बेहद गम्भीर होती समस्या 

देश में भिन्न-भिन्न स्थानों पर दशहरे का त्यौहार बहुत ही उत्साह से मनाया गया। देश में ऐसा सदियों से होता आ रहा है। इसके साथ ही अलग-अलग विश्वास वाले अलग-अलग क्षेत्रों और देश में मौजूद अलग-अलग संस्कृतियों और परम्पराओं के अनुसार सैंकड़ों और भी त्यौहार अपने-अपने तरीके से मनाए जाते हैं। इनमें से बहुत से त्यौहार ऐसे होते हैं जो लोगों में नई धड़कन और उत्साह पैदा करते हैं। बहुत से त्यौहार ऋुतुओं और परम्पराओं को आधार बनाकर लम्बी अवधि से मनाए जाते हैं। चाहे आज ज्यादातर लोगों में जिस भावना से ये शुरू हुए, उसके संबंध में अधिक जागरूकता नहीं है, परन्तु इनके लिए हमेशा उत्साह ज़रूर बना रहा है। दशहरा के त्यौहार को भी हर स्थान पर अपने-अपने ढंग के साथ मनाया जाता है और मुख्य तौर पर इसको बदी पर नेकी की जीत कहा जाता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी दिल्ली में मनाए जा रहे इस त्यौहार में भाग लिया और वहां सम्बोधित करते हुए उन्होंने देश के हित में कुछ ऐसी बातें कही हैं जो विशेष रूप से ध्यान देने योग्य भी हैं और आज के समय में हमारे समाज के लिए विशेष तौर पर इनको महत्वपूर्ण भी कहा जा सकता है। दूसरे शब्दों में ये बातें देश और समाज के सामने एक ऐसी चुनौती बनी दिखाई देती हैं, जिन्हें नियंत्रित करना मुख्य लक्ष्य माना जाना चाहिए। उन्होंने देश के सामने दस संकल्प दोहराये हैं। इनमें से एक तो उन्होंने जाति और क्षेत्रों के विभाजन से ऊपर उठने के लिए कहा है तथा दूसरा उन्होंने पानी बचाने के लिए कहा है।
हम उनके द्वारा पेश किए गए संकल्पों में पानी बचाने को अधिक महत्त्वपूर्ण समझते हैं। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए अधिक से अधिक पानी बचाने के लिए प्रत्येक को सचेत होने के लिए कहा है। नि:संदेह पानी देश की जीवनधारा है। पुरातन संस्कृति का विकास नदियों के किनारे पर ही हुआ था। भारत भी उस समय कलकल बहती नदियों की धरती माना जाता था। इसलिए यहां बसते पुरातन लोगों के साथ बाहर से भी लगातार भारी संख्या में लोग आकर यहां बसते रहे। आज जबकि देश की जनसंख्या विश्व भर के सभी देशों से कुछ ही अवधि में सबसे अधिक होने वाली है, उस समय यहां पानी के स्रोत भी कम होते जा रहे हैं तथा कई स्थानों पर इनका बेहद दुरुपयोग भी किया जा रहा है। यह बात सुनिश्चित है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए जैसे-जैसे ये प्राकृतिक स्रोत कम होते जाएंगे, वैसे-वैसे यहां के जीवन का हर पहलू भी मुरझाता जाएगा। 
इस समय देश के हालात ये बने दिखाई देते हैं कि पानी के मामले पर भिन्न-भिन्न प्रदेशों में विवाद उत्पन्न हो गए हैं। ज्यादातर स्थानों पर देश की धरती इस जीवन-स्रोत के बिना शुष्क होती जा रही है। आगामी समय में इस गम्भीर मामले पर पड़ोसी देशों के साथ भी हमारा विवाद गहरा होते जाने की सम्भावना बन गई है। आधुनिक जीवनशैली ने हमारे पानी को बेहद दूषित तथा ज़हरीला बना दिया है। सदियों से एकत्रित हुए अपने भूमिगत पानी का हम बेदर्दी से उपयोग कर रहे हैं। वर्षा के पानी को सम्भालने की बजाय हम बड़ी सीमा तक इसे व्यर्थ बहने दे रहे हैं। इसके प्रति हम थोड़ा भी सचेत नहीं हुये। इस महत्त्वपूर्ण मामले की ओर ध्यान देने के लिए केन्द्र सरकार ने पानी के प्रबंध हेतु एक अलग मंत्रालय भी स्थापित किया है, जिसकी कारगुज़ारी आगामी समय में गम्भीरता से देखनी बनती है। जहां देश में ‘पानी ही जीवन है’ का नारा बुलंद किया जाना ज़रूरी है, वहीं सचेत होकर इसे सम्भालने हेतु उत्तम किस्म की योजनाबंदी किया जाना भी बेहद ज़रूरी है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द