चीन के बीआरआई का विकल्प होगा नया आर्थिक गलियारा

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप नामक एक मेगा इकनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बता दिया कि कूटनीति और कारोबार की दुनिया में आने वाला समय भारत का है और चीन के लिए आगे की राह अब आसान नहीं होने वाली है। मोदी ने कहा कि आने वाले समय में भारत पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण का प्रभावी माध्यम होगा। यह पूरे विश्व में सहयोग और विकास को सही दिशा प्रदान करेगा। मुम्बई से शुरू होने वाला यह नया आधिक गलियारा चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई का विकल्प होगा। यह गलियारा 6 हज़ार किमी लम्बा होगा। इसमें 3500 किमी समुद्र मार्ग शामिल है। गलियारा बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में करीब 40 प्रतिशत समय की बचत होगी।
इस कारिडोर का नाम इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर है। इस प्रोजेक्ट में भारत, यूएई, सऊदी अरब, यूरोपीय यूनियन, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमरीका शामिल होंगे। इस गलियारे के निर्माण के साथ ही दुनिया के व्यापार का भूगोल बदल जाएगा। प्रस्तावित गलियारा भारत से संयुक्त अरब अमीरात तक अरब सागर में फैला होगा, फिर यूरोप से जुड़ने से पहले सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल पार करेगा।
इस परियोजना के तहत समुद्र के नीचे केबल और ऊर्जा परिवहन बुनियादी ढांचा भी शामिल होगा। इस गलियारे से दुनिया की कनेक्टिविटी को एक नई दिशा मिलेगी। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि गलियारे में शामिल देशों के लिए यह परियोजना अनंत अवसर प्रदान करेगी। इससे व्यापार करना तथा स्वच्छ ऊर्जा निर्यात करना आसान बन जाएगा। यह किसी ऐतिहासिक क्षण से कम नहीं है।
भारत-मिडल ईस्ट-यूरोप शिपिंग और रेलवे कनेक्टिविटी कोरिडोर की योजना को एक बड़ी बात करार देते हुए अमरीकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अगले दशक में भागीदार देश निम्न-मध्यम आय वाले देशों में बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करेंगे। इस योजना में शामिल सभी 9 देशों के प्रमुखों तथा प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कहते हुए बाइडन ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ को जी-20 शिखर सम्मेलन का फोकस बताया। क्षेत्र में चीन के आर्थिक दबदबे को चुनौती देते हुए अमरीका और यूरोपीय संघ ने भारत को मध्य पूर्व और भू-मध्य सागर से जोड़ने वाले एक नए समुद्र और रेल गलियारे के विकास का समर्थन किया। निश्चित तौर पर इस प्रोजेक्ट को महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच एक ग्रीन और डिजिटल पुल माना जा रहा है।
ऐसे में अहम प्रश्न यह है कि इस गलियारे से भारत को क्या लाभ होगा। जानकारों के अनुसार भारत को पहला लाभ यह होगा कि मध्य-पूर्व और यूरोप के बाज़ारों में भारत की पहुंच और पकड़ मज़बूत हो सकती है। दूसरा लाभ होगा कि शिप और रेल कनेक्टिविटी होने से कम से कम लागत में तेल और गैस की सप्लाई होगी। तीसरा लाभ यह होगा कि मध्य-पूर्व और यूरोप में चीन पर भारत को कूटनीतिक और कारोबारी बढ़त मिलेगी। अब सवाल ये है कि अमरीका इस प्रोजेक्ट में बढ़-चढ़कर क्यों हिस्सा ले रहा है। इसकी वजह चीन का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट है, जिसके जरिए ड्रैगन मध्य-पूर्व से यूरोप के बाज़ारों पर कब्जा जमाना चाहता है। 
अमरीका की कोशिश चीन के प्रभाव को रोकने की है। इसलिए उसने भारत की मदद ली और सऊदी अरब व यूएई को नए गलियारे के लिए तैयार किया। इसकी घोषणा से पहले अमरीकी अधिकारी फाइनर ने कहा था कि अमरीका की नज़र से यह समझौता पूरे क्षेत्र में तनाव कम करेगा और हमें ऐसा लगता है कि इससे टकराव से निपटने में मदद मिलेगी।
इस गलियारे की अगुवाई भारत और अमरीका एक साथ मिलकर करेंगे। इस समझौते के तहत कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर काम होगा। यह ट्रेड रूट भारत को यूरोप से जोड़ते हुए पश्चिम एशिया से होकर गुज़रेगा। भारत और अमरीका के अलावा पश्चिम एशिया से संयुक्त अरब अमीरात व सऊदी अरब और यूरोप से यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली व जर्मनी भी इसका हिस्सा होंगे।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेन ने परियोजना बारे कहा कहा, ‘यह महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच एक हरित और डिजिटल सेतु है।’ रेल से भारत और यूरोप के बीच व्यापार 40 प्रतिशत तेज़ हो जाएगा। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह के माध्यम से भारत से जोड़ना है जिससे शिपिंग समय, लागत और ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और ट्रेड में मदद मिलेगी। इस प्रोजैक्ट में 2 अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे। जहां एक ओर पूर्वी गलियारा भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा वहीं उत्तरी गलियारा खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ेगा। चीन के बैल्ट एंड रोड इनिशेएटिव यानी बीआरआई प्रोजैक्ट की तर्ज पर ही इसे एक महत्वाकांक्षी योजना माना जा रहा है। महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे की घोषणा को इज़राइल के लिए बड़ी खबर बताते हुए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमारे इतिहास की सबसे बड़ी सहयोग परियोजना पश्चिम एशिया का चेहरा बदल देगी।  यह इज़राइल और पूरी दुनिया को लाभान्वित करेगा।
अगर भारत, मध्य-पूर्व व यूरोप आर्थिक गलियारा बनता है तो दक्षिण-पूर्व एशिया से खाड़ी, पश्चिम एशिया और यूरोप तक व्यापार प्रवाह के मार्ग पर मज़बूती से आगे बढ़ेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह गलियारा भारत की शक्ति और सामर्थ्य बढ़ाने में सहायक होने के साथ ही पड़ोसी चीन की चमक भी फीकी कर सकता है।