सितारों से आगे

कुछ दिन पहले भारत द्वारा चन्द्रमा पर उतरने की बड़ी उपलब्धि के बाद अब आदित्य एल-1 उपग्रह द्वारा सूर्य के सभी पहलुओं के अनुसंधान के लिए सफलतापूर्वक भरी गई उड़ान ने भारत की विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र की उपलब्धियों में एक और बहुत बड़ा अध्याय जोड़ दिया है। चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले विक्रम लैंडर ने अंतरिक्ष में लगभग पौने चार लाख किलोमीटर का स़फर तय किया था। आदित्य एल.-1 सूर्य की ओर अंतरिक्ष में 15 लाख किलोमीटर का स़फर चार माह की अवधि में तय करेगा। सूर्य के इर्द-गिर्द घूमने के लिए आदित्य एल-1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट पर पहुंचना होगा, जहां पृथ्वी तथा सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का एक जैसा प्रभाव बन जाता है। यहां पहुंच कर आदित्य एल-1 को अधिक ईंधन को खर्च करने की ज़रूरत नहीं होगी तथा यह आसानी से अपने सूर्य के अनुसंधान के काम को जारी रख सकेगा। यहां इसने सूर्य के वायुमंडल की गति का अध्ययन करना है। सूर्य के चुम्बकीय क्षेत्रों में होने वाली बड़ी हिलजुल का अध्ययन करना है तथा अंतरिक्ष की मौसमी गतिशीलता को समझना है।
सूर्य के संबंध में ऐसे अनुसंधान करने वाला भारत पहला देश नहीं है। इससे पहले अमरीका, यूरोपियन स्पेस एजेन्सी तथा जर्मनी अंतरिक्ष में अपने रॉकेट भेज कर परीक्षण कर चुके हैं। चीन ने भी इस दिशा में कुछ परीक्षण किए हैं। चाहे अंतरिक्ष में जाने के लिए भारत का यह पांचवां यत्न है परन्तु सूर्य की दूरी बहुत अधिक तथा आश्चर्यचकित करने वाली है। सूर्य के इर्द-गिर्द ऐसे पांच स्थानों का अनुसंधान किया जा चुका है, जहां पहुंच कर इस संबंध में परीक्षण किए जा सकते हैं। आदित्य उपग्रह एल-1 द्वारा सूर्य के नज़दीक पहुंचने वाले भारत के बहुत से ऐसे यंत्र होंगे जो सूर्य संबंधी बहुपक्षीय अनुसंधान करेंगे। पृथ्वी पर भूकम्प आने की भांति सूर्य में भी ऐसी उथल-पुथल होती रहती है, उसकी इस उथल-पुथल के अध्ययन के परिणाम अच्छी उपलब्धियों वाले बन सकते हैं। आदित्य एल-1 में सात ऐसे यंत्र लगाए गए हैं, जिससे सूर्य के प्रत्येक पक्ष का अनुसंधान किया जा सकेगा। इसमें लगे कैमरे पांच वर्ष तक अलग-अलग दिशाओं से लाखों ही तस्वीरें भेजने में सक्षम हैं। नि:संदेह सूर्य से ही पृथ्वी को रौशनी तथा ऊर्जा मिलती है। करोड़ों वर्षों से ब्रह्मांड में पृथ्वी को जीवन प्रदान करने वाला सूर्य ही है। इसके बिना पृथ्वी पर किसी भी तरह के जीवन की उम्मीद तक नहीं की जा सकती।
अंतरिक्ष में अनेक विकसित देशों द्वारा किए गए अनुसंधान तथा छोड़े गए उप-ग्रहों द्वारा पिछली आधी सदी के बाद ही ऐसा कुछ घटित हुआ है, जिसने विश्व की रूप-रेखा ही बदल दी है। अंतरिक्ष के ये अनुसंधान आश्चर्यचकित करने वाले हैं। आधुनिक दुनिया के जीवन की इन अनुसंधानों के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह गर्व की बात है कि भारत ने इस क्षेत्र में अब तक आश्चर्यजनक उपलब्धियां  हासिल की हैं तथा देश के बजट पर इन अनुसंधानों का ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ने दिया। विश्व भर में अंतरिक्ष के परीक्षणों के मुकाबले में भारत द्वारा किए गए ये परीक्षण कीमत के पक्ष से बहुत ही बचत वाले प्रतीत होते हैं। इसलिए भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की बड़ी प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि अब यह प्रतीत होने लगा है कि निरन्तर ये अनुसंधान ब्रह्मांड के नए से नए रहस्यों का पता लगाने में समर्थ हो सकेंगे।

 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द