आत्म-निर्भरता के लिए विदेशी उत्पादों का बहिष्कार ज़रूरी

राष्ट्र विकास व देश हित में ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ सरीके सूत्र देकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था में आम नागरिक की भूमिका को रेखांकित किया है। ‘वोकल फॉर लोकल’ का सामान्य अर्थ कि हमें अपने देश में बनी हुई वस्तुओं को लेकर वोकल होना चाहिए यानि देश में बनें हुए उत्पादों का अधिक से अधिक उपयोग कर उन्हें बढ़ावा देना चाहिए। इसी प्रकार आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य देश के नागरिकों को हर मायने में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना ही है। आत्मनिर्भर भारत के अन्तर्गत देश की अर्थव्यवस्था व आधारभूत ढांचे को ही महत्व दिया गया है। इससे हमारे देश का धन देश में ही रहेगा और हमारी अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी। दीपावली का त्यौहार आ रहा है। इस अवसर पर भारत देश में करोड़ों रुपयों का व्यापार होता है। ज़रूरत है कि देश के नागरिक देश में निर्मित वस्तुओं खरीदें और दूसरों को खरीदने लिए प्रेरणा दें तो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास में बहुत बड़ा कदम हो सकता है। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा था कि पहले हर ब्रांड लोकल ही थे, उसके बाद ही ग्लोबल ब्रांड बने हैं, ठीक उसी तरह हमें भी अपने लोकल उत्पाद को ग्लोबल ब्रांड बनाना है। पहले खादी भी लोकल था पर अब यह भी ब्रांड है, इसे देश की जनता ने ही ब्रांड बनाया है। देशवासियों को चाहिए कि हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग के प्रति हम भरोसा पैदा करें और देश के उत्पादों का उपयोग कर देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में अपना योगदान दे।
देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए लोकल उत्पादों को बढ़ावा देकर हम आत्मनिर्भर भारत में सहयोगी बन सकते हैं। यह तभी हो पायेगा, जब हम उस लोकल उत्पादों को अधिक से अधिक खरिदेंगे। तभी हमारे लोकल ब्रांड को ग्लोबल ब्रंड बनाया जा सकता है। ‘वोकल फार लोकल’ को सफल बनाने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक का योगदान हो सकता है। 
‘वोकल फार लोकल’ का बढ़ावा देने के लिए हमें स्थानीय हुनर की कद्र करनी होगी। छोटी से छोटी चीज़ें आज लोकल स्तर पर उपलब्ध है, उनका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। किसी भी वस्तु की स्थानीय दुकानदारों से खरीददारी करने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है। हमारे देश में इलेक्ट्रॉनिक सामान व्यवसाय का बहुत बड़ा व्यापार होता है, लेकिन हम आन लाइन मंगवाने की बजाय स्थानीय मार्केट से यह सामान खरीदकर सकते हैं। अगर देश के नागरिक स्थानीय उत्पादों को महत्वव दें तो देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान डाल सकते हैं। (युवराज)