निराशाजनक कार्रवाई

डेढ़ वर्ष पहले पंजाब के लोगों ने राजनीतिक मंच पर आम आदमी पार्टी को बहुत उम्मीदों के साथ बड़ा समर्थन दिया था, परन्तु कुछ ही समय में न तो उम्मीदों को बूर ही पड़ता दिखाई दे रहा है, और न ही उम्मीदों को पंख लगने शुरू हुए हैं। प्रदेश के समक्ष उस समय जो गम्भीर मामले खड़े थे, आज वे उससे भी बड़े दिखाई देते हैं। इनमें एक बड़ा मामला रेत खनन का था, जिसने प्रदेश में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार फैला दिया था। पूर्व सरकारों पर भी इस मामले को लेकर बड़े आरोप लगते रहे हैं तथा इस क्षेत्र में हो रहे रात के अन्धेरे में तथा सरेआम भ्रष्टाचार का भार जन-साधारण पर पड़ता था तथा ऐसा करके ज्यादातर राजनीतिज्ञों द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। परेशान हुए लोग इस मामले में रिवायती पार्टियों से पीछा छुड़वाना चाहते थे, इसलिए भी उन्होंने नई पार्टी तथा नये चेहरों का चयन किया था परन्तु हालात यह है कि इस पार्टी के ज्यादातर राजनीतिज्ञ एक थैली के चट्टे-बट्टे साबित हुए हैं। इन्होंने पहले से शुरू किए गए कार्यों को सम्भाला ही नहीं, अपितु और भी बड़ा कर दिया, परन्तु इस संबंधी बयानबाज़ी में सरकार तथा इसके प्रतिनिधि कभी भी पीछे नहीं हटे तथा जन-साधारण के निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाली रेत तथा बजरी के मूल्य कम तो क्या होने थे, अपितु वह और भी आसमान को छूने लगे। इस नई सरकार  ने ज़ोर-शोर से अपने किए वायदों के अनुसार इस ओर ध्यान देने तथा कदम उठाने के प्रयास तो किए परन्तु इसमें वह बुरी तरह विफल हो गई।
रेत तथा बजरी की सप्लाई को सुनिश्चित बनाने के लिए एवं सस्ते मूल्य पर जन-साधारण तक पहुंचाने के लिए लगभग 9 माह पहले गोरसियां खान मोहम्मद खड्ड द्वारा लोगों को सस्ती रेत देने का काम शुरू किया गया था तथा यह भी कहा गया था कि इस प्रकार की अन्य अनेक खड्डों पर काम शुरू करके लोगों को सस्ते मूल्य तथा प्रत्येक स्थान पर रेत उपलब्ध करवाई जाएगी, परन्तु 9 महीने व्यतीत हो जाने के बाद भी परनाला वहीं का वहीं ही रहा तथा लोग आसमान को छूने वाले इनके मूल्यों को नीचे से ही देखने के लिए मजबूर हैं तथा यह भी कि वे पड़ोसी राज्यों से ठेकेदारों तथा दुकानदारों द्वारा लई गई रेत खरीदने के लिए मजबूर हैं। प्रदेश के ज्यादातर क्रैशर बंद होने के कारण बजरी के मूल्य भी कई गुणा बढ़ गए हैं, परन्तु ‘मरता क्या न करता’ के कथन अनुसार वह किसी भी मूल्य पर माल खरीदने के लिए मजबूर हो चुके हैं। इनका प्रत्यक्ष संबंध विकास कार्यों के साथ जुड़ा हुआ है परन्तु यदि ऐसी गतिविधि बेहद कम हो जाती है या बंद हो जाती है तो इस संबंध में सुनने वाला कोई नहीं है, परन्तु बेहद दु:ख की बात यह है कि रेत-बजरी का यह संकट लगातार बना हुआ है तथा इन वस्तुओं का अवैध धंधा भी जारी है। यदि कोई अधिकारी इस ओर ध्यान देता है तथा कोई क्रियात्मक कदम उठाने का प्रयास करता है तो उसका हश्र भी विगत दिवस सामने आई तरनतारन की घटना से संबंधित अधिकारियों जैसा ही होता है। पुलिस के बड़े अधिकारी ने एक विधायक के रिश्तेदार तथा उसके साथ रेत का अवैध खनन करते लोगों पर कार्रवाई की, भरे हुए टिप्परों को तथा माइनिंग मशीन को बरामद किया परन्तु इस बात का खमियाज़ा संबंधित उच्च अधिकारी तथा उसके साथियों को भुगतना पड़ा। जहां उक्त अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया वहीं उच्च अधिकारी का शीघ्र तबादला कर दिया गया, परन्तु दूसरी ओर इस अधिकारी की विदायगी के दौरान एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जो  हैरान करने वाला था तथा जिससे पुलिस बल में पैदा हो रही भावनाओं का भी पता चलता है।
उक्त अधिकारी का तबादला तो कर दिया गया परन्तु उसकी विदायगी के अवसर पर ज़िले भर से पुलिस कर्मचारियों ने पहुंच कर उन पर पुष्प वर्षा करते हुए उन्हें भव्य विदायगी दी तथा फूलों से सजाई गई एक गाड़ी में उन्हें दफ्तर से रवाना किया गया। इस बात की चर्चा राजनीतिक तथा ़गैर-राजनीतिक क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर होती रही है। इसे आधार बना कर ही पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने ़गैर-कानूनी खनन से संबंधित विधायक के रिश्तेदार की गिरफ्तारी तथा इसे लेकर किए गए बड़े पुलिस अधिकारी के तबादले तथा अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई की विस्तारपूर्वक रिपोर्ट मांग ली है। इससे ही इस बात का अहसास हो जाता है कि आज प्रदेश के हालात किस दिशा की ओर जा रहे हैं। इससे यह अनुमान भी सहज रूप से लगाया जा सकता है कि आज प्रदेश किस सीमा तक रसातल में पहुंच गया है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द