दुनिया की बदकिस्मत सेलिब्रिटी थीं सुंदरी मर्लिन मुनरो

उनकी खूबसूरती किंवदंती थी। दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स उसके नाज नखरे उठाता था। उनको अपने बीच देखकर थके और हताश सैनिकों में जान आ जाती थी। उनकी मुस्कान पर पूरी दुनिया ़िफदा थी। दुनियाभर के फोटोग्राफरों ने उनकी इतनी तस्वीरें खींची थीं कि एक के बाद एक रख दिया जाए तो धरती से चांद तक का तीन बार सफर पूरा किया जा सकता है। जी, हां मैं मर्लिन मुनरो की ही बात कर रही हूं। वह 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी महिला सेलिब्रिटी थीं।
लेकिन एक पल जहां वो इस कदर खुशकिस्मत थीं कि खुशी की कल्पनाएं भी उन पर रस्क करें, वहीं दूसरे पल वह इस कदर बदकिस्मत थीं कि उनका दु:ख देखकर त्रासदियों की भी रूह कांप जाए। जिस मर्लिन मुनरो के पास दुनिया के रहीस लोग एक पल भी गुजारने के लिए अपनी पूरी दुनिया लुटाने के लिए तैयार रहते थे, उसी अनाथ मर्लिन मुनरो को गोद लेने के लिए दुनिया में कोई शख्स नहीं मिलता था। उन्हें अनाथालय से एक एककर 12 परिवार ले गए थे और फिर किसी न किसी वजह से सभी उन्हें वापस अनाथालय छोंड़ गये थे। जिस मर्लिन मुनरों को अपने नज़दीक पाकर या परदे में एक झलक देखकर युद्ध से ऊबे और हताश अमरीकी सैनिक सुकून और उत्साह से भर गये थे, वह मर्लिन खुद ताउम्र सुकून तलाशती रही और कहीं नहीं मिला। शायद परीकथाओं के साथ ऐसा ही होता है। जिनकी जिंदगी किसी चमत्कार का पर्याय लगती है, अक्सर उनकी जिंदगी का अंत भी बहुत गहरे तक झकझोर जाता है। नोर्मा जीन बेकर उर्फ खूबसूरती की किंवदंती मर्लिन मुनरो की जिंदगी बिल्कुल किसी परीकथा सी थी। जिंदगी का हर पहलू किसी चमत्कार सा था। एक बेहद खौफनाक बचपन से गुजरने के बाद उनका प्रवेश मरकरी लाईट की चकाचौंध से आख्यान रचती हॉलीवुड की दुनिया में हुआ। लेकिन कोई भी ऊंचाई, कोई भी चकाचौंध उन्हें बांध नहीं सकी। बचपन की बेचैनी हमेशा उनका मूल स्वभाव बनी रही।
वह सफलता के मामले में उस शिखर में पहुंच गयी थीं, जहां से आगे कामनाएं ही नहीं कल्पनाएं भी उड़ान नहीं भर पातीं। लेकिन ये कामयाबियां उनकी मन की बेचैनी कम नहीं कर पायीं। वह हमेशा खोयी खोयी रहतीं, अपने में गुमसुम, सफलता से अनमनी। शायद उनका खोया बचपन हमेशा, उन पर भारी रहता था, वह किसी को मम्मी और किसी को पापा न कह पाने की कसक उनमें हमेशा रही। लोगों को लगता था वह और ज्यादा कामयाब होना चाहती हैं और हो नहीं पा रहीं इसलिए खिन्न रहती हैं। लेकिन यह सही नहीं था, वह सफलता की चोटी पर थीं। उनका होना ही दैवीय हो चुका था। लोग मर्लिन मुनरो की एक झलक पाने के लिए बेकरार रहते थे। अमरीकी सरकार उन्हें कोरिया की जंग में थके, ऊबे और खिन्न सैनिकों के बीच ले गयी और सैनिकों में जीवन मचलने लगा। मर्लिन को जीवन में सब कुछ कल्पना से ज्यादा मिला। दुनिया का सबसे अच्छा बेसबॉल खिलाड़ी मर्लिन से शादी करके निहाल हो गया। महान लेखक आर्थर मिलर को वह खुद एक कालजयी रचना लगती थीं। शायद परीकथाओं का होना ऐसा ही होता है और उनका न होना भी हमेशा के लिए सन्न कर देता है।
पिछली शताब्दी के पचास के दशक के मध्य में उनकी मुलाकात, बाद में अमरीका के राष्ट्रपति बने जॉन एफ कैनेडी से होती है, पहली नज़र में ही दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठते हैं। लेकिन जल्द ही इस कहानी में एक त्रिकोण उभर आता है, जॉन के ही भाई बॉब कैनेडी कहते हैं अपने आखिरी दिनों  में मर्लिन मुनरो जॉन से ज्यादा बॉब से प्यार करने लगी थीं, वह उनसे शादी भी करना चाहती थीं। लेकिन उन्हें जल्द एहसास हो गया कि वह गलत फंस गयी हैं। इससे वह डिप्रेशन में रहने लगीं। 1 फरवरी 1961 को उनकी आखिरी फिल्म ‘द मिसफिट्स’ रिलीज़ होती है, जो अनुमान के मुताबिक कारोबार नहीं कर सकी। मिसफिट्स की असफलता ने उन्हें डिप्रेशन के दलदल में और गहरे धकेल दिया। इससे कई महीनों उन्होंने एकांत में बिताये। फिल्में करनी छोड़ दीं और कम बैक की कोशिश की। अप्रैल 1962 में उन्होंने सेंचुरी फॉक्स के लिए ‘समथिंग्स गॉट टू गिव’, की शूटिंग शुरू करने का निश्चय किया लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां हो गयीं कि जून तक फिल्म की शूटिंग की शुरुआत ही नहीं हो सकी। हालांकि फॉक्स ने इसके लिए मुनरो को दोषी ठहराया। लेकिन मुनरो ने कुछ नहीं कहा, शायद वह करके दिखाना चाहती थीं।
लेकिन ऐसा न हो सका। उनका डिप्रेशन बढ़ता जा रहा था। 4 अगस्त 1962 को उन्होंने पूरा दिन अपने घर में बिताया। उस रात करीब तड़के तीन बजे मरे ने देखा कि मर्लिन ने खुद को अपने बेडरूम में बंद कर लिया है और जब मरे ने बाहर से झांककर देखा तो उन्हें लगा कि वह प्रतिक्रियाहीन हैं। मरे ने तुरंत ग्रीनसन को फोन किया। वह भागे चले आये तथा खिड़की तोड़कर कमरे में दाखिल हुए। यह 5 अगस्त 1962 के तड़के रात तीन बजे का समय था। मर्लिन मुनरो मर चुकी थीं। पोस्मार्टम रिपोर्ट से पता चला ज्यादा नींद की गोली खा लेने के कारण मौत हुई है। लेकिन अमरीका ही नहीं पूरी दुनिया में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं, जो आज भी नहीं मानते कि इस सुंदरी ने आत्महत्या की थी। दो साल पहले नेटफ्लिक्स में आयी एक डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘द मिस्ट्री ऑफ मर्लिन मुनरो: द अनहर्ड टेप्स’ भी मौत की गुत्थी सुलझाती तो नहीं, लेकिन सरकारी दावों को संदिग्ध ज़रूर बनाती है। इस डॉक्यूमेंट्री में 650 से ज्यादा अनसुने टेप्स के जरिये यह खोजने की कोशिश की गयी है कि मर्लिन मुनरो की हत्या हुई थी या उन्होंने आत्महत्या की थी। इस डाक्यूमेंट्री ने कई नये खुलासे किए हैं मसलन- मर्लिन मुनरो के आत्महत्या करने के एक दिन पहले यानी 4 अगस्त को दिन में अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भाई बॉब कैनेडी दोपहर में उनके साथ थे, दोनों का जबरदस्त झगड़ा हुआ था। बाद में बॉब यहीं से अपनी फ्लाइट पकड़ने के लिए हेलीकॉफ्टर से एयरपोर्ट गये थे।
लेकिन इस फिल्म से भी कुछ नहीं बदला आज भी सरकारी  सच यही है कि मौत ड्रग्स के ओवर डोज से हुई। यह भी कि उनकी मौत के बाद वहां कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। उनके एक हाथ में टेलीफोन का रिसीवर था और दूसरा हाथ हवा में लटका हुआ था...। दुनिया की सबसे बड़ी सेलेब्रिटी का एक त्रासद अंत।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर