भारत : विश्व ऊर्जा परिदृश्य एवं जी-20

जी-220 के सदस्य देशों के नेता जब इस महीने की 9 और 10 तारीख को मिलेंगेए तो उनकी प्रमुख  चिंता जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने की होगी। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न तात्कालिक खतरे के साथ ही साथ कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए त्वरित गति से जीवाश्म ईंधन से गैर.जीवाश्म ईंधन का रुख करने की तत्काल आवश्यकता और वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व औद्योगिककरण स्तर से 1.5 डिग्री तक सीमित करने के प्रयास को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया है।   भारत दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वाले देशों में से एक है। हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.40 टीसीओ2ई (टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य) हैए जबकि वैश्विक औसत 6ण्3 टीसीओ2ई है। कार्बन डाइऑक्साइड भार में हमारा योगदान केवल 4 प्रतिशत है जबकि हम दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा हैं। हम एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था हैं जिसकी ऊर्जा परिवर्तन गतिविधियां तापमान में 2 डिग्री से कम वृद्धि के अनुरूप हैं।
सीओपी 21 पेरिस मेंए हमने वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत गैर.जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करने का संकल्प लिया थाए  इस लक्ष्य को हमने नौ साल पहले 2021 में ही हासिल कर लिया। हमारी गैर.जीवाश्म उत्पादन क्षमता 187 गीगावॉट  है और 103 गीगावॉट निर्माणाधीन है। ग्लासगो में सीओपी 26 में हमने 2030 तक 50 प्रतिशत गैर.जीवाश्म बिजली उत्पादन तक पहुंचने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
हमने सीओपी 21 में 2030 तक उत्सर्जन गहनता में 33 प्रतिशत की कमी लाने का संकल्प लिया था और 2019 में इस लक्ष्य को हासिल कर लिया। सीओपी 26 में हमने 2030 तक उत्सर्जन गहनता में 45 प्रतिशत कमी लाने की नई प्रतिबद्धता व्यक्त की है।  ऊर्जा दक्षता से संबंधित कदम उठाने की दिशा में हम अग्रणी हैं। हमारे उद्योग-केंद्रित प्रदर्शनए उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) कार्यक्रम के माध्यम से हमने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में सालाना 106 मिलियन टन की कमी की है। उपकरणों पर स्टार लेबलिंग से संबंधित हमारे कार्यक्रम से कार्बन उत्सर्जन में सालाना 57 मिलियन टनए जबकि हमारे एलईडी कार्यक्रम से हर साल 106 मिलियन टन की कमी आई है।
ऊर्जा तक पहुंच एसडीजी-7 में सबसे महत्वपूर्ण है। विस्तार की दिशा में किए गए हमारे अभूतपूर्व प्रयासों ने 18 महीनों के भीतर हजारों गांवों और 26 मिलियन घरों को ऊर्जा उपलब्?ध कराई है। पिछले नौ वर्षों मेंए हमने अपनी बिजली उत्पादन क्षमता में 190 गीगावॉट की वृद्धि की है और 1,97,000 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित कर दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत ग्रिड बनाया है। हमने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
ऊर्जा परिवर्तन के संबंध में दुनिया के सामने कई चुनौतियां हैं। चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भंडारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज विश्व में बैटरी भंडारण विनिर्माण क्षमता केवल 1163 जीडब्ल्यूएच है। भंडारण की लागत वर्तमान में बहुत अधिक है। हम 1000 एमडब्ल्यूएच  भंडारण के लिए बोली लेकर आए हैंए जो दुनिया की सबसे बड़ी बोलियों में से हैए और हमने बैटरी विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए कदम उठाए हैं।
 परमाणु ऊर्जा निरंतर स्वच्छ बिजली उत्पादन प्रदान करती है। हालांकि हमें छोड़कर अधिकांश विकासशील देशों के पास महत्वपूर्ण परमाणु क्षमताओं का अभाव है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर इस दिशा में समाधान हो सकते हैं, लेकिन यह अभी तक विकास के चरण में है।
दूसरा समाधान कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) है लेकिन यह भी शुरुआती चरणों में है। अधिग्रहण का प्रश्न लागत के प्रश्न की तरह ही बरकरार है।
एक अन्य चुनौती आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की है। वर्तमान मेंए सौर सेल और मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एक ही देश तक केंद्रित है। हमने बड़े पैमाने पर विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की स्थापना की और 2026 तक 100 गीगावॉट विनिर्माण क्षमता हासिल करने की राह पर हैं।