मुहब्बत की दुकान या ऩफरत का बाज़ार

दुनिया भर के दिग्गज नेता दिल्ली में आयोजित जी-20 में शामिल होकर जहां भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्लोबल लीडर के रूप में खुलकर सराहना कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी विदेशी धरती पर जाकर देश और मोदी के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। इस वक्त पूरी दुनिया की नज़रें भारत पर हैं। ऐसे समय में भी राहुल गांधी भारत को कोसने से बाज नहीं आ रहे हैं। राहुल गांधी आजकल यूरोप दौरे पर हैं। अपनी यूरोप यात्रा के दौरान बेल्जियम पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत के लोकतांत्रित संस्थाओं पर चौतरफा हमला हो रहा है और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को दबाने की कोशिश पर यूरोपीय संघ के हलकों में भी चिंता है। राहुल इन दिनों यह दावा करते रहते हैं कि वो ऩफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं। राहुल गांधी ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में कहा, देश के संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है। अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले हो रहे हैं। सरकार दहशत फैला रही है और प्रधानमंत्री मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। जी-20 के सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रपति द्वारा दिये गये भोज में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन को नहीं बुलाया गया। इस पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी मल्लिकार्जुन नहीं आये और राजनीति करने से बाज़ नहीं आये। भाजपा नेताओं का आरोप है कि राहुल मुहब्बत की दुकान की बात ज़रूर करते हैं मगर असल में देश में ऩफरत फैलाने का 
काम करते हैं।
राहुल गांधी अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहाने देश के लोकतंत्र पर हमला बोलते तनिक भी नहीं हिचकिचाते। चीन की तरफदारी कर राहुल देश को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। मगर वह यह भूल जाते हैं कि देश की जनता ने नेहरू, इंदिरा और राजीव की भांति मोदी को भी प्रचंड बहुमत के साथ देश की सत्ता का ताज पहनाया है। वह यह भी कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र नहीं है। जब से कांग्रेस देश की सत्ता से बाहर हुई है, तब से उनकी हालत बिन पानी मछली सी हो रही है। धीरे-धीरे कांग्रेस लगातार अपना वजूद खोती जा रही है मगर सुधरने का नाम नहीं ले रही है। गौरतलब है कि राहुल ने देश की संवैधानिक संस्थाओं यथा चुनाव आयोग, न्यायालय और प्रेस पर भी समय-समय पर हमला बोला है। मोदी और भाजपा की आलोचना खूब कीजिये जनाब, मगर देश को बख्श दीजिये। 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन में एक चर्चा के दौरान कहा था कि इंडिया इज नॉट एट ए गुड प्लेस, इकॉनमी बेजान है और प्रोडक्शन बढ़ा कर रोज़गार देने की ज़रूरत है। जब इकॉनमी पर बोल रहे थे, तभी उन्होंने पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों से भारत की तुलना की। राहुल देश की अर्थव्यवस्था और रोज़गार पर अपनी बात कहें और इन मुद्दों पर मोदी और सरकार की जमकर आलोचना करें, यह समझ में आने वाली बात है मगर भारत की तुलना पाकिस्तान और श्रीलंका से करें तो देशवासियों का चिंतित होना लाज़िमी है। राहुल ने अनेक बार चीन की चर्चा करते हुए देश की अस्मिता पर भी हमला बोला है। कांग्रेस में यह क्या हो रहा है, अपनी पार्टी को संगठित करने के बजाय देश को तोड़ने वाली बातें करके क्या हासिल करेंगे, यह समझ से बाहर है। 
देखा जा रहा है, कि हमारे नेताओं के भाषणों, वक्तव्यों और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शुचिता के स्थान पर ऩफरत, झूठ, अपशब्द, तथ्यों की तोड़-मरोड़ और असंसदीय भाषा का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। हमारे नेता अब आए दिन सामाजिक संस्कारों और मूल्यों को शर्मसार करते रहते हैं। विशेषकर नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा ऩफरत की सियासत में तेज़ी आ गयी है। स्वस्थ आलोचना से लोकतंत्र सशक्त, परन्तु ऩफरत भरे बोलें से कमजोर होता है, यह सर्वविदित है। आलोचना का जवाब दिया जा सकता है, मगर ऩफरत के आरोपों का नहीं। हमारे नेता मंच और भीड़ देखते ही ऩफरत की तकरीर लिखने लगते हैं। भाषणों में ऩफरत के तीर चलाने लग जाते हैं। बंद जुबानें खुल जाती हैं। राजनीतिक शत्रुता के गुबार फूटने लगते हैं। नीतियों और मुद्दों की बातें गौण हो जाती हैं। यह सही है कि कांग्रेस के सत्ताच्युत होने और नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने के बाद से देश में ऩफरत के बादल मंडराने शुरू हो गए थे। विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, वे घोर असंसदीय तो थे ही, साथ ही उनसे नरेन्द्र मोदी के खिलाफ घृणा का भी साफ तौर पर पता चलता है।