भी है कि यह राज्य मुस्लिम बहुसंख्यक वाला है। जहां तक भारतीय संविधान का संबंध है यह धर्म निरपेक्ष है, इसमें भारत को धर्म-निरपेक्ष बताया गया है, जिसमें हर धर्म तथा सम्प्रदाय के लोग सभी नागरिकों को मिले समान अधिकारों के आधार पर यहां पर बसे हुए हैं। जहां तक मुस्लिम जनसंख्या का संबंध है विश्व में इंडोनेशिया को छोड़ कर सबसे अधिक जनसंख्या मुसलमानों की भारत में है। इसलिए पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यकों को आधार बना कर इस पर हक जताने को भारत हमेशा रद्द करता आया है। हम इस बेहद जटिल हुए मामले के लिए व्यापक रूप में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को ज़िम्मेदार समझते हैं, जो अपने कार्यकाल के समय इसका कोई सन्तोषजनक हल न निकाल सके।
दूसरी तरफ पाकिस्तान में बनी प्रत्येक सरकार ने कश्मीर पर कब्ज़ा करने को हमेशा अपना पहला एजेंडा बनाए रखा है। वर्ष 1980 में सैनिक तानाशाह ज़िया-उल-हक  ने कश्मीर के प्रति अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए आतंकवादियों को यहां हथियारबंद करके भेजना शुरू कर दिया था तथा उसके बाद लगातार यह क्षेत्र रक्त-रंजित हुआ रहा। यहां वोटों द्वारा चुनी गईं सरकारें भी इस मामले को सुलझाने में असमर्थ रहीं। पाकिस्तान अनेक कारणों के दृष्टिगत विश्व भर के आतंकवादी संगठनों का जमावड़ा बन चुका था। इनमें से कुछ खुंखार संगठनों ने वहां की सेना तथा सरकार की सहायता से जम्मू-कश्मीर को छीनने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगाए रखा था तथा लगातार यहां खून की होली खेली जाती रही है। इस संबंध में केन्द्र की मोदी सरकार ने एक कड़ा तथा बड़ा फैसला लेते हुए संसद मेें प्रस्ताव पारित करवा कर इस प्रदेश को कुछ विशेष अधिकार देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया था तथा जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को दो भागों में विभाजित करके दो केन्द्र शासित प्रदेश बना दिए थे। यह फैसला 5 अगस्त, 2019 को लिया गया था, जिस कारण इस पर लगातार बड़ा विवाद भी बना रहा तथा केन्द्र सरकार की कड़ी आलोचना भी की जाती रही। नि:संदेह इस प्रदेश में आतंकवादियों ने एक तरह से कब्ज़ा ही कर लिया था। प्रतिदिन हिंसक घटनाओं का घटित होना, व्यापक स्तर पर पत्थरबाज़ी, बंद तथा हड़तालों ने जन-जीवन को पूरी तरह से दूभर कर रखा था। यहां की ज्यादातर स्थानीय राजनीतिक पार्टियों ने भी केन्द्र के विरुद्ध लगातार आवाज़ उठाई तथा धारा 370 को पुन: लागू करने के लिए आन्दोलन तक भी किए। इस मुद्दे को लेकर ही देश के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में भी आजकल कुछ याचिकाओं को लेकर मामला चल रहा है। अब प्रभाव यह मिल रहे हैं कि क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय पार्टियां धारा 370 को वहां लागू करने पर ज़ोर नहीं दे रहीं, अपितु इसे प्रदेश का दर्जा दिलवाने के लिए अधिक यत्नशील हुई हैं। इस संबंध में गत दिवस सर्वोच्च न्यायालय में दायर मामलों पर हुई चर्चा को देखा जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केन्द्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को प्रदेश का दर्जा बहाल करने संबंधी लगातार पूछा जा रहा था, जिसके संबंध में अब केन्द्र सरकार ने यहजवाब दिया है कि अभी प्रदेश का दर्जा देने में कुछ समय ज़रूर लग सकता है परन्तु सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने के लिए तैयार है। वहां मतदाता सूचियों को लगभग पूर्ण कर लिया गया है तथा अब केन्द्रीय चुनाव आयोग तथा प्रदेश के चुनाव आयोग ने वहां चुनाव करवाने का फैसला लेना है, क्योंकि ये चुनाव तीन प्रकार के होंगे, जिनमें पंचायत चुनाव, नगर निगम चुनाव तथा विधानसभा के चुनाव शामिल हैं।
हम समझते हैं कि यदि चुनावों के लिए माहौल तैयार हो जाता है तो पुन: प्रदेश का दर्जा बहाल करने में कोई अधिक समय नहीं लगना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय में केन्द्र सरकार द्वारा जो आंकड़े पेश किए गए हैं, उनके अनुसार वहां की स्थिति पहले से काफी सीमा तक ठीक हो रही है। यहां आतंकवादी घटनाओं में भी बड़ी कमी आई है तथा पत्थरबाज़ी की घटनाएं भी लगभग समाप्त हो गई हैं। इसके साथ-साथ केन्द्र के वकीलों ने यह भी बताया कि प्रदेश के विकास हेतु अनेक योजनाएं लागू की गई हैं तथा औद्योगिक विकास के लिए केन्द्र द्वारा 28 हज़ार करोड़ से अधिक की योजनाएं शुरू की गई हैं तथा 78 हज़ार करोड़ से अधिक का यहां पर निजी निवेश भी हो चुका है। इसके साथ-साथ एक और राहत देने वाला समाचार यह है कि इस वर्ष अब तक यहां पर एक करोड़ से अधिक पर्यटक आ चुके हैं। इस स्थिति के दृष्टिगत यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में इस प्रदेश में खुशहाली तथा विकास की सम्भावनाएं बन सकती हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द